आलू एक गुणों से भरी स्वादिष्ट सब्जी है। इसका वानस्पतिक नाम सोलेनम टुबेरोसम है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक अनुसंधान से यह निष्कर्ष निकाला कि पेरू के किसान आज से लगभग 7000 साल पहले से आलू उगा रहे हैं । सोलहवीं सदी में स्पेन ने अपने दक्षिण अमेरिकी उपनिवेशों से आलू को यूरोप पहुंचाया उसके बाद ब्रिटेन जैसे देशों ने आलू को दुनिया भर मे लोकप्रिय बना दिया। आज भी आयरलैंड तथा रूस की अधिकांश जनता आलू पर निर्भर है ।
भारत में यह सब से लोकप्रिय सब्जी है। पारंपरिक तौर पर आलू का इस्तेमाल आदिवासी अनेक फार्मुलों में सदियों से करते चले आ रहें है। मध्यप्रदेश के पातालकोट घाटी और गुजरात के डांग जिले में आदिवासी आलू को सब्जी के तौर पर इस्तेमाल करने के अलावा अनेक हर्बल फॉर्मुलों में भी करते है। इसका वानस्पतिक नाम सोलेनम टुबेरोसम है। चलिए जानते हैं 10 आदिवासी हर्बल फार्मुलों को और जाने आदिवासियों के इस हर्बल खजाने के बारे.....
आलू के औषधीय गुणों संदर्भ में परंपरागत हर्बल ज्ञान का जिक्र कर रहें हैं डॉ दीपक आचार्य (डायरेक्टर-अभुमका हर्बल प्रा. लि. अहमदाबाद)। डॉ. आचार्य पिछले 16 सालों से भारत के सुदूर आदिवासी अंचलों जैसे पातालकोट (मध्यप्रदेश), डांग (गुजरात) और अरावली (राजस्थान) से आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को एकत्रित कर उन्हें आधुनिक विज्ञान की मदद से प्रमाणित करने का कार्य कर रहें हैं।
सौंदर्य प्रसाधन- आलूओं का इस्तेमाल सौंदर्य प्रसाधन के लिए कई तरह से किया जाता है। ताजे आलू मुहांसो और ब्लेक हेड्स पर लगाने से आराम मिलता है। ताजे आलूओं के रस से चेहरा धोने से चेहरे से कई तरह के दाग दूर हो जाते हैं। ताजे आलू लेकर आंखो के ऊपर हल्का हल्का रखकर मालिश की जाए और रगड़ा जाए तो आंखों के चारों तरफ आए कालेपन से निजात मिल जाती है। आंखों के नीचे सूजन आने या गोल हो जाने पर कच्चा आलू रखने से आराम मिलता है।
उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर)- (डांग)गुजरात के हर्बल जानकारों के अनुसार उच्च रक्तचाप से जुड़े विकारों के लिए रोगियों को उबले आलूओं का सेवन कराना चाहिए। नई शोधों के अनुसार में आलू में पोटेशियम पाया जाता है जो ब्लड प्रेशर को सामान्य बनाने के लिए मददगार होता है।
बवासीर- ताजे आलूओं का रस बवासीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है। आदिवासियों के अनुसार बवासीर होने पर रोगी को प्रतिदिन एक गिलास कच्चे आलू का रस का सेवन करना चाहिए और आलू के रस को प्रभावित अंग पर लेपित भी करना चाहिए।
मस्स- अक्सर गर्दन और कांख पर लोगों को छोटे-छोटे मस्से निकल आते हैं, पातालकोट के हर्बल जानकारों के अनुसार कटे हुए आलू के हिस्से को प्रतिदिन दिन में 4-5 बार इन मस्सों पर लगाया जाए तो कुछ दिनों बाद मस्सा अपने आप त्वचा से टूटकर अलग हो जाता है। आलू में पोटेशियम और विटामिन पाए जाते है जो घाव को सुखाने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
वजन कम करना- उबले आलूओं पर हल्का सा नमक छिड़क दिया जाए और उस व्यक्ति को दिया जाए जो वजन कम करना चाहता है। आदिवासियों के अनुसार ये गलत बात है कि आलू को मोटापा बढाने में मदद करने वाला कंद माना जाता है। वजन आलूओं की वजह से नहीं बढता बल्कि आलू को तलने के लिए इस्तेमाल में लाए जाने वाले तेल, घी आदि आलू को बदनाम कर जाते हैं। कच्चे आलू या आलू जिन्हें तेल, घी आदि के बगैर पकाया जाए, खाद्य पदार्थ के तौर पर इस्तेमाल किए जा सकते हैं और इनकी मदद से वजन भी कम किया जा सकता है क्योंकि इनमें कैलोरी के नाम पर कुछ खास नहीं होता है।
भारत में यह सब से लोकप्रिय सब्जी है। पारंपरिक तौर पर आलू का इस्तेमाल आदिवासी अनेक फार्मुलों में सदियों से करते चले आ रहें है। मध्यप्रदेश के पातालकोट घाटी और गुजरात के डांग जिले में आदिवासी आलू को सब्जी के तौर पर इस्तेमाल करने के अलावा अनेक हर्बल फॉर्मुलों में भी करते है। इसका वानस्पतिक नाम सोलेनम टुबेरोसम है। चलिए जानते हैं 10 आदिवासी हर्बल फार्मुलों को और जाने आदिवासियों के इस हर्बल खजाने के बारे.....
