रघुपति राघव राजा राम इस भजन का नाम है.."राम धुन" जो कि बेहद लोकप्रिय भजन था.. महात्मा गाँधी ने
इस में परिवर्तन करते हुए अल्लाह शब्द जोड़
दिया..
आप भी नीचे देख लीजिए..असली भजन और
महात्मा गाँधी द्वारा बेहद चालाकी से किया गया परिवर्तन..
महात्मा गाँधी का भजन
रघुपति राघव राजाराम,
पतित पावन सीताराम
सीताराम सीताराम,
भज प्यारे तू सीताराम
ईश्वर अल्लाह तेरो नाम,
सब को सन्मति दे भगवान
*असली राम धुन भजन
रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम
सुंदर विग्रह मेघश्याम
गंगा तुलसी शालग्राम
भद्रगिरीश्वर सीताराम भगत-जनप्रिय सीताराम
जानकीरमणा सीताराम
जयजय राघव सीताराम
अब सवाल ये उठता है, की मोहन दास
करमचंद गाँधी को ये अधिकार किसने दिया की हमारे हिंदुत्व पर उंगली उठा दे.. हमारे श्री राम
को सुमिरन करने के भजन में ही अल्लाह को घुसा दे..
क्या वो खुद को ही भगवान समझता था?
या भगवान से भी उपर..?
अल्लाह का हमसे क्या संबंध?
क्या अब हिंदू अपने ईष्ट देव का ध्यान भी अपनी मर्ज़ी से नही ले सकता..?
क्या ज़रूरत थी अल्लाह को हमारे भजन के बीच में घुसाने की???
कितना नीच एवं कलंकित कार्य किया..इस
व्यक्ति ने.. अगर आज ये जिंदा होता तो हमारे क्रोध
का शिकार हो गया होता।
और जिस भी व्यक्ति को हमारी बात से कष्ट हुआ हो..वो इसी भजन को अल्लाह शब्द वाला संस्करण ज़रा किसी मस्जिद मे चलवा कर दिखा दे.. फिर हमसे कोई
गीला शिकवा करे ।
मज़ाक बना के रख दिया है..मेरे धर्म का इन कलयुग के राक्षस रूपी पाप आत्माओं ने।
अब और नही सहा जाएगा.
क्या आप सह पाएँगे?
नीचे दिए लिंक पर सत्यता का प्रमाण दिया गया है.. जिसको शंका हो जाँच ले ।
http://en.m.wikipedia.org/wiki/Raghupati_Raghava_Raja_Ram
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