Sunday, July 5, 2015

धरती से संम्बंन्धित रोचक तथ्य



हम मनुष्य भिन्न-भिन्न घरों में रहते है,मगर एक ऐसा घर भी है जिसे हम सभी मनुष्य एक साथ साझा करते है, यहां पर हम धरती मां की बात कर रहे है जो कि इस सुर्य मंडल में एकलौता और ब्रहमाण्ड में अब तक का ज्ञात ऐसा ग्रह है जिस पर कि जीवन संम्भव है. आइए हमारे इस अद्भुत, नीले और जीवनदाएक ग्रह के बारे में कुछ रोचक तथ्य जानते है.
धरती पे कुल 500 सक्रीय ज्वालामुखी ऐसे है जिन्होंने धरती की सतह के निचले और उतले भाग का 80 प्रतीशत हिस्सा अपनी ज्वालामुखी राख से बनाया है.
धरती का वजन लगभग 6,588,000,000,000,000,000,000 टन है.
आज से 450 करोड़ साल पहले, सुर्य मंडल में मंगल के आकार का एक ग्रह था जो कि पृथ्वी के साथ एक ही ग्रहपथ पर सुर्य की परिक्रमा करता था. मगर यह ग्रह किसी कारण धरती से टकराया और एक तो धरती मुड गई और दूसरा इस टक्कर के फलसरूप जो पृथ्वी का हिस्सा अलग हुआ उससे चाँद बन गया.
धरती के गुरूत्वाकर्षण के कारण पर्वतों का 15,000 मीटर से ऊँचा होना संभव नही है.
धरती के सारे महाद्वीप पिछले 2.5 करोड़ साल से गति कर रहे है. यह गति टैकटोनिक प्लेटों की निरंतर गति के कारण है. हर महाद्वीप दूसरे महाद्वीप से भिन्न चाल से गति कर रहा है. जैसे के प्रशांत प्लेट 4 सैटीमीटर प्रति वर्ष जबकि उत्तरी अटलाटिंक 1 सैटीमीटर प्रति वर्ष गति करती है.
धरती पे मौजुद हर प्राणी में कार्बन जरूर है.
क्या आप जानते है कि धरती के सारे महाद्वीप आज से 6.5 करोड़ साल पहले एक दूसरे से जुडे हुए थे. वैज्ञानिको का मानना है कि धरती पर कोई उल्का पिंड गिरने जा फिर निरंतर ज्वालामुखीयों और ताकतवर भुकंपों के कारण यह महाद्वीप आपस से अलग होने लगे, इसी कारण धरती से डायनासोरो का अंत हुआ था. पहले जब सभी महाद्वीप जुडे हुए थे तब यह गोल रूप में थे और इसे वैज्ञानको ने 'पैंजीया' नाम दिया है.
पृथ्वी के सारे मनुष्य 1 वर्ग किलोमीटर के घन(cube) में समा सकते है.
धरती पर ताप का स्त्रोत केवल सुर्य नही है. ब्लिक धरती का अंदरूनी भाग पिघले हुए पदार्थों से बना है जो लगातार धरती के अंदरूनी ताप स्थिर रखता है. एक अनुमान के अनुसार इस अंदरूनी भाग का तापमान 5000 से 7000 डिगरी सैलसीयस है जो कि सुर्य की सतह के तापमान के बराबर है.
धरती पर हर रोज 45,00 बादल(मेघ) गरजते है.
धरती आकाश गंगा का एकलौता ऐसा ग्रह है जिसमें कि टैकटोनिक प्लेटों की व्यवस्था है.
लगभग हर साल 30,000 बाहरी अंतरिक्ष के पिंड धरती के वीयुमंडल मे दाखिल होते है. पर इनमें से ज्यादातर धरती के वायुमंडल के अंदर पहुँचने पर घर्षण के कारण जलने लगते है जिन्हें हम अकसर 'टूटता तारा' कहते है.
आम तौर पर माना जाता है कि शुक्र, सौर मंडल का सबसे चमकीला ग्रह है पर ऐसा नही है. अगर एक खास दूरी से सौर मंडल के सभी ग्रहों को देखा जाए तो धरती सबसे ज्यादा चमकीली नजर आएगी. ऐसा इसलिए है क्योंकि धरती का पानी सुर्य के प्रकाश को परिर्वतित कर देता है जिससे वह एक खास दूरी से सबसे चमकीली नजर आती है.
