Tuesday, June 23, 2015

पितृदोष से अपनी रक्षा कैसे करें ?

पितृदोष से (पितरों के कष्ट से) अपनी रक्षा कैसे करें ?

पूर्वजों के कारण, विशिष्ट प्रकार के आध्यात्मिक कष्ट होते हैं । इसलिए ऐसे कष्टों का निवारण भी विशिष्ट आध्यात्मिक उपायों से ही होता है । ऐसे कष्टों में, शारीरिक एवं मानसिक उपायों से केवल लक्षण में ही सुधार हो सकता है; परंतु कष्ट के मूल का निवारण  नहीं हो पाता । उदा. यदि किसी को चर्म रोग पितृदोष के कारण हुआ हो, तो चिकित्सकीय उपचार से उसे राहत तो मिलेगी; परंतु वह रोग पूर्ण रूपसे ठीक नहीं होगा तथा उसके पुनः होने की संभावना बनी रहेगी । दत्तात्रेय एक देवता हैं, जिनका तारक नामजप ‘श्री गुरुदेव दत्त’ पितृदोष के (पितरों की अतृप्ति के कारण होने वाले कष्टों से) निवारण हेतु सहायक है । हमारा परामर्श है कि इसे प्रतिदिन अपने पंथानुसार उपयुक्त / इष्टदेवता / कुलदेवता के नामजप के साथ करना चाहिए ।
भगवान दत्तात्रेय का नामजप विशिष्ट रूप से पितरों के आध्यात्मिक कष्टों से निवारण का विदित उपाय है ।  दूसरी ओर, अपने जन्मानुसार पंथ के इष्टदेवता के नामजप से हमें आध्यात्मिक प्रगति के लिए पोषक, सर्वसामान्य आवश्यक आध्यात्मिक तत्त्व मिलते हैं । परंतु भगवान दत्तात्रेय के नामजप से आध्यात्मिक प्रगति नहीं होती; अपितु सुरक्षा-कवच मिलता है ।
इसे एक तुलनामक उदाहरण से समझते हैं । किसी को यदि सर्दी हुई हो, तो उसे विटामिन सी की अतिरिक्त मात्रा लेनी पडती है । यहां विटामिन सी, भगवान दत्तात्रेय का जप है । विटामिन सी के साथ हम अच्छे स्वास्थ्य के लिए हम मल्टी विटामिन्स (अर्थात अपने जन्मानुसार पंथ के इष्टदेवता का नामजप) लेते हैं
जब हम ‘श्री गुरुदेव दत्त’ का नामजप करते हैं; तब भगवान दत्तात्रेय का चैतन्य हमारी ओर आकर्षित होता है, इससे निम्नलिखित लाभ होते हैं :-
  1. हमारी स्थूल एवं सूक्ष्मदेह के चारों ओर सुरक्षा-कवच निर्मित होता है, जिससे हमारे पितरों द्वारा निर्माण की गर्इ बाधाओं से हम बच जाते हैं ।
  2. हमारे पितरों का हमारे साथ जो लेन-देन है, वह चुकाने में सहायता होती है, जिससे उनका हम पर होने वाला  दुष्प्रभाव घट जाता है ।
  3. हमारे पितरों की आगे की यात्रा सुगम होने में सहायता होती है।
तथापि जप का लाभ, हमारे आध्यात्मिक स्तर तथा जप की संख्यात्मक एवं गुणात्मक मात्रा पर निर्भर करता है ।
हम ‘श्री गुरुदेव दत्त’ का सुरक्षा-कवच जप कष्ट की तीव्रता के अनुरूप प्रतिदिन जपने का परामर्श देते हैं, क्योंकि यह हमारे जीवन में आध्यात्मिक बाधाओं को मूल रूप से दूर करने में विदित जप है । उत्तम होगा कि हम यह जप प्रतिदिन प्रात:काल में करें, जिससे पूरे दिन आध्यात्मिक रूप से हमारा  रक्षण होगा । इसके उपरांत पूरा दिन हम अपने जन्मानुसार, पंथ के इष्टदेवता का जप कर सकते हैं ।
पितरों के कष्टों की तीव्रता के अनुरूप, उसे दूर करने के लिए हम ‘ श्री गुरुदेव दत्त’ के नामजप की मात्रा का सुझाव देते हैं । यह आध्यात्मिक शोध एवं ज्ञान पर आधारित है, जो हमें विश्वमन तथा विश्वबुद्धि से अतिजाग्रत छठवीं इंद्रिय के माध्यम से मिलता है ।
  1. यदि किसी को पितरों का कष्ट नहीं है अथवा अल्प मात्रा में है; तो भगवान दत्तात्रेय का जप १-२ घंटे करें, जिससे ऐसे कष्टों से भविष्य में बच सकें ।
  2. यदि कष्ट मध्यम हो, तो २-४ घंटे जप करें ।
  3. यदि कष्ट तीव्र हो तो ‘श्री गुरुदेव दत्त’ का जप ४-६ घंटे करें ।
टिप्पणी :  वर्तमान तथा भविष्य काल में, पितृदोष एवं अनिष्ट शक्तियों की पीडा की तीव्रता को ध्यान में रखते हुए, उपरोक्त नामजप की संख्या निर्धारित की गर्इ है ।कष्ट किस प्रकार के होते हैं, यह जानने के लिए पितृदोष क्या है ? यह लेख अवश्य पढें । निम्नांकित सारणी कष्ट की तीव्रता एवं उनके लक्षण दिए हैं ।
प्रकार लक्षण
मंद चर्म रोग, वैवाहिक संबंधों में अनबन
मध्यम विवाह-विच्छेद, मंद बुद्धि संतान की प्राप्ति
तीव्र गर्भपात, किसी परिवार के सदस्य की बचपन में मृत्यु होना
टिप्पणी : यदि कष्ट तीव्र हों, तो विशिष्ट आध्यात्मिक विधियां भी कर सकते हैं । इस विषय में अधिक जानकारी आगामी लेखों में दी जाएगी ।

।।जय हिंदुत्व।। ।।जय श्रीराम।। ।।जय महाकाल।।

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