जीवन को राह दिखाती ये नौ बातें--
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चंद्रगुप्त मौर्य को राजा बनाने वाले कौटिल्य को दुनिया आचार्य चाणक्य नाम
से जानती है। दुनिया को कूटनिति, अर्थशास्त्र और राजनीति का गूढ़ पाठ
पठाने वाले चाणक्य जीवन दर्शन के भी बड़े विद्वान् थे। उन्होंने अपने
अनुभवों से जो कुछ भी सीखा उसे औरों को भी सिखाया। उन्होंने दुनिया के
सामने कुछ ऐसी नीतियाँ रखीं जिसे आज भी चाणक्य नीति के नाम से जाना जाता
है। इन बातों में आदर्शवादिता के साथ-साथ यथार्थ की भी स्पष्ट झलक दिखाई
देती है। जानिए चाणक्य की सिखाई 9 गूढ़ बातें जो जीवन की राह को रोशनी
दिखाती हैंः--
(1.) चाणक्य के मुताबिक जो समय बीत गया, उसे याद कर पछताना बेकार है। अगर आपसे कोई बड़ी गलती हुई है तो उससे सीख लेकर वर्तमान को श्रेष्ठ बनाने का प्रयास करना चाहिए।
(2.) जो धन बहुत मेहनत के बाद मिले, जिसके लिए अपने धर्म का त्याग करना पड़े, जिसके लिए शत्रुओं की खुशामद करनी पड़े उसका मोह नहीं करना चाहिए।
(3.) अगर किसी कार्य को प्रारंभ करो तो तीन बातों को सदैव ध्यान में रखो। पहला कि यह तुम क्यों करना चाहते हो ? दूसरा इस काम का क्या नतीजा होगा ? और क्या इसमें आपको सफलता मिलेगी कि नहीं ?
(4.) कोई भी सांप अगर विषैला नहीं है तो भी उसे फुफकारना नहीं छोड़ना चाहिए। क्योंकि अगर उसने स्वयं को विषहीन सिद्ध कर दिया तो उसके प्राण संकट में पड़ जाएंगे। यानी अपनी मूल प्रवृति नहीं त्यागनी चाहिए ।
(5.) किसी पदार्थ की सुगंध के प्रसार के लिए हवा की दरकार होती है, लेकिन व्यक्ति का गुण या योग्यता किसी हवा के मोहताज नहीं होते।
(6.) किसी के अधीन रहने से ज्यादा कष्टदायक दूसरे के घर में रहना है।
(7.) आपका कोई मित्र अगर सामने मीठी-मीठी बातें करता है और पीठ पीछे आपके बने काम बिगाड़ने में लगा रहता है तो ऐसे दोस्तों को छोडने में ही भलाई है।
(8.) कमजोर व्यक्ति से कभी भी दोस्ती न करें क्योंकि वह आप पर उस समय हमला कर सकता है जिसके बारे में आप कल्पना भी नहीं कर सकते।
(9.) हजारों पशुओं के बीच भी बछड़ा अपनी माता के पास ही आ जाता है, वैसे ही आपके कर्मो के फल भी इस जगत में मौजूद होता है जिसे तुम्हें ढूंढना होता है।
चाणक्य नीति
(1.) चाणक्य के मुताबिक जो समय बीत गया, उसे याद कर पछताना बेकार है। अगर आपसे कोई बड़ी गलती हुई है तो उससे सीख लेकर वर्तमान को श्रेष्ठ बनाने का प्रयास करना चाहिए।
(2.) जो धन बहुत मेहनत के बाद मिले, जिसके लिए अपने धर्म का त्याग करना पड़े, जिसके लिए शत्रुओं की खुशामद करनी पड़े उसका मोह नहीं करना चाहिए।
(3.) अगर किसी कार्य को प्रारंभ करो तो तीन बातों को सदैव ध्यान में रखो। पहला कि यह तुम क्यों करना चाहते हो ? दूसरा इस काम का क्या नतीजा होगा ? और क्या इसमें आपको सफलता मिलेगी कि नहीं ?
(4.) कोई भी सांप अगर विषैला नहीं है तो भी उसे फुफकारना नहीं छोड़ना चाहिए। क्योंकि अगर उसने स्वयं को विषहीन सिद्ध कर दिया तो उसके प्राण संकट में पड़ जाएंगे। यानी अपनी मूल प्रवृति नहीं त्यागनी चाहिए ।
(5.) किसी पदार्थ की सुगंध के प्रसार के लिए हवा की दरकार होती है, लेकिन व्यक्ति का गुण या योग्यता किसी हवा के मोहताज नहीं होते।
(6.) किसी के अधीन रहने से ज्यादा कष्टदायक दूसरे के घर में रहना है।
(7.) आपका कोई मित्र अगर सामने मीठी-मीठी बातें करता है और पीठ पीछे आपके बने काम बिगाड़ने में लगा रहता है तो ऐसे दोस्तों को छोडने में ही भलाई है।
(8.) कमजोर व्यक्ति से कभी भी दोस्ती न करें क्योंकि वह आप पर उस समय हमला कर सकता है जिसके बारे में आप कल्पना भी नहीं कर सकते।
(9.) हजारों पशुओं के बीच भी बछड़ा अपनी माता के पास ही आ जाता है, वैसे ही आपके कर्मो के फल भी इस जगत में मौजूद होता है जिसे तुम्हें ढूंढना होता है।
चाणक्य नीति
।।जय हिंदुत्व।। ।।जय श्रीराम।। ।।जय महाकाल।। ।।जय श्रीकृष्ण।।
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