शंका- आत्मा मृत्यु के पश्चात कितने समय में दूसरा जन्म लेती हैं?
समाधान- यजुर्वेद 39/6 मंत्र में इस शंका का समाधान मिलता हैं। यजुर्वेद के अनुसार आत्मा शरीर का त्याग करने के पश्चात सूर्य,अग्नि अथवा प्रकाश, वायु, आदित्य अथवा महीना, चंद्रमा, वसंत आदि ऋतु, मनुष्यादि प्राणी, बड़ो का रक्षक सूत्रात्मा वायु, प्राण, उदान,बिजुली, सब दिव्य गुणों को प्राप्त होता हैं। महात्मा नारायण स्वामी जी के अनुसार यह अवस्थाएँ हैं क्रम से हैं नाकि दिन हैं एवं इतने अल्प समय में आत्मा अपने सूक्षम शरीर के साथ स्थूल शरीर की प्राप्ति के लिए पुनर्जन्म की अवस्था में पहुँच जाती हैं जिसका परिमाण मनुष्य द्वारा निर्मित कोई भी घड़ी नहीं लगा सकती। यही सन्देश छान्दोग्योपनिषद में भी मिलता हैं। बृहदारनायकोपनिषद् के अनुसार जैसे एक किट अपने आगे के पैर टिका कर पिछले पैर उठा लेता हैं वैसे ही एक आत्मा एक शरीर का त्याग कर अगला शरीर धारण कर लेती हैं।
यह मनुष्यों का भ्रम मात्र हैं की आत्मा भूत बनकर भटकती रहती हैं एवं श्राद्धों में पितर दान से उनको शांति मिलती हैं।
समाधान- यजुर्वेद 39/6 मंत्र में इस शंका का समाधान मिलता हैं। यजुर्वेद के अनुसार आत्मा शरीर का त्याग करने के पश्चात सूर्य,अग्नि अथवा प्रकाश, वायु, आदित्य अथवा महीना, चंद्रमा, वसंत आदि ऋतु, मनुष्यादि प्राणी, बड़ो का रक्षक सूत्रात्मा वायु, प्राण, उदान,बिजुली, सब दिव्य गुणों को प्राप्त होता हैं। महात्मा नारायण स्वामी जी के अनुसार यह अवस्थाएँ हैं क्रम से हैं नाकि दिन हैं एवं इतने अल्प समय में आत्मा अपने सूक्षम शरीर के साथ स्थूल शरीर की प्राप्ति के लिए पुनर्जन्म की अवस्था में पहुँच जाती हैं जिसका परिमाण मनुष्य द्वारा निर्मित कोई भी घड़ी नहीं लगा सकती। यही सन्देश छान्दोग्योपनिषद में भी मिलता हैं। बृहदारनायकोपनिषद् के अनुसार जैसे एक किट अपने आगे के पैर टिका कर पिछले पैर उठा लेता हैं वैसे ही एक आत्मा एक शरीर का त्याग कर अगला शरीर धारण कर लेती हैं।
यह मनुष्यों का भ्रम मात्र हैं की आत्मा भूत बनकर भटकती रहती हैं एवं श्राद्धों में पितर दान से उनको शांति मिलती हैं।
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