पानी
बाबा आया, ककड़ी-भुट्टा लाया.... यह बरसात के मौसम में हर बच्चा गुनगुनाता
है। इन दिनों भुट्टों की बहार आई है। ताजा नर्म और गुलाबी पीले भुट्टे
बरबस ही मन मोह लेते हैं और अगर उन्हें जब आप सिंकते हुए देखते हैं तो उसकी
खुशबू आपको दीवाना बना देती है। नींबू नमक के साथ इनका स्वाद और बढ़ जाता
है। आइए जानते हैं सेहत के लिए भुट्टे कितने फायदेमंद हैं।
सबसे पहली बात तो यह है कि बड़ों को साथ-साथ बच्चों को भी भुट्टे अवश्य खिलाने चाहिए इससे उनके दांत मजबूत होते हैं।
दूसरी बात कि जब आप भुट्टे खाएं तो दानों को खाने के बाद जो भुट्टे का भाग
बचता है उसे फेंकें नहीं बल्कि उसे बीच से तोड़ लें और उसे सूंघें। इससे
जुकाम में बड़ा फायदा मिलता है। बाद में इसे जानवर को खाने के लिए डाल सकते
हैं।
तीसरा फायदा भी कम दिलचस्प नहीं
है। अगर आप इसे जानवर को नहीं देते हैं तो उन्हें सूखाकर रखें फिर इन्हें
जलाकर राख बना कर रख लें। सांस के रोगों में यह बड़ा कारगर इलाज है। इस राख
को प्रतिदिन गुनगुने पानी के साथ फांकने से खांसी का इलाज होता है। खांसी
कैसी भी हो यह चूर्ण लाभ देता ही है। यहां तक कि कुकर खांसी में भी बड़ी
राहत मिलती है।
आयुर्वेद के अनुसार भुट्टा तृप्तिदायक, वातकारक, कफ, पित्तनाशक, मधुर और
रुचि उत्पादक अनाज है। इसकी खासियत यह है कि पकाने के बाद इसकी पौष्टिकता
और बढ़ जाती है।
पके हुए भुट्टे में पाया जाने वाला कैरोटीनायड विटामिन-ए का अच्छा स्रोत होता है।
भुट्टे को पकाने के बाद उसके 50 प्रतिशत एंटी-ऑक्सीअडेंट्स बढ़ जाते हैं।
यह बढती उम्र को रोकता है और कैंसर से लड़ने में मदद करता है। पके हुए
भुट्टे में फोलिक एसिड होता है जो कि कैंसर जैसी बीमारी में लड़ने में बहुत
मददगार होता है।
इसके अलावा भुट्टे में मिनरल्स और विटामिन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
भुट्टे को एक बेहतरीन कोलेस्ट्रॉल फाइटर माना जाता है, जो दिल के मरीजों के लिए बहुत अच्छा है।
बच्चों के विकास के लिए भुट्टा बहुत फायदेमंद माना जाता है। ताजे दूधिया
(जो कि पूरी तरह से पका न हो) मक्का के दाने पीसकर एक खाली शीशी में भरकर
उसे धूप में रखिए। जब उसका दूध सूख कर उड़ जाए और शीशी में केवल तेल रह जाए
तो उसे छान लीजिए। इस तेल को बच्चों के पैरों में मालिश कीजिए। इससे
बच्चों का पैर ज्यादा मजबूत होगा और बच्चा जल्दी चलने लगेगा।
इस तेल को पीने से शरीर शक्तिशाली होता है। हर रोज एक चम्मच तेल को चीनी के बने शर्बत में मिलाकर पीने से बल बढ़ता है।
ताजा मक्का के भुट्टे को पानी में उबालकर उस पानी को छानकर मिश्री मिलाकर
पीने से पेशाब की जलन व गुर्दों की कमजोरी समाप्त हो जाती है।
टीबी के मरीजों के लिए मक्का बहुत फायदेमंद है। टीबी के मरीजों को या
जिन्हें टीबी होने की आशंका हो हर रोज मक्के की रोटी खाना चाहिए। इससे टीबी
के इलाज में फायदा होगा।
मक्के के बाल (सिल्क) का उपयोग पथरी रोगों की चिकित्सा मे होता है। पथरी
से बचाव के लिए रात भर सिल्क को पानी मे भिगोकर सुबह सिल्क हटाकर पानी पीने
से लाभ होता है। पथरी के उपचार में सिल्क को पानी में उबालकर बनाये गये
काढ़े का प्रयोग होता है।
यदि गेहूं के आटे के स्थान पर मक्के के आटे का प्रयोग करें तो यह लीवर के लिए अधिक लाभकारी है।
यह प्रचूर मात्रा में रेशे से भरा हुआ है इसलिए इसे खाने से पेट अच्छा
रहता है। इससे कब्ज, बवासीर और पेट के कैंसर के होने की संभावना दूर होती
है।
भुट्टे के पीले दानों में बहुत सारा मैगनीशियम, आयरन, कॉपर और फॉस्फोरस पाया जाता है जिससे हड्डियां मजबूत बनती हैं।
खुजली के लिए भी भुट्टे का स्टॉर्च प्रयोग किया जाता है। इससे त्वचा खूबसूरत और चिकनी बन जाती है।
एनीमिया को दूर करने के लिए भुट्टा खाना चाहिए क्योंकि इसमें विटामिन बी और फोलिक एसिड होता है ।
भुट्टा दिल की बीमारी को भी दूर करने में सहायक है क्योंकि इसमें विटामिन
सी, कैरोटिनॉइड और बायोफ्लेवनॉइड पाया जाता है। यह कोलेस्ट्रॉल लेवल को
बढ़ने से बचाता है और शरीर में खून के प्रवाह को भी बढ़ाता है।
इसका सेवन प्रेगनेंसी में भी बहुत लाभदायक होता है इसलिए गर्भवती
महिलाओं को इसे अपने आहार में जरुर शामिल करना चाहिए। क्योंकि इसमें इसमें
फोलिक एसिड पाया जाता है जो गर्भवती के लिए बेहद जरूरी है।
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