अधिकतर लोग दिन में सिर्फ एक बार ही सुबह के समय स्नान करते हैं। सुबह उठने के बाद तो सभी स्नान करते हैं, लेकिन आचार्य चाणक्य द्वारा कुछ और स्थितियां भी बताई गई हैं, जब नहाना जरूरी होता है।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि…
“तैलाभ्यङ्गे चिताधूमे मैथुने क्षौरकर्मणि।
तावद् भवति चाण्डालो यावत् स्नानं न चाचरेत्।”
“तैलाभ्यङ्गे चिताधूमे मैथुने क्षौरकर्मणि।
तावद् भवति चाण्डालो यावत् स्नानं न चाचरेत्।”
पहला काम - तेल मालिश के बाद स्नान जरूरी है चाणक्य ने बताया है कि स्वस्थ्य शरीर और चमकदार त्वचा के लिए जरूरी है कि सप्ताह में कम से कम एक बार पूरे शरीर पर तेल मालिश की जानी चाहिए। तेल मालिश के बाद शरीर के रोम छिद्र खुल जाते हैं और अंदर का मेल बाहर हो जाता है। अत: तेल मालिश के तुरंत बाद नहा लेना चाहिए। इससे शरीर का समस्त मेल और तेल साफ हो जाता है। त्वचा में चमक आती है। तेल मालिश के बाद बिना नहाए बाहर जाना अशुभ माना जाता है।
दूसरा काम- शवयात्रा से लौटकर स्नान करना जरूरी है यदि कोई व्यक्ति किसी मृतक की अंतिम यात्रा में जाता है या श्मशान जाता है तो वहां से आने के तुरंत बाद भी नहा लेना चाहिए। श्मशान के वातावरण में कई प्रकार के कीटाणु रहते हैं जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। श्मशान जाने पर ये कीटाणु हमारे बालों में और कपड़ों पर चिपक जाते हैं, यदि इन्हें साफ न किया जाए तो यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। अत: वहां से घर आकर तुरंत नहा लेना स्वास्थ्य के लिए श्रेष्ठ रहता है।
तीसरा काम- स्त्री प्रसंग के बाद स्नान जरूरी है
स्त्री हो या पुरुष, प्रेम-प्रसंग (काम क्रिया) के बाद भी नहाना जरूरी माना गया है। इस काम के बाद स्त्री और पुरुष, दोनों ही अपवित्र हो जाते हैं। इसके बाद जब तक नहाएंगे नहीं, तब तक किसी भी धार्मिक कार्य के लिए योग्य नहीं हो सकते हैं। आचार्य चाणक्य के अनुसार इस काम के बाद बिना नहाए, कहीं बाहर नहीं जाना चाहिए।
चौथा काम- बाल कटवाने के बाद स्नान जरूरी है
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि हजामत (बाल कटवाना) करवाने के बाद भी तुरंत स्नान कर लेना चाहिए। बाल कटवाने के बाद पूरे शरीर पर छोटे-छोटे बाल चिपक जाते हैं जो कि नहाने के बाद ही शरीर से साफ हो सकते हैं। अत: इस कार्य के बाद तुरंत नहाना चाहिए।
।।जय हिंदुत्व।। ।।जय श्रीराम।। ।।जय महाकाल।। ।।जय श्रीकृष्ण।।
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