1. धरती पे कुल 500 सक्रीय ज्वालामुखी ऐसे है
जिन्होंने धरती की सतह के निचले और उतलेभाग का 80 प्रतीशत
हिस्सा अपनी ज्वालामुखी राख से
बनाया है.
6,588,000,000,000,000,000,000 टन है.
के आकार का एक ग्रह था जो कि पृथ्वी के
साथ एक ही ग्रहपथ पर सुर्य
की परिक्रमा करता था. मगर यह ग्रह
किसी कराण धरती से टकराया और एक
तो धरती मुड गई और दूसरा इस टक्कर के फलसरूप जो पृथ्वी का हिस्सा अलग हुआ उससे
चाँद बन गया.
पर्वतों का 15,000 मीटर से ऊँचा होना संभव
नही है.
साल से गति कर रहे है. यह गति टैकटोनिक
प्लेटों की निरंतर गति के कारण है. हर
महाद्वीप दूसरे महाद्वीप से भिन्न चाल से
गति कर रहा है. जैसे के प्रशांत प्लेट 4
सैटीमीटर प्रति वर्ष जबकि उत्तरी अटलाटिंक 1 सैटीमीटर
प्रति वर्ष गति करती है.
महाद्वीप आज से 6.5 करोड़ साल पहले एक दूसरे
से जुडे हुए थे. वैज्ञानिको का मानना हैकि धरती पर कोई उल्का पिंड गिरने जा फिर
निरंतर ज्वालामुखीयों और ताकतवर
भुकंपों के कारण यह महाद्वीप आपस से अलग होने लगे, इसी कारण धरती से
डायनासोरो का अंत हुआ था. पहले जब
सभी महाद्वीप जुडे हुए थे तब यह गोल रूप में थे
और इसे वैज्ञानको ने ‘पैंजीया’ नाम दिया है.
(cube) में समा सकते है.
ब्लिक धरती का अंदरूनी भाग पिघले हुए
पदार्थों से बना है जो लगातार धरती के
अंदरूनी ताप स्थिर रखता है. एक अनुमान के
अनुसार इस अंदरूनी भाग का तापमान 5000
से 7000 डिगरी सैलसीयस है जो कि सुर्य की सतह के तापमान के बराबर है.
जिसमें कि टैकटोनिक प्लेटों की व्यवस्था है.
पिंड धरती के वीयुमंडल मे दाखिल होते है. पर
इनमें से ज्यादातर धरती के वायुमंडल के अंदर
पहुँचने पर घर्षण के कारण जलने लगते है जिन्हें हम
अकसर ‘टूटता तारा’ कहते है.
मंडल का सबसे चमकीला ग्रह है पर
ऐसा नही है. अगर एक खास दूरी से सौर मंडल के
सभी ग्रहों को देखा जाए तो धरती सबसे
ज्यादा चमकीली नजर आएगी. ऐसा इसलिए
है क्योंकि धरती का पानी सुर्य के प्रकाश को परिर्वतित कर देता है जिससे वह एक खास
दूरी से सबसे चमकीली नजर आती है.
खोदा जाने वाला गड्ढा 1989 में रूस में
खोदा गया था जिसकी गहराई 12.262
किलोमीटर थी.
हिस्सा ही भोजन उत्पादित करने के लिए
उपयोग किया जाता है.
नही है. ब्लिक इसके भू-मध्य रोखीए और
ध्रुवीय व्यासों में 41 किलोमीटर का फर्क है.
धरती ध्रुवों से थोड़ी सी चपटी(प्लेन) है
जबकि भू-मध्य रेखा से थोड़ी सी बाहर
की तरफ उभरी हुई है.
और उपग्रह है जिन पर पानी मौजूद है. पर
धरती ही एकलौता ऐसा पिंड है
जहां पानी तीनों अवस्थायों में
पाया जाता है. मतलब कि ठोस,द्रव और गैस
तीनो में.
(धुरे) पर अब से धीमी गति करने लगेगी जिसके
फलसरूप जो दिन वर्तमान समय में लगभग 24
घंटों का होता है वह 25 करोड़ साल बाद 25.5
घंटो का होगा.
प्रति घंटा की रफतार से घूम रही है
जबकि सुर्य के ईर्ध-गिर्द यह 29 किलोमीटर
प्रति सैकेंड की रफतार से चक्कर लगा रही है.
जैसा नही है ब्लिक धरती के हर स्थान पर यह
अलग-अलग है. इसका कारण है
सभी स्थानों की धरती के केंद्र से दूरू भिन्न-
भिन्न है. इसी कारण भू-मध्य रेखा पर
आपका वजन ध्रवों से थोड़ा ज्याादा होगा.
भाग मे पानी है लेकिन पानी की कुल
मात्रा कितनी है ? इस चित्र के दाहीने भाग मे पृथ्वी है, और उस पर
नीला गोला पृथ्वी पर पानी की कुल
मात्रा दर्शा रहा है। पृथ्वी की तीन चौथाई
सतह पर पानी है लेकिन इसकी गहराई
पृथ्वी की त्रिज्या की तुलना मे कुछ
भी नही है। पृथ्वी के संपूर्ण पानी से बनी गेंद की त्रिज्या लगभग 700 किमी होगी,
जोकि चंद्रमा की त्रिज्या के आधे से भी कम
है। यह मात्रा शनि के चंद्रमा रीआ से
थोडी़ ज्यादा है, ध्यान रहे कि रीआ
मुख्यतः पानी की बर्फ से बना है। चित्र मे बायें
बृहस्पति का चंद्रमा युरोपा और उसपर
पानी की मात्रा दिखायी गयी है।
युरोपा मे पानी की मात्रा पृथ्वी पर
पानी की मात्रा से भी ज्यादा है!
युरोपा पर पानी उसकी सतह के नीचे लगभग 80-100 किमी की गहरायी तक है। युरोपा के
पानी से बनी गेंद का व्यास 877
किमी होगा। इसलिये वैज्ञानिक आजकल युरोपा मे जीवन
की संभावना देख रहे हैं!
धुड़-कण धरती में दाखिल होते है.
ही यह एक चुंबक की तरह विवहार करता है.
धरती का उत्तरी ध्रुव इसके चुंबकीय क्षेत्रका दक्षिणी पासा है जबकि दक्षिणी ध्रुव
इसके चुंबकीय क्षेत्र का उत्तरी पासा.
No comments:
Post a Comment