Wednesday, July 1, 2015

इंद्र का घमंड हुआ चूर - चूर

भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुलवासियों को गोवर्धन पर्वत की पूजा करने तथा इंद्र की पूजा न करने का कहकर इंद्र का घमण्ड तोड़ा था। चूंकि ग्रामवासियों द्वारा पूजित होने पर भी ही इंद्र वहां वर्षा करते थे इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र का घमण्ड तोड़कर उसे यह बताया था कि वर्षा करना आपका मौलिक कर्तव्य है। इसके लिए कोई आपकी पूजा करे यह आवश्यक नहीं है। इस प्रकार श्रीकृष्ण ने इंद्र को फल रहित कर्म करने का कर्तव्य बोध कराया था। इस संदर्भ का सार है कि सभी को अपने कर्तव्यों का निर्वहन ठीक प्रकार से बिना किसी अतिरिक्त फल की अभिलाषा से करना चाहिए। चूंकि कर्तव्य का निर्वहन करना उसकी मौलिक जिम्मेदारी है।

जब श्रीकृष्ण ने अगुंली पर उठाया गोवर्धन

अच्छी वर्षा के लिए गोकुलवासी इंद्र को प्रसन्न करने के लिए उसकी पूजा करते थे। लेकिन श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत का महत्व इंद्र से अधिक बताने पर जब ग्रामवासियों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा की तो इंद्र बहुत क्रोधित हुए। उन्होंने गोकुलवासियों को अपना बल दिखाने के लिए भंयकर वर्षा की जिससे सारा गांव डूबने लगा। तब भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी एक अंगुली पर उठाकर गोकुलवासियों को आश्रय प्रदान किया था तथा इंद्र का घमण्ड भी तोड़ा था। श्रीकृष्ण के वास्तविक स्वरूप को जानकर इंद्र ने उनकी स्तुति की तथा क्षमायाचना की। तब श्रीकृष्ण ने इंद्र को समझाया था कि सभी स्थानों पर समान रूप से वर्षा करना आपका कर्तव्य है इसके लिए मन में पूजा की अभिलाषा रखना सर्वथा अनुचित है।


।।जय हिंदुत्व।। ।।जय श्रीराम।। ।।जय महाकाल।। ।।जय श्रीकृष्ण।।

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