वर्ष 2022 तक सभी घरों में 24 घंटे बिजली पहुंचाने के वादे को पूरा करने के लिए मोदी सरकार नए नए रास्ते तलाश रही है। अब सरकार ने समुद्र के अंदर विंड एनर्जी फार्म बनाकर बिजली पैदा करने की पॉलिसी तैयार की है। केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) जल्द ही इस पॉलिसी को मंत्रिमंडल के पास मंजूरी के लिए भेजेगा।
समुद्र के अंदर लगेंगे टरबाइन
विंड एनर्जी दो तरह की होती है। एक ऑनशोर और दूसरा ऑफशोर। अभी भारत में समुद्र के किनारे खुली जगह में टरबाइन लगा कर पवन ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है। इसे ऑनशोर विंड एनर्जी कहा जाता है। इससे अब तक 20 हजार मेगावाट से अधिक बिजली का उत्पादन हो रहा है। सरकार का अनुमान है कि वर्ष 2031 तक ऑनशोर विंड एनर्जी से 1 लाख 91 हजार मेगावाट बिजली मिलने की संभावना है। लेकिन अब मंत्रालय ने समुद्र के अंदर टरबाइन लगाकर पवन ऊर्जा उत्पादन शुरू करने का निर्णय लिया है। इसे ऑफशोर विंड एनर्जी कहा जाता है। इसके लिए मंत्रालय ने ग्लोबल प्रेक्टिस के आधार पर विशेषज्ञों के सहयोग से एक पॉलिसी तैयार की है। मंत्रालय के एक अधिकारी बताते हैं कि हम ऑफशोर विंड एनर्जी को लेकर काफी उत्साहित हैं और चाहते हैं कि अगले साल बिडिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी जाए। ऐसे में पॉलिसी जल्द ही कैबिनेट के समक्ष रखी जाएगी और जरूरी मंजूरी मिलने के बाद हम पूरी तैयारी से इसे प्लान को जमीन पर ले आंएगे।
क्या है पॉलिसी में
ड्राफ्ट पॉलिसी के मुताबिक सबसे पहले नेशनल ऑफशोर विंड एनर्जी अथॉरिटी बनाई जाएगी। यह अथॉरिटी ऑफेशोर एनर्जी के क्षेत्र में सर्वे और आकलन कराएगी। यह अथॉरिटी ऑफशोर विंड एनर्जी प्रोजेक्ट डेवलपर से संपर्क भी करेगी और उन्हें आवश्यक सुविधाएं भी उपलब्ध कराएगी। खासकर इन डेवलपर के लिए सिंगल विंडो एजेंसी की व्यवस्था की जाएगी। मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में ऑफशोर विंड एनर्जी स्टीयरिंग कमेटी का गठन होगा, जो इससे संबंधित सभी डेवलपमेंट पर नजर रखेगी। जहाजरानी मंत्रालय व राज्य मेरीटाइम बोर्ड द्वारा बंदरगाह संबंधी ढुलाई संबंधी सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग और राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा ऑफशोर विंड एनर्जी के उत्पादन, ट्रांसमिशन और बिजली की खरीद संबंधी गाइडलाइंस तैयार की जाएंगी।
समुद्र के अंदर विकसित होंगे फार्म
तट से समु्द्र के भीतर लगभग 12 समु्द्री मील (लगभग 22 किलोमीटर) के दायरे में ऑफशोर विंड फार्म विकसित किए जाएंगे। इसके साथ साथ लगभग 200 समुद्री मील के दायरे में रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए विकसित किया जाएगा। समुद्र क्षेत्र को अलग-अलग ब्लॉक के रूप में चिंहित किया जाएगा। जहां विंड फार्म विकसित करने के लिए आवश्यक स्टडी की जाएगी। इसके बाद प्रोजेक्ट डेवलपर को आमंत्रित किया जाएगा और उन्हें सिंगल विंडो क्लीयरेंस दी जाएगी। बिजली उत्पादन व ग्रिड कनेक्टविटी की व्यवस्था की जाएगी। इन डेवलपर को इंसेंटिव देने का भी प्रावधान किया गया है। इसमें टैक्स हॉलीडे, कस्टम-एक्साइज ड्यूटी में छूट जैसे इंसेंटिव दिए जा सकते हैं।
यहां हैं संभावनाएं
मंत्रालय की एक रिपोर्ट बताती है कि अभी तमिलनाडु के रामेश्वरम के उत्तर और कन्या कुमारी के दक्षिण में 2000 मेगावाट बिजली उत्पादन की संभावना है। इसके अलावा गुजरात और महाराष्ट्र में ऑफशोर विंड प्रोजेक्ट लगाए जा सकते हैं।
महंगे होंगे प्रोजेक्ट
मंत्रालय का मानना है कि ऑफशोर विंड फार्म, ऑनशोर विंड फार्म के मुकाबले डेढ़ से दो गुना महंगे होंगे, क्योंकि समुद्र के अंदर टरबाइन लगाने का खर्च अधिक होगा। हालांकि ऑनशोर विंड फार्म के मुकाबले ऑफशोर विंड फार्म में एक टरबाइन 3 से 5 मेगावाट अधिक बिजली पैदा होगी।
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