Friday, August 25, 2017

चंद्रमा :: वैदिक ज्योतिष का आधार MOON transit through 27 constellation

पाराशर होरा शास्त्र में चंद्रमा गोचर को #ज्योतिष_की_आत्मा कहा गया है। सूर्य के बाद धरती के उपग्रह चन्द्र का प्रभाव धरती पर पूर्णिमा के दिन सबसे ज्यादा रहता है। जिस तरह मंगल के प्रभाव से समुद्र में मूंगे की पहाड़ियां बन जाती हैं और लोगों का खून दौड़ने लगता है उसी तरह चन्द्र से समुद्र में ज्वार-भाटा उत्पत्न होने लगता है। जितने भी दूध वाले वृक्ष हैं सभी चन्द्र के कारण उत्पन्न हैं। चन्द्रमा बीज, औषधि, जल, मोती, दूध, अश्व और मन पर राज करता है। लोगों की बेचैनी और शांति का कारण भी चन्द्रमा है।

"मानव योनि में कर्म रूपी वृछ निर्माण हेतु #विचार_रूपी_बीज का जनक होने का श्रेय चन्द्रउर्जा को ही प्राप्त है।"
चन्द्रमा माता का सूचक और मन का कारक है। कुंडली में चन्द्र के अशुभ होने पर मन और माता पर प्रभाव पड़ता है। ज्योतिष शाश्त्र "फलदीपिका" के अनुसार कुंडली में चन्द्र के दोषपूर्ण या खराब होने की स्थिति के बारे में विस्तार से बताया गया है।

👉 कैसे होता है चन्द्र खराब ?
* घर का वायव्य कोण दूषित होने पर भी चन्द्र खराब हो जाता है।
* घर में जल का स्थान-दिशा यदि दूषित है तो भी चन्द्र अशुभ फल देता है।
* पूर्वजों का अपमान करने और श्राद्ध कर्म नहीं करने से भी चन्द्र दूषित हो जाता है।
* माता या मातातुल्य का अपमान करने या उससे विवाद करने पर चन्द्र अशुभ प्रभाव देने लगता है।
* शरीर में जल यदि दूषित हो गया है तो भी चन्द्र का अशुभ प्रभाव पड़ने लगता है।
* गृह कलह करने और पारिवारिक सदस्य को धोखा देने से भी चन्द्र प्रतिकूल फल देता है।
* राहु, केतु या शनि के साथ होने से तथा उनकी दृष्टि चन्द्र पर पड़ने से चन्द्र खराब फल देने लगता है।
* सूर्यअस्त के पश्चात् दूध या दूध निर्मित चीजो का लगातार सेवन करने से।

शुभ चन्द्र व्यक्ति को धनवान और दयालु बनाता है। सुख और शांति देता है। भूमि और भवन के मालिक चन्द्रमा से चतुर्थ में शुभ ग्रह होने पर या लग्न से केंद्र में स्वग्रही चन्द्र द्वारा यामिनिनाथ योग से घर संबंधी शुभ फल मिलते हैं।

👉 कैसे जानें कि चन्द्र खराब या दूषित है ?..
* दूध देने वाला जानवर मर जाए।
* यदि घोड़ा पाल रखा हो तो उसकी मृत्यु भी तय है, किंतु आमतौर पर अब लोगों के यहां ये जानवर नहीं होते।
* माता का बीमार होना या घर के जलस्रोतों का सूख जाना भी चन्द्र के अशुभ होने की निशानी है।
* महसूस करने की क्षमता क्षीण हो जाती है।
* राहु, केतु या शनि के साथ होने से तथा उनकी दृष्टि चन्द्र पर पड़ने से चन्द्र अशुभ हो जाता है।
* मानसिक रोगों का कारण भी चन्द्र को माना गया है।
* भावनात्मक असंतुलन की स्तिथि को प्राप्त होना।
* अनिर्णय स्तिथि को प्राप्त होना।
* एकाग्रचित होने में कठिनाई का अनुभव हो।

👉 चंद्र ग्रह उर्जा असंतुलन से होती ये बीमारी:
* चन्द्र में मुख्य रूप से दिल, बायां भाग से संबंध रखता है।
* मिर्गी का रोग।
* पागलपन।
* बेहोशी।
* फेफड़े संबंधी रोग।
* मासिक धर्म गड़बड़ाना।
* स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है।
* मानसिक तनाव और मन में घबराहट।
* तरह-तरह की शंका और अनिश्चित भय।
* सर्दी-जुकाम बना रहता है।
* व्यक्ति के मन में आत्महत्या करने के विचार बार-बार आते रहते हैं।
* किसी विशेष कर्म को करने में असहजता।

👉 चंद्र ग्रह के उपाय:
* प्रतिदिन माता के पैर छूना। (#भूलना_मत)
* शिव की भक्ति।
* सोमवार का व्रत।
* पानी या दूध को साफ चांदी पात्र में सिरहाने रखकर सोएं और सुबह कीकर के वृक्ष की जड़ में डाल दें।
* चावल, सफेद वस्त्र, शंख, वंशपात्र, सफेद चंदन, श्वेत पुष्प, चीनी, बैल, दही और मोती दान करना चाहिए।
* मोती युक्त चांदी निर्मित #प्रतिष्ठित एवं अभिमंत्रित "चंद्रयंत्र" गले में धारण करना।
* कुंडली के छठे भाव में चन्द्र हो तो दूध या पानी का दान करना मना है।
* सोमवार को सफेद वस्तु जैसे दही, चीनी, चावल, सफेद वस्त्र,1 जोड़ा जनेऊ, दक्षिणा के साथ दान करना।
* "ॐ सोम सोमाय नमः'' का 108 बार नित्य जाप करना श्रेयस्कर होता है।
* "चन्द्र अष्टोत्तर शतनामावली" का जप या पलाश समिधा द्वारा हवन करना।
* यदि चन्द्र 12वां हो तो धर्मात्मा या साधु को भोजन न कराएं और न ही दूध पिलाएं।
* नवरात्र में नौ दिन तक गोधुली बेला में घी का दीपक जला कर निहारना।
* #हस्त_रोहिणी_श्रवण नक्षत्र विचार कर सूर्योदय से सूर्यास्त तक नमक एवं जलसेवन वर्जित रखना।
* गंगाजल रुद्राभिषेक विधि विधान द्वारा।

👉 नोट :
इनमें से कुछ उपाय चंद्रमा की विशेष स्तिथि वश #विपरीत_फल देने वाले भी हो सकते हैं। अपनी जन्म कुंडली, हस्तरेखा की पूरी जांच किए बगैर उपाय नहीं करना चाहिए। किसी जानकार, विशेषज्ञ या ज्योतिष विचारक को कुंडली दिखाकर ही ये उपाय करें।

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