ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।
अर्थात: हमें प्रार्थना करते हुए माता से हमारी बुद्धि को जगाने की अपील करनी चाहिए ताकि हम शुभ कार्यों की ओर प्रेरित हो सकें। गायत्री मंत्र हिंदू ब्राह्मणों का मूल मंत्र है। यह मंत्र सूर्य भगवान को समर्पित है। इसलिए इस मंत्र को सूर्योदय और सूर्यास्त के समय पढ़ा जाता है। संस्कृत का यह मंत्र ऋगवेद से लिया गया है जो भृगु ऋषि को समर्पित है। इस एक मंत्र के कई लाभ हैं।
दिमाग शांत रहता है: गायत्री मंत्र के जाप से व्यक्ति का क्रोध शांत रहता है। ज्ञान की वृद्धि होती है और नेत्रों में तेज आता है। सिद्धि प्राप्त होती है। साथ ही इस मंत्र के नियमित जाप से त्वचा में भी चमक आती है।
एकाग्रता और सीखने की क्षमता बढ़ती है: विद्यार्थियों के लिए यह मंत्र बहुत लाभदायक है। रोजाना इस मंत्र के जाप से एकाग्रता और सीखने की क्षमता बढ़ती है। पढाई में मन न लगना, याद किया हुआ भूल जाना, शीघ्रता से याद न होना इस तरह की सभी समस्याओं से भी मुक्ति मिल जाती है।
दरिद्रता का नाश: व्यापार और नौकरी में हानि हो रही हो, कार्य में सफलता न मिलना, आमदनी कम है और खर्च अधिक...तो ऐसे में गायत्री मंत्र का जाप काफी फायदा पहुंचाता है
विवाह कराए गायत्री मंत्र: यदि विवाह में देरी हो रही हो तो सोमवार को सुबह के समय पीले वस्त्र धारण कर माता पार्वती का ध्यान करते हुए 'ह्रीं' बीज मंत्र का सम्पुट लगाकर 108 बार गायत्री मंत्र का जाप करने से विवाह में आने वाली समस्त बाधाएं दूर होती हैं।
संतान का वरदान: किसी दंपत्ति को संतान प्राप्त करने में कठिनाई आ रही हो या संतान रोगग्रस्त हो तो पति-पत्नी एक साथ सफेद वस्त्र धारण कर 'यौं' बीज मंत्र का सम्पुट लगाकर गायत्री मंत्र का जप करें। संतान संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
रोग निवारण: यदि किसी रोग से छुटाकारा चाहते हों तो शुभ मुहूर्त में एक कांसे के पात्र में स्वच्छ जल भरकर रखें और उसके सामने लाल आसन पर बैठकर गायत्री मंत्र के साथ 'ऐं ह्रीं क्लीं' का संपुट लगाकर जप करें। जप के बाद जल से भरे पात्र का सेवन करने से गंभीर से गंभीर रोग का नाश होता है।
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