👏📢📢📢📢📢
🌰🌰🌰🌰🌰🌰🌰
प्याज और लहसुन ना खाए जाने के पीछे
सबसे प्रसिद्ध पौराणिक कथा यह है
कि समुद्रमंथन से
निकले अमृत को, मोहिनी रूप धरे विष्णु
भगवान
जब देवताओं में बांट रहे थे तभी दो राक्षस
राहू और केतू
भी वहीं आकर बैठ गए। भगवान ने उन्हें
भी देवता समझकर अमृत की बूंदे दे दीं। लेकिन
तभी उन्हें
सूर्य व चंद्रमा ने बताया कि यह
दोनों राक्षस हैं।
भगवान विष्णु ने तुरंत उन दोनों के सिर धड़
से अलग
कर दिए। इस समय तक अमृत उनके गले से
नीचे नहीं उतर पाया था और चूंकि उनके
शरीरों में अमृत
नहीं पहुंचा था, वो उसी समय ज़मीन पर
गिरकर नष्ट
हो गए। लेकिन राहू और केतु के मुख में अमृत पहुंच
चुका था इसलिए दोनों राक्षसो के मुख
अमर
हो गए (यहीं कारण है कि आज भी राहू और
केतू के
सिर्फ
सिरों को ज़िन्दा माना जाता है)। पर
भगवान विष्णु द्वारा राहू और केतू के सिर
काटे जाने
पर उनके कटे सिरों से अमृत की कुछ बूंदे ज़मीन
पर गिर
गईं जिनसे प्याज और लहसुन उपजे। चूंकि यह
दोनों सब्ज़िया अमृत की बूंदों से उपजी हैं
इसलिए यह
रोगों और रोगाणुओं को नष्ट करने में अमृत
समान
होती हैं पर क्योंकि यह राक्षसों के मुख से
होकर
गिरी हैं इसलिए इनमें तेज़ गंध है और ये
अपवित्र हैं
जिन्हें कभी भी भगवान के भोग में इस्तमाल
नहीं किया जाता। कहा जाता है
कि जो भी प्याज और
लहसुन खाता है उनका शरीर राक्षसों के
शरीर
की भांति मज़बूत हो जाता है लेकिन साथ
ही उनकी बुद्धि और सोच-विचार
राक्षसों की तरह
दूषित भी हो जाते हैं।
।।जय हिंदुत्व।। ।।जय श्रीराम।। ।।जय महाकाल।।
🌰🌰🌰🌰🌰🌰🌰
प्याज और लहसुन ना खाए जाने के पीछे
सबसे प्रसिद्ध पौराणिक कथा यह है
कि समुद्रमंथन से
निकले अमृत को, मोहिनी रूप धरे विष्णु
भगवान
जब देवताओं में बांट रहे थे तभी दो राक्षस
राहू और केतू
भी वहीं आकर बैठ गए। भगवान ने उन्हें
भी देवता समझकर अमृत की बूंदे दे दीं। लेकिन
तभी उन्हें
सूर्य व चंद्रमा ने बताया कि यह
दोनों राक्षस हैं।
भगवान विष्णु ने तुरंत उन दोनों के सिर धड़
से अलग
कर दिए। इस समय तक अमृत उनके गले से
नीचे नहीं उतर पाया था और चूंकि उनके
शरीरों में अमृत
नहीं पहुंचा था, वो उसी समय ज़मीन पर
गिरकर नष्ट
हो गए। लेकिन राहू और केतु के मुख में अमृत पहुंच
चुका था इसलिए दोनों राक्षसो के मुख
अमर
हो गए (यहीं कारण है कि आज भी राहू और
केतू के
सिर्फ
सिरों को ज़िन्दा माना जाता है)। पर
भगवान विष्णु द्वारा राहू और केतू के सिर
काटे जाने
पर उनके कटे सिरों से अमृत की कुछ बूंदे ज़मीन
पर गिर
गईं जिनसे प्याज और लहसुन उपजे। चूंकि यह
दोनों सब्ज़िया अमृत की बूंदों से उपजी हैं
इसलिए यह
रोगों और रोगाणुओं को नष्ट करने में अमृत
समान
होती हैं पर क्योंकि यह राक्षसों के मुख से
होकर
गिरी हैं इसलिए इनमें तेज़ गंध है और ये
अपवित्र हैं
जिन्हें कभी भी भगवान के भोग में इस्तमाल
नहीं किया जाता। कहा जाता है
कि जो भी प्याज और
लहसुन खाता है उनका शरीर राक्षसों के
शरीर
की भांति मज़बूत हो जाता है लेकिन साथ
ही उनकी बुद्धि और सोच-विचार
राक्षसों की तरह
दूषित भी हो जाते हैं।
।।जय हिंदुत्व।। ।।जय श्रीराम।। ।।जय महाकाल।।
No comments:
Post a Comment