आपके भीतर सभी शक्तियाँ निहित हैं, महान से महानतम बनने के बीज आपके
अंत:करण में मौजूद हैं, लेकिन जब तक आप इन शक्तियों को विकसित नहीं करेंगे,
आपको जीवन का आनन्द प्राप्त नहीं होगा। बीजों से अंकुर तभी फूटता है, जब
वह फटता है और बाद में यही अंकुर एक महावृक्ष बन जाता है। इसलिए हमे अपने
गुणों के विकास में सहायक अवसरों को बराबर खोजते रहना चाहिए। विकास का अर्थ
है- लगातार बढ़ते चले जाना। कैसा भी भय, कैसा भी लोभ, कैसी भी चिंता यदि
आपके बढ़ते कदमों को नहीं रोक पति तो समझ लीजिये की आपकी प्रगति भी नहीं रुक
सकती। आप सफल होकर ही रहेंगे।
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