Thursday, June 18, 2015

किसी की मृत्यु के बाद ही क्यों सुना जाता है गरुड़ पुराण ?

जन्म और मृत्यु एक ऐसा चक्र है जो अनवरत चलता रहता है। जिस व्यक्ति ने जन्म लिया है, वह एक दिन मृत्यु को अवश्य ही प्राप्त होगा। जन्म से मृत्यु तक हमें कई कार्य करने होते हैं। इन कार्यों के संबंध में ऋषि-मुनियों और विद्वानों द्वारा कई परंपराएं बनाई गई हैं, जिनका पालन करना काफी हद तक अनिवार्य भी माना गया है। जीवन के साथ-साथ मृत्यु के बाद की भी कुछ परंपराएं हैं, जिनका पालन मृत व्यक्ति के परिवार वालों को करना होता है। इन्हीं परंपराओं में से एक है, घर के किसी सदस्य की मृत्यु के बाद गरुड़ पुराण सुनना। किसी पंडित द्वारा गरुड़ पुराण पढ़वाई जाती है और घर के सभी सदस्य इसका श्रवण करते हैं। गरुड़ पुराण के संबंध में शास्त्रों की मान्यता ऐसी मान्यता है कि गरुड़ पुराण के श्रवण से मरने वाले व्यक्ति की आत्मा को भी शांति मिलती है, क्योंकि गरुड़ पुराण पगड़ी आदि रस्मों तक लगभग 12-13 दिनों तक पढ़ी जाती है। शास्त्रों के अनुसार पगड़ी रस्म तक मरने वाले की आत्मा उसी के घर में निवास करती है और वह भी यह पुराण सुनती है। गरुड़ पुराण श्रवण का धार्मिक महत्व यही है कि मृत व्यक्ति की आत्मा को शांति मिले और उसे मोक्ष मिल सके। जन्म और मृत्यु से जुड़े सभी सवालों के जवाब हैं गरुड़ पुराण में


परिवार के किसी भी सदस्य की मृत्यु के बाद घर में गरुड़ पुराण सुनने की प्राचीन परंपरा है। आज भी कई लोग इस परंपरा का पालन करते हैं। आमतौर पर लोगों के मन में जन्म और मृत्यु से जुड़े कई प्रश्नों के उत्तर जानने की उत्सुकता रहती है। जब किसी इंसान की मृत्यु होती है तो परिवार के शेष सदस्य यही सोचते हैं कि मृत्यु क्यों होती है? गरुड़ पुराण में जन्म-मृत्यु से जुड़े इन सभी सवालों के जवाब बताए गए हैं


गरुड़ पुराण का ज्ञान समझने पर मिलती है प्रेरणा


गरुड़ पुराण में बताए गए रहस्यों को समझने के बाद मृत व्यक्ति के परिजनों को दुख सहने की शक्ति प्राप्त होती है और वे जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित होते हैं। इस पुराण का ज्ञान यही प्रेरणा देता है कि हमें जीवन में अच्छे कार्य ही करना चाहिए। सभी जानते हैं कि जो जैसा कर्म करता है, उसे वैसा ही फल मिलता है। यही बातें गरुड़ पुराण में बताई गई है।


हमें मिलता है हर अच्छे-बुरे कर्म का फल गरुड़ पुराण के अनुसार कर्मों का फल व्यक्ति को उसके जीवन में तो मिलता ही है, साथ ही मरने के बाद भी कर्मों का अच्छा-बुरा फल आत्मा को भोगना पड़ता है। इस ज्ञान को प्राप्त करने के लिए किसी की मृत्यु के बाद का अवसर निर्धारित किया गया ताकि उस समय हम जन्म-मृत्यु से जुड़े सभी सत्य जान सके और मृत व्यक्ति के बिछड़ने के दुख को सहन करने की शक्ति प्राप्त कर सके।


जय श्रीहरी

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