Wednesday, June 17, 2015

जीवन में सफलता की कुंजी



जिस समय रावण मरणासन्न अवस्था में था, उस समय भगवान श्रीराम ने लक्ष्मण से कहा कि इस संसार से नीति, राजनीति और शक्ति का महान् पंडित विदा ले रहा है, तुम
 उसके पास जाओ और उससे जीवन की कुछ ऐसी शिक्षा ले लो जो और कोई नहीं दे सकता। श्रीराम की बात मानकर लक्ष्मण मरणासन्न अवस्था में पड़े रावण के सिर के नजदीक जाकर खड़े हो गए

शिक्षा मिलती है विनम्रता से, अधिकार से नहीं
कुछ देर इंताजार और अपने को अपमानित महसूस करने के बाद लक्ष्‍मण श्री राम के पास पहुंचे और बोले, 'भइया! मरणासन्‍न पड़ा है लेकिन इसका का अहंकार...' इससे पहले लक्ष्‍मण अपनी बात पूरी कर पाते श्री राम ने बीच में टोका, 'लक्ष्‍मण मेरे भाई! अहंकार रावण में नहीं तुममे है. विजयी होने का. रावण युद्ध हार चुका है. अब वह हमारा शत्रु नहीं है. तुम उससे कुछ लेने गए थे तो उसके पैरों के पास याचक की मुद्रा में खड़े होते लेकिन तुम तो सिर के पास आदेश वाली मुद्रा में खड़े थे. शिक्षा पाने के लिए अधिकार नहीं विनम्रता की जरूरत होती है.यदि किसी से ज्ञान प्राप्त करना हो तो उसके चरणों के पास खड़े होना चाहिए न कि सिर की ओर।' लक्ष्‍मण बात समझ गए वे तुरंत  वहां से जाकर रावण के पैरों के पास खड़े होकर शिक्षा देने के लिए अनुरोध किया.

उस समय महापंडित रावण ने लक्ष्मण को तीन बातें बताई जो जीवन में सफलता की कुंजी है!

1-शुभस्‍य शीघ्रम
पहली बात जो रावण ने लक्ष्मण को बताई वह ये थी कि शुभ कार्य जितनी जल्दी हो कर डालना और अशुभ को जितना टाल सकते हो टाल देना चाहिए यानी शुभस्य शीघ्रम्। मैंने श्रीराम
 को पहचान नहीं सका और उनकी शरण में आने में देरी कर दी, इसी कारण मेरी यह हालत हुई।

2-प्रतिद्वंद्वी को कमजोर न समझो
दूसरी बात यह कि अपने प्रतिद्वंद्वी, अपने शत्रु को कभी अपने से छोटा नहीं समझना चाहिए, मैं यह भूल कर गया। मैंने जिन्हें साधारण वानर और भालू समझा उन्होंने मेरी पूरी सेना को नष्ट कर दिया। मैंने जब ब्रह्माजी से अमरता का वरदान मांगा था तब मनुष्य और वानर के अतिरिक्त कोई मेरा वध न कर सके ऐसा कहा था क्योंकि मैं मनुष्य और वानर को तुच्छ समझता था। मेरी मेरी गलती हुई।

3-राज को राज ही रहने दो
रावण ने लक्ष्मण को तीसरी और अंतिम बात ये बताई कि अपने जीवन का कोई राज हो तो उसे किसी को भी नहीं बताना चाहिए। यहां भी मैं चूक गया क्योंकि विभीषण मेरी मृत्यु
 का राज जानता था। ये मेरे जीवन की सबसे बड़ी गलती थी.

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