ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं वाग्वादिनि सरस्वति मम जिह्वाग्रे वद वद ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं नमः स्वाहा ।
इस मंत्र को आषाढ मास में जब उत्तराषाढा नक्षत्र हो तब अर्थात 3 जुलाई 2015 को 108 बार जप लें ओर रात्रि 11 से 12 बजे के बीच जीभ पर लाल चंदन से ह्रीं मंत्र लिख दें । जिसकी जीभ पर यह मंत्र इस विधि से