तोंद को
अंदर करना या पेट और कमर की चर्बी घटाना कोई मुश्किल काम नहीं। यह बहुत
आसान है। लेकिन व्यक्ति के भीतर संकल्प और मन को काबू में करने की
इच्छाशक्ति नहीं है इसलिए यह कार्य बहुत ही मुश्किल नजर आता है।
अब हम आपको बताएंगे कि किस तरह योग के
मात्र एक आसन से आप अपनी तोंद को आश्चर्यजनक रूप से 29 दिन में पूरी तरह से
समाप्त कर सकते हैं। बस, चाहिए दृढ़ इच्छाशक्ति... तो क्या करना होगा
आपको? आगे पढ़िए आसन को बताने से पूर्व कुछ जरूरी हिदायत...
* यदि आप किसी गंभीर रोग से
ग्रस्त हैं, पेट संबंधी किसी बीमारी से जूझ रहे हैं या आप रीढ़ संबंधी रोग
से ग्रस्त हैं, तो आप यह आसन कतई न करें। अगर आपकी पीठ या कंधों में चोट हो
या आप उच्च रक्तचाप के शिकार हों तब भी यह आसन न करें।
* आप पेट साफ करने के लिए इसबगोल की भूसी
का सेवन करें, प्रतिदिन नींबू रस पीएं या इसी तरह के किसी प्राकृतिक उपाय
को अपनाएं। यह इसलिए कि आपके पेट को पहले नरम बनाना जरूरी है तभी यह अंदर
हो पाएगा।
यदि आप ऊपर की शर्तों का पालन करने के लिए तैयार हैं, तो अगले पन्ने पर जानिए कौन सा है वह आसन, जो 29 दिन में आपकी तोंद को बना देगा 20 साल की उम्र का पेट...
कुंभकासन (Kumbhkasana) :
कुंभकासन और चतुरंग दंडासन के मिले-जुले रूप को आजकल पश्चिम में प्लंक
(plank) कहा जाता है। प्लंक को हिन्दी में काष्ठफलक कहा जाता है। प्लंक के
नाम से योगासन ही किए जाते हैं। दरअसल, यह सूर्य नमस्कार की 5वीं स्टेप है।
यह आसन देखने में आसान है, लेकिन करने में
कठिन। इसे योग का सबसे असरदार आसन माना जाता है। 1 से 2 मिनट के लिए आप
प्लंक मुद्रा में नहीं रह सकते हैं, लेकिन आपको शुरुआत में 1 मिनट रहना
चाहिए। फिर धीरे-धीरे आप समय बढ़ाएं और इसे 5 मिनट तक ले जाएं। चित्र में
दिखाए गए सबसे नीचे वाला चित्र प्लंक योगासन है जिसे चतुररंगासन भी कह सकते
हैं।
विधि :
सबसे पहले शवासन में सोते हुए मकरासन में लेट जाएं। अब अपनी कोहनी और हाथ
के पंजे को भूमि कर रखें। फिर छाती, पेट, कम और पुष्ठिका को उपर उठाते हुए
पैर के पंजे सीधे कर दें। इस स्थिति में आपके शरीर का बल या वजन पूर्णत:
हाथ के पंजे, कोहनी और पैर के पंजों पर आ जाएगा। अप गर्दन सहित रीढ़ की
हड्डी को सीधा करें। इस स्थिति में रीढ़ सीधी रेखा में होना चाहिए। बिल्कुल
एक लकड़ी का तख्ते या पल्ले जैसी।
इस तरह की समझे : चटाई
पर पेट के बल लेट जाएं। अब अपनी हथेलियों को अपने चेहरे के आगे रखें और
पैरों को इस तरह मोड़ें कि पंजे जमीन को धकेल रहे हों। अब हाथ को आगे की
तरफ पुश करें और अपनी पुष्टिका को हवा में उठाएं। आपके पैर जमीन से यथासंभव
सटे होने चाहिए और गर्दन ढीली होनी चाहिए। इसे अधोमुख स्वानासन के नाम से
भी जाना जाता है। यहां तक पहुंचने के बाद सांस अंदर लें और अपने धड़ को इस
तरह नीचे ले जाएं कि आपकी बांहों का बल जमीन पर लग रहा हो ताकि आपकी छाती
और कंधे, सीधा उन पर टिके हों। इस मुद्रा में तब तक रहें, जब तक कि सहज हो।
आसन से बाहर आने के लिए सांस छोड़ें और आराम से शरीर को फर्श पर लेटने
दें।
अब यदि आप चाहें तो भुजंगासन,
शलभासन, नौकासन, उष्ट्रासन, धनुरासन भी कर सकते हैं। उत्तम भोजन के साथ यदि
आप यह आसन 29 दिनों बाद भी जारी रखेंगे तो जीवन में कभी तोंद नहीं निकलेगी और कभी किसी भी प्रकार का रोग नहीं होगा। आपकी काया निरोगी बनी रहेगी।
अगले पन्ने पर इस आसन के चमत्कारिक लाभ...
अगले पन्ने पर इस आसन के चमत्कारिक लाभ...
ये आपकी बाहों, कंधों, पीठ,
पुष्टिकाओं, जंघाओं को तो मजबूत करेगा ही सही, साथ ही यह बहुत तेजी से
आपके पेट और कमर की चर्बी को हटाकर तोंद को समाप्त कर देगा। शरीर में मजबूत एब्स के लिए यह आसन बेहतरीन है।
यह आसन पेट और गुदा संबंधी कई रोग में लाभदायक है। इससे सेक्स पॉवर में बढ़ोतरी होती है। छाती, फेंफड़े और लिवर मजबूत को यह आसन मजबूत करता है।
यह आसन पेट और गुदा संबंधी कई रोग में लाभदायक है। इससे सेक्स पॉवर में बढ़ोतरी होती है। छाती, फेंफड़े और लिवर मजबूत को यह आसन मजबूत करता है।
मूत्र विकार में भी यह आसन आपकी सहायता
करता है। किडनी संबंधी रोग में भी यह लाभदायक है। पाचन क्रिया इससे मजबूत
होती है और कब्ज जैसी बीमारियों दूर हो जाती है।
।।जय हिंदुत्व।। ।।जय श्रीराम।। ।।जय महाकाल।। ।।जय श्रीकृष्ण।।
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