आलू के औषधीय गुणों संदर्भ में परंपरागत हर्बल ज्ञान का जिक्र कर रहें हैं डॉ दीपक आचार्य (डायरेक्टर-अभुमका हर्बल प्रा. लि. अहमदाबाद)। डॉ. आचार्य पिछले 16 सालों से भारत के सुदूर आदिवासी अंचलों जैसे पातालकोट (मध्यप्रदेश), डांग (गुजरात) और अरावली (राजस्थान) से आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को एकत्रित कर उन्हें आधुनिक विज्ञान की मदद से प्रमाणित करने का कार्य कर रहें हैं।
सौंदर्य प्रसाधन- आलूओं का इस्तेमाल सौंदर्य प्रसाधन के लिए कई तरह से किया जाता है। ताजे आलू मुहांसो और ब्लेक हेड्स पर लगाने से आराम मिलता है। ताजे आलूओं के रस से चेहरा धोने से चेहरे से कई तरह के दाग दूर हो जाते हैं। ताजे आलू लेकर आंखो के ऊपर हल्का हल्का रखकर मालिश की जाए और रगड़ा जाए तो आंखों के चारों तरफ आए कालेपन से निजात मिल जाती है। आंखों के नीचे सूजन आने या गोल हो जाने पर कच्चा आलू रखने से आराम मिलता है।
उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर)- (डांग)गुजरात के हर्बल जानकारों के अनुसार उच्च रक्तचाप से जुड़े विकारों के लिए रोगियों को उबले आलूओं का सेवन कराना चाहिए। नई शोधों के अनुसार में आलू में पोटेशियम पाया जाता है जो ब्लड प्रेशर को सामान्य बनाने के लिए मददगार होता है।
बवासीर- ताजे आलूओं का रस बवासीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है। आदिवासियों के अनुसार बवासीर होने पर रोगी को प्रतिदिन एक गिलास कच्चे आलू का रस का सेवन करना चाहिए और आलू के रस को प्रभावित अंग पर लेपित भी करना चाहिए।
मस्स- अक्सर गर्दन और कांख पर लोगों को छोटे-छोटे मस्से निकल आते हैं, पातालकोट के हर्बल जानकारों के अनुसार कटे हुए आलू के हिस्से को प्रतिदिन दिन में 4-5 बार इन मस्सों पर लगाया जाए तो कुछ दिनों बाद मस्सा अपने आप त्वचा से टूटकर अलग हो जाता है। आलू में पोटेशियम और विटामिन पाए जाते है जो घाव को सुखाने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
वजन कम करना- उबले आलूओं पर हल्का सा नमक छिड़क दिया जाए और उस व्यक्ति को दिया जाए जो वजन कम करना चाहता है। आदिवासियों के अनुसार ये गलत बात है कि आलू को मोटापा बढाने में मदद करने वाला कंद माना जाता है। वजन आलूओं की वजह से नहीं बढता बल्कि आलू को तलने के लिए इस्तेमाल में लाए जाने वाले तेल, घी आदि आलू को बदनाम कर जाते हैं। कच्चे आलू या आलू जिन्हें तेल, घी आदि के बगैर पकाया जाए, खाद्य पदार्थ के तौर पर इस्तेमाल किए जा सकते हैं और इनकी मदद से वजन भी कम किया जा सकता है क्योंकि इनमें कैलोरी के नाम पर कुछ खास नहीं होता है।
।।जय हिंदुत्व।। ।।जय श्रीराम।। ।।जय महाकाल।। ।।जय श्रीकृष्ण।।
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