आचार्य चाणक्य द्वारा रचित चाणक्य नीति में
सफलता प्राप्त करने के लिए अनेक सूत्र दिए गए हैं। जिन्हें जीवन में
उतारने वाले व्यक्ति को निश्चित ही हर कदम सफलता प्राप्त होगी। आचार्य
चाणक्य कहते हैं कि-
द्वारपाल, सेवक, पथिक, समय क्षुधातुर पाय।
द्वारपाल, सेवक, पथिक, समय क्षुधातुर पाय।
भंडारी विद्यारथी, सोवत सात जगाय।।
द्वारपाल, नौकर, राहगीर, भूखा व्यक्ति, भंडारी, विद्यार्थी और डरे हुए व्यक्ति को नींद में से तुरंत उठा देना चाहिए।
आचार्य चाणक्य की यह नीति आज के समय में भी सटीक है। यदि कोई विद्यार्थी अधिकांश समय सोने में व्यतीत करता है तो उसे अच्छा परिणाम प्राप्त नहीं हो सकता। अत: सोते हुए विद्यार्थी को नींद से जगा देना चाहिए। इसी प्रकार यदि कोई मालिक काम के समय में नौकर सोता हुआ देख ले तो उसे नौकरी से निकाल देगा। अत: उसे भी उठा देना चाहिए। कोई राहगीर या यात्री कहीं रास्ते में सोता हुआ दिखाई दे तो उसे भी तुरंत उठा देना चाहिए। क्योंकि ऐसे में उसके सामान की चोरी का भय रहता है। इसी प्रकार यदि कोई भूखा व्यक्ति सोता हुआ दिखाई दे तो उसे भी उठा देना चाहिए और खाना खिला देना चाहिए।
चाणक्य कहते हैं कि अगर कोई भण्डार गृह का रक्षक, द्वारपाल या कोई डरा हुआ व्यक्ति सो रहा है तो इन्हें भी तुरंत उठा देना चाहिए क्योंकि इनके सोने से बहुत से लोगों को हानि का सामना करना पड़ सकता है।
द्वारपाल, नौकर, राहगीर, भूखा व्यक्ति, भंडारी, विद्यार्थी और डरे हुए व्यक्ति को नींद में से तुरंत उठा देना चाहिए।
आचार्य चाणक्य की यह नीति आज के समय में भी सटीक है। यदि कोई विद्यार्थी अधिकांश समय सोने में व्यतीत करता है तो उसे अच्छा परिणाम प्राप्त नहीं हो सकता। अत: सोते हुए विद्यार्थी को नींद से जगा देना चाहिए। इसी प्रकार यदि कोई मालिक काम के समय में नौकर सोता हुआ देख ले तो उसे नौकरी से निकाल देगा। अत: उसे भी उठा देना चाहिए। कोई राहगीर या यात्री कहीं रास्ते में सोता हुआ दिखाई दे तो उसे भी तुरंत उठा देना चाहिए। क्योंकि ऐसे में उसके सामान की चोरी का भय रहता है। इसी प्रकार यदि कोई भूखा व्यक्ति सोता हुआ दिखाई दे तो उसे भी उठा देना चाहिए और खाना खिला देना चाहिए।
चाणक्य कहते हैं कि अगर कोई भण्डार गृह का रक्षक, द्वारपाल या कोई डरा हुआ व्यक्ति सो रहा है तो इन्हें भी तुरंत उठा देना चाहिए क्योंकि इनके सोने से बहुत से लोगों को हानि का सामना करना पड़ सकता है।
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