भारत संस्कृति में सबसे महान देश है हमारे ऋषि-मुनि गहन शोध करते थे, और
नई-नई प्रकार के रिवाज बनाते थे। हिन्दू धर्म के अधिकतर सभी रिवाज विज्ञान
से ओत-प्रोत होते हैं, इसलिए यह हजारों सालों से चले आ रहे होते हैं।
इन्ही में से है एक चरण स्पर्श की परम्परा जो बहुत प्राचीन है, अधिकतर हम
लोग चरण का स्पर्श आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए ही करते हैं।
हमें सिखाया जाता है कि अपने से बड़े लोगों को सम्मान करना चाहिए, और इसी सम्मान में हमें उनके चरण स्पर्श करने चाहिए इससे वह वयक्ति खुश होता है और दिल से हमारी कुशलता की प्रार्थना करता है।
आपने घर-परिवार में भी देखा होगा कि बड़े व्यक्तिों जैसे माता-पिता, शिक्षक और बुजुर्गों के चरण स्पर्श किए जाते हैं। चरण स्पर्श करने का एक अर्थ पूरी श्रद्धा के साथ अपने पूजनीय के आगे नतमस्तक होना भी होता है।
चरण स्पर्श का इतना महत्व है कि खुद भगवान कृष्ण ने अपने मित्र को चरण स्पर्श किये थे और उनको धोया भी था।।
चरण स्पर्श करने के पीछे एक तरह का विज्ञान भी छिपा है। यहां दिखाए जा रहे वीडियो में इसके पीछे के वैज्ञानिक वजहों को बताया जा रहा है। इसके अलावा आम धारणा में माना जाता है कि बड़ों के चरण स्पर्श करने से परस्पर नम्रता, आदर और विनय का भाव जागृत होता है। साथ ही में सकारात्मक ऊर्जा भी मिलती है।
।।जय हिंदुत्व।। ।।जय श्रीराम।। ।।जय महाकाल।। ।।जय श्रीकृष्ण।।
हमें सिखाया जाता है कि अपने से बड़े लोगों को सम्मान करना चाहिए, और इसी सम्मान में हमें उनके चरण स्पर्श करने चाहिए इससे वह वयक्ति खुश होता है और दिल से हमारी कुशलता की प्रार्थना करता है।
आपने घर-परिवार में भी देखा होगा कि बड़े व्यक्तिों जैसे माता-पिता, शिक्षक और बुजुर्गों के चरण स्पर्श किए जाते हैं। चरण स्पर्श करने का एक अर्थ पूरी श्रद्धा के साथ अपने पूजनीय के आगे नतमस्तक होना भी होता है।
चरण स्पर्श का इतना महत्व है कि खुद भगवान कृष्ण ने अपने मित्र को चरण स्पर्श किये थे और उनको धोया भी था।।
चरण स्पर्श करने के पीछे एक तरह का विज्ञान भी छिपा है। यहां दिखाए जा रहे वीडियो में इसके पीछे के वैज्ञानिक वजहों को बताया जा रहा है। इसके अलावा आम धारणा में माना जाता है कि बड़ों के चरण स्पर्श करने से परस्पर नम्रता, आदर और विनय का भाव जागृत होता है। साथ ही में सकारात्मक ऊर्जा भी मिलती है।
यह वीडियो जरूर देखें और जाने चरण स्पर्श का विज्ञान
।।जय हिंदुत्व।। ।।जय श्रीराम।। ।।जय महाकाल।। ।।जय श्रीकृष्ण।।
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