महू। देवताओं में भगवान शिव को देवों के देव महादेव कहा जाता है। निराकार रूप में उनके शिवलिंग की पूजा की जाती है।
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महू से करीब 12 किलोमीटर दूर स्थित चोरल से करीब 10 किलोमीटर दूर विंध्यांचल की पहाड़ियों पर स्थित खोदरा महादेव का यह स्थान है। यहां शिवलिंग के अतिरिक्त नंदी भी विराजमान हैं। पहाड़ी के नीचे स्थित खोदरा गांव होने से इस स्थान का नाम खोदरा महादेव पड़ा।
किंवदंती के अनुसार इस स्थान को सात चिरंजीवी पुरुषों में से एक द्रोणपुत्र अश्वत्थामा की तपस्थली के रूप में जाना जाता है। कहते हैं कि आज भी अश्वत्थामा इस स्थान पर तप करने आते हैं।
आखिर क्यों आता है यहां मणिधारी सर्प...
किंवदंती अनुसार यहां पहाड़ी गुफा में शिवलिंग के पास एक गुफा और है जिसमें नागमणि सर्प भी
रहता है। इस पहाड़ी के आसपास कुछ गांव हैं, लेकिन वहां लोगों की बस्ती
नाममात्र की है। हिमालय पर रहने वाले साधु-तपस्वी इस स्थान पर तप के लिए
आते हैं। आसपास के वृक्षों पर लगने वाले फलों और पत्तियों का भोजन कर वे इस
स्थान पर तप करते हैं।
गुफा के बाहर ही एक झरना भी है जिसमें बारह महीने पानी बहता रहता है। ग्रामीणों के अनुसार शिवरात्रि को यहां मेला लगता है और भंडारे का आयोजन होता है। दुर्गम रास्ते से हजारों श्रद्धालु कैसे मंदिर तक पहुंचते होंगे, यह आश्चर्य का विषय है। ग्रामीणों के अनुसार आज तक पहाड़ी से उतरते या चढ़ते वक्त किसी श्रद्धालु की मौत नहीं हुई है।
।।जय हिंदुत्व।। ।।जय श्रीराम।। ।।जय महाकाल।। ।।जय श्रीकृष्ण।।
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