नास्त्रेदम की भविष्य वाणियों को जोर जोर से दोहराने वाले तथा उसका अपनी सुविधा से अर्थ करने वाले पश्चिमी सभ्यता के अनुगामी
जरा अपने ही पुराणो को पढ़ लो थोडी संस्कृत सीख लो
जहा तक आधुनिक विज्ञान आज तक नहीं पंहुचा है
उसे समझ नहीं आ रहा है
वहा तक तो वे अंग्रेजी लेखको की काल गणना को मान ले तो भी वे पुराण आज से 1000 से 2000 वर्ष पहले लिखे गए
जब आधुनिक विज्ञान का जन्म नहीं हुया था
उनमे लिखी बाते तो झूठी और तुम्हारी बाते सत्य।
गैलीलियो का यह परिचय विकिपीडिया पर दर्ज है
इस महान विचारक का जन्म आधुनिक इटली के पीसा नामक शहर मे एक संगीतज्ञ परिवार में हुआ था। आधुनिक इटली का शहर पीसा 15 फ़रवरी 1564 केा महान वैज्ञानिक गैलीलियो गैली के जन्म को भी ईश्वर की रचना का दोष मानकर ऐतिहासिक भूल कर बैठा था। गैलीलियो के द्वारा प्रतिपादित सिंद्वांतो से धार्मिक मान्यताओं का खंडन होता था जिसके लिये गैलीलियो को ईश्वरीय मान्यताओं से छेडछाड करने के लिये सारी उम्र कारावास की सजा सुनायी गयी। इनके पिता विन्सौन्जो गैलिली उस समय के जाने माने संगीत विशेषज्ञ थे। वे ‘ ल्यूट ’ नामक वाद्य यंत्र बजाते थे, यही ल्यूट नामक यंत्र बाद में गिटार और बैन्जो के रूप में विकसित हुआ। अपनी संगीत रचना के दौरान विन्सौन्जो गैलिली ने तनी हुयी डोरी या तार के तनाव और उससे निकलने वाले स्वरों का गहनता से अध्ययन किया तथा यह पाया कि डोरी या तार के तनाव और उससे निकलने वाली आवाज में संबंध है। पिता के द्वारा संगीत के लिये तनी हुयी डोरी या तार से निकलने वाली ध्वनियों के अंतरसंबंधों के परिणामों का वैज्ञानिक अध्ययन उनके पुत्र गैलीलियो द्वारा किया गया। इस अध्ययन को करने के दौरान बालक गैलीलियो के मन में सुग्राहिता पूर्ण प्रयोग करते हुये उनके परिणामो को आत्मसात करने की प्रेरणा प्रदान की। इनको परीक्षा मूलक (प्रयोगात्मक) विज्ञान का जनक माना जाता है। इन्होंने दोलन का सूत्र का प्रतिपादन किया। इन्होंने दूरबीन का आविष्कार किया। उसने दूरदर्शी यंत्र को अधिक उन्नत बनाया। उसकी सहायता से अनेक खगोलीय प्रेक्षण लिये तथा कॉपरनिकस के सिद्धान्त का समर्थन किया। उन्हें आधुनिक प्रायोगिक खगोलिकी का जनक माना जाता है
इस से पहले भारतीय ज्योतिष वेत्ता ग्रह की गति उसके प्रभाव ग्रहण आदि की गणना कर चुके थे
रहा सवाल दूरबीन बनाने का तो नीचे एक शिल्प है
जो कर्णाटक के बेलूर में चिन्ना केशव स्वामी के मंदिर में है
जो मंदिर पूरा का पूरा गैलीलियो के जन्म से पांच सौ साल पहले बन गया था
जिसमे यह दूरबीन के प्रयोग का चित्र देखे
अब यह कैसे माना जावे की दूरबीन का आविष्कार गैलीलियो ने किया
।।जय हिंदुत्व।।
।।जय श्रीराम।।
।।जय महाकाल।।
।।जय श्रीकृष्ण।।रहा सवाल दूरबीन बनाने का तो नीचे एक शिल्प है
जो कर्णाटक के बेलूर में चिन्ना केशव स्वामी के मंदिर में है
जो मंदिर पूरा का पूरा गैलीलियो के जन्म से पांच सौ साल पहले बन गया था
जिसमे यह दूरबीन के प्रयोग का चित्र देखे
अब यह कैसे माना जावे की दूरबीन का आविष्कार गैलीलियो ने किया
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