Sunday, August 2, 2015

श्रावण मास में रोग निवारण

श्रावण मास में रोग निवारण



विज्ञान और हम सब यह मानते हैं की सृष्टि तथा मानव शरीर पंच तत्वों के मिश्रण से बना है- अग्नि, पृथ्वी, वायु, आकाश एवं जल। विधिवत सृष्टि संचालन तथा मानव शरीर संचालन के लिए इन तत्वों का संतुलन परम आवश्यक है। इन तत्वों के संतुलित रहने पर जिस प्रकार सृष्टि प्रसन्न रहती है उसी प्रकार, मनुष्य प्रसन्न तथा स्वस्थ/निरोगी रहता है। इन्हीं तत्वों के असंतुलित होने पर जिस प्रकार ज्वार-भाटा और अन्य प्राकृतिक आपदाएं आती हैं उसी प्रकार मनुष्य रोगग्रस्त, चिड़चिड़ा, दुखों से पीड़ित एवं कांतिहीन हो जाता है।किसी भी एक तत्त्व की न्यूनता तथा अधिकता दोनों ही ख़राब है।


ये पँचों तत्व मूलत: ग्रहों, नक्षत्रों से ही नियन्त्रित रहते हैं. अतः अगर हम सामान्य भाषा में बात करें तो ग्रह ही हमारे शरीर को संचालित करते हैं तथा रोग भी उसी संचालन का एक अंग है।


ज्योतिष विज्ञान यह कहता है की अगर श्रावण के महीने में बाबा भोलेनाथ को विशेष रूप से प्रसन्न कर लिया जाए तो व्यक्ति इन पंचतत्वों तथा ग्रहों के असंतुलन के साथ साथ रोगों का भी निवारण कर सकता है।




रोग निवारण हेतु शिव पूजन

  1. श्रावण मास में हर मंगलवार को शिव पूजा (विशेषतः रुद्राभिषेक तथा महामृत्युंजय का जप) करने से रोगों का जल्दी निवारण होता है। याद रखें रोग निवारक पूजा में कनेर के पुष्प शिवजी को अवश्य अर्पित करें

  2. किसी भी रोग से पूर्णत: मुक्ति के लिये श्रावण मास के प्रथम सोमवर से प्रत्येक सोमवार को शिव जी को कपूर युक्त जल से अभिषेक करें. अभिषेक करते समय महामृत्युंजय मंत्र का निरंतर जाप करें.

ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुवः स्वः
ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम्पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात।।
ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ


इस मंत्र जाप श्रावण मास के पश्चात भी पूरे वर्ष भर करते रहें. अवश्य स्वास्थ्य लाभ होगा.


  1. श्रावण मास में हर गुरूवार को विशेष पूजा करने से आयु में वृद्धि होती है।

  2. रोग निवारण हेतु महामृत्युंजय मंत्र जप करते हुए शहद से अभिषेक करने से रोग का नाश होता है

  3. कुशोदक जल से  अभिषेक  करने से असाध्य रोग शांत होते हैं

  4. भगवान शिव के मृत्यंजय मंत्र "ॐ जूं सः" के दस हजार जप करते हुए घी की धारा से शिवलिंग का अभिषेक किया जाए तो मधुमेह (डाइबिटीज) रोग दूर होता है.

  5. गाय के घी से  अभिषेक  करने से आरोग्य लाभ होता है

  6. जो व्यक्ति हरी दूर्वा  से भगवान शिव  का पूजन करता है  उसे दीर्घायु प्राप्त होती है

  7. लंबी या लाइलाज बीमारी से तंग हैं तो पंचमुखी शिवलिंग पर तीर्थ का जल अर्पित करने से रोगमुक्त होंगे।

  8. ज्वर(बुखार) से पीडि़त होने पर भगवान शिव को जल चढ़ाने से तुरंत लाभ मिलता है।

  9. नपुंसक व्यक्ति अगर घी से भगवान शिव का अभिषेक करे व ब्राह्मणों को भोजन कराए तथा सोमवार का व्रत करे तो उसकी समस्या का निदान हो जाता है और उसे पुरुषत्व की प्राप्ति होती है।

  10. किसी अच्छे ज्योतिषी से अपनी कुंडली का विश्लेषण कराकर ये पता करे लें की आपके रोग का कारण कौन सा ग्रह है। उसके पश्च्यात उस ग्रह से सम्बन्धित तुला दान उस ग्रह के दिन/नक्षत्र वाले दिन करें। साथ में शिव रुद्राभिषेक करें तथा महामृत्युंजय जप का जप करें अथवा कराएं। रोग से अवश्य मुक्ति मिलेगी।

।।जय हिंदुत्व।। ।।जय श्रीराम।। ।।जय महाकाल।। ।।जय श्रीकृष्ण।।

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