आचार्य चाणक्य एक
ऐसी महान विभूति थे, जिन्होंने अपनी विद्वत्ता और क्षमताओं के बल पर
भारतीय इतिहास की धारा को बदल दिया। मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चाणक्य
कुशल राजनीतिज्ञ, चतुर कूटनीतिज्ञ, प्रकांड अर्थशास्त्री के रूप में भी
विश्वविख्यात हुए।
इतनी सदियां गुजरने के बाद आज भी
यदि चाणक्य के द्वारा बताए गए सिद्धांत और नीतियां प्रासंगिक हैं, तो मात्र
इसलिए क्योंकि उन्होंने अपने गहन अध्ययन, चिंतन और जीवानानुभवों से
अर्जित अमूल्य ज्ञान को, पूरी तरह नि:स्वार्थ होकर मानवीय कल्याण के
उद्देश्य से अभिव्यक्त किया। आइए जानते हैं किन लोगों से चाणक्य बचकर रहने
की सलाह देते हैं-
"असती भवति सलज्जा क्षारं नीरंच शीतलं भवति।
दम्भी भवति विवेकी प्रियवक्ता भवति धूर्तजनः।।"
चाणक्य कहते हैं जो स्त्री अधिक लज्जा करती है उस पर पहले संदेह करो क्योंकि कुलटा स्त्री ज्यादा ढोंग करती है।
चाणक्य कहते हैं कि जिस प्रकार खारा जल ज्यादा शीतल होता है उसी तरह
पाखण्डी व्यक्ति ज्यादा आचरण को बनाकर पेश करता है। और धूर्त व्यक्ति बहुत
अधिक मीठा बोलता है। उससे बचकर रहें।
दुनिया में सब विश्वास के योग्य नहीं होते। हर किसी से निश्चित दूरी बनाकर
चलें। नकली आचरण करने वाला दंभी विवेकी लग सकता है पर वह होता नहीं है।
दूसरे शब्दों में, कुलटा और व्यभिचारिणी स्त्री लज्जा बहुत करेगी, घूंघट करेगी, किन्तु व्यभिचारिणी होती है।
समुद्र का जल अधिक शीतल होता है, किन्तु उपयोगी नहीं होता, अपितु
प्राणघातक होता है। पाखंडी अतिरिक्त विवेकपूर्ण आचरण का दिखावा करते हैं।
जो ठग और धूर्त होता है, वह आवश्यकता से अधिक मीठा बोलता है, और चापलूसी करता है। ऐसे लोगों से हमेशा बचकर रहें।
।।जय हिंदुत्व।। ।।जय श्रीराम।। ।।जय महाकाल।। ।।जय श्रीकृष्ण।।
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