Tuesday, June 23, 2015

गीता में दिए गए 16 शक्तिशाली उद्धरण पूरी तरह से आपका दृष्टिकोण बदल देंगे।

आपका जीवन को देखने का नजरिया बदल जाएगा

1. दूसरों के बारे में सोचने से बेहतर है आप अपना काम करें।

 दूसरा इंसान क्या काम कर रहा है इस विषय पर सोचने की बजाय आप अपना काम कैसे बेहतर कर सकते हैं, इस पर बल दें।

दूसरा जो काम कर रहा है वो उसके कर्म हैं, पाप नहीं है। आप अपने कर्म करें।

2. नरक में जानें के तीन रास्ते हैं लालच, गुस्सा और हवस l

3. कर्म करो  , फल की इच्छा न करें क्योंकि कर्म हमेशा फल से अच्छा ही होता है।

4. क्या हुआ था?

क्या हो रहा है?

क्या होगा?

आप कभी भी अपने बीते हुए कल को ठीक नहीं कर सकते ....

और आने वाले भविष्य को कभी देख नहीं सकते।

केवल चिन्ताएं कर सकते हैं।

 वर्तमान में क्या हो रहा है , उस पर ध्यान दें भविष्य में नहीं,  वर्तमान में जिएं।

5.  जो आपके जीवन में हो रहा है आप उसे नहीं बदल सकते।

 जीवन और मृत्यु के बीच में जो अंतर है उसे आंका नहीं जा सकता।

 मौत और जीवन के बीच में थोड़ा ही फर्क है। बस एक सोच है ये दोनों और इसे हम भोगते हैं।

 आपका मन बहुत छोटा भी है और बड़ा भी है उसी के द्वारा ही विचार उत्पन्न होते हैं।

सार बस ये है कि सब कुछ आपका है और आप सब के हो।

6. यह शरीर आपका नहीं है और न ही आप शरीर के हो।

यह शरीर पंच तत्व का है इसी से ही बना है इसमें ही समा जाएगा।


 आत्मा आपकी है l  विचार करो, आप कौन हो ?

7. डरो मत!   यह मत सोचो क्या हुआ था? क्या हो रहा है? क्या होगा? असलियत क्या है? सच्चाई कभी नहीं मरती।

8. आदमी अपने विश्वास से बनता है l विश्वास है  , तो आप हो।

9. क्रोध सारी समस्याओं की जड़ है। मन हमेशा इर्ष्या और चिन्ता से भरा रहता है।

 जो आपके विचार हैं वो आपके दिल और दिमाग को व्यग्र कर देते हैं।

आप तभी शांत हो सकते हो जब इन विचारों को अपने दिमाग से निकाल कर नष्ट कर दो।

10. अपने काम के प्रति अपने व्यवहार को सुनिश्चित रखें।

 आपको किससे संतुष्टि होती है। अपने काम को ईमानदारी से करें यही खुशी का रहस्य है।

11. यह दुनिया आपकी नहीं है न ही आप इस दुनियां के हो l फिर अपनी खुशियों को दूसरों में क्यों दूंढ रहे हो?

12. हमेशा सच्चाई बोलिए तो आपको लाभ होगा l किसी को दुख देने वाली वाणी का त्याग करें।

13. संसार के सभी पदार्थों का अव्यक्त से आरंभ होता है।

जो विचार हमारे भीतर आते हैं उन्हें यह अव्यक्त अपने काबू में करके नाश कर देती है। तो फिर हमें क्या अवश्यकता है कुछ अधिक विचार करने की।

14. खुशी से जीना हो तो अपनी इच्छाओं का नाश कर दो।

15. कर्म आपकी काबलियत को दर्शाते हैं।

16. खुशी आपके अंदर है l यह हमारे दिमाग की एक सोच है l यह बाहरी दुनिया में नहीं मिलेगी।

।।जय हिंदुत्व।। ।।जय श्रीराम।। ।।जय महाकाल।।

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