Friday, July 3, 2015

श्री गणेश सुख-समृद्धि के दाता..


हिन्दू धर्म शास्त्रों के मुताबिक प्रथम पूज्य देवता श्री गणेश बुद्धि, श्री यानी सुख-समृद्धि के दाता हैं। उनकी उपासना और स्वरूप मंगलकारी माने गए हैं। गणेश के इस नाम का शाब्दिक अर्थ – भयानक या भयंकर होता है। गणेश की शारीरिक रचना में मुख हाथी का तो धड़ पुरुष का है। सांसारिक दृष्टि से यह विकट स्वरूप ही माना जाता है, लेकिन श्री गणेश के इस स्वरूप में धर्म और व्यावहारिक जीवन से जुड़े गुढ़ संदेश है। आइए जानते हैं श्री गणेश से जुड़े ऐसे ही कुछ गुढ़ रहस्यों के बारे में....

गणेश जी का वाहन मूषक क्यों : भगवान गणेश की शारीरिक बनावट के मुकाबले उनका वाहन चूहा काफी छोटा है। चूहे का काम किसी चीज को कुतर डालना है। वह चीर-फाड़ कर उसके हर अंग का विश्लेषण करता है। गणेश बुद्धि के अधिष्ठाता हैं। तर्क-वितर्क में वे बेजोड़ हैं। इसी प्रकार मूषक भी तर्क-वितर्क में पीछे नहीं हैं। काट छांट में उसका कोई सानी नहीं है। मूषक के इन्हीं गुणों को देखकर उन्होंने इसे वाहन चुना है।

गणेश जी की सूंड का रहस्य : गजानन की सूंड हमेशा हिलती डुलती रहती है, जो उनके सचेत होने का संकेत है। इसके संचालन से दु:ख और गरीबी खत्म होती है। अनिष्टकारी शक्तियां डरकर भाग जाती हैं। यह सूंड जहां बड़े-बड़े दिग्पालों को भयभीत करती है, वहीं देवताओं का मनोरजंन भी करती है। इस सूंड से श्री गणेश, ब्रह्मा पर पानी एवं फूल बरसाते है। सूंड के दायीं और बायीं ओर होने का अपना महत्व है।

बड़ा पेट : गणेश जी का पेट बहुत बड़ा है। इसी कारण उन्हें लंबोदर भी कहा जाता है। लंबोदर होने का कारण यह है कि वे हर अच्छी और बुरी बात को पचा जाते हैं और किसी भी बात का निर्णय सूझबूझ के साथ लेते हैं। वे संपूर्ण वेदों के ज्ञाता है। संगीत और नृत्य आदि विभिन्न कलाओं के भी जानकार हैं।

लंबे कान : श्री गणेश लंबे कान वाले हैं। इसलिए उन्हें गजकर्ण भी कहा जाता है। लंबे कान वाले भाग्यशाली होते हैं। लंबे कानों का एक रहस्य यह भी है कि वह सबकी सुनते हैं और अपनी बुद्धि और विवेक से ही किसी काम की शुरुआत करते हैं। बड़े कान हमेशा चौकन्ना रहने के भी संकेत देते हैं।

।।जय हिंदुत्व।। ।।जय श्रीराम।। ।।जय महाकाल।। ।।जय श्रीकृष्ण।।

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