मनुष्य के द्वारा सबसे ज्यादा गहराई तक खोदा जाने वाला गड्ढा 1989 में रूस में खोदा गया था जिसकी गहराई 12.262 किलोमीटर थी.
धरती की सतह का सिर्फ 11 प्रतीशत हिस्सा ही भोजन उत्पादित करने के लिए उपयोग किया जाता है.
क्या आप जानते है कि धरती पूरी तरह से गोल नही है. ब्लिक इसके भू-मध्य रोखीए और ध्रुवीय व्यासों में 41 किलोमीटर का फर्क है. धरती ध्रुवों से थोड़ी सी चपटी(प्लेन) है जबकि भू-मध्य रेखा से थोड़ी सी बाहर की तरफ उभरी हुई है.
क्या आप जानते है कि चाँद समेत कई और ग्रह और उपग्रह है जिन पर पानी मौजूद है. पर धरती ही एकलौता ऐसा पिंड है जहां पानी तीनों अवस्थायों में पाया जाता है. मतलब कि ठोस,द्रव और गैस तीनो में.
आज से 25 करोड़ साल बाद धरती अपने अक्ष(धुरे) पर अब से धीमी गति करने लगेगी जिसके फलसरूप जो दिन वर्तमान समय में लगभग 24 घंटों का होता है वह 25 करोड़ साल बाद 25.5 घंटो का होगा.
धरती अपने धुरे पर 1600 किलोमीटर प्रति घंटा की रफतार से घूम रही है जबकि सुर्य के ईर्ध-गिर्द यह 29 किलोमीटर प्रति सैकेंड की रफतार से चक्कर लगा रही है.
पूरी धरती के हर स्थान पर गुरूत्वाकर्षण एक जैसा नही है ब्लिक धरती के हर स्थान पर यह अलग-अलग है. इसका कारण है सभी स्थानों की धरती के केंद्र से दूरू भिन्न-भिन्न है. इसी कारण भू-मध्य रेखा पर आपका वजन ध्रवों से थोड़ा ज्याादा होगा.
Image credit-Nasa
यह माना जाता है कि पृथ्वी के तीन चौथाई भाग मे पानी है लेकिन पानी की कुल मात्रा कितनी है ?
इस चित्र के दाहीने भाग मे पृथ्वी है, और उस पर नीला गोला पृथ्वी पर पानी की कुल मात्रा दर्शा रहा है। पृथ्वी की तीन चौथाई सतह पर पानी है लेकिन इसकी गहराई पृथ्वी की त्रिज्या की तुलना मे कुछ भी नही है। पृथ्वी के संपूर्ण पानी से बनी गेंद की त्रिज्या लगभग 700 किमी होगी, जोकि चंद्रमा की त्रिज्या के आधे से भी कम है। यह मात्रा शनि के चंद्रमा रीआ से थोडी़ ज्यादा है, ध्यान रहे कि रीआ मुख्यतः पानी की बर्फ से बना है।
चित्र मे बायें बृहस्पति का चंद्रमा युरोपा और उसपर पानी की मात्रा दिखायी गयी है। युरोपा मे पानी की मात्रा पृथ्वी पर पानी की मात्रा से भी ज्यादा है! युरोपा पर पानी उसकी सतह के नीचे लगभग 80-100 किमी की गहरायी तक है। युरोपा के पानी से बनी गेंद का व्यास 877 किमी होगा।
इसलिये वैज्ञानिक आजकल युरोपा मे जीवन की संभावना देख रहे हैं!(स्त्रोत)
धरती पर हर साल लगभग 1000 टन अंतरिक्ष धुड़-कण धरती में दाखिल होते है.
धरती के अपने अक्ष के सापेक्ष घुमने के कारण ही यह एक चुंबक की तरह विवहार करता है. धरती का उत्तरी ध्रुव इसके चुंबकीय क्षेत्र का दक्षिणी पासा है जबकि दक्षिणी ध्रुव इसके चुंबकीय क्षेत्र का उत्तरी पासा.

।।जय हिंदुत्व।। ।।जय श्रीराम।। ।।जय महाकाल।। ।।जय श्रीकृष्ण।।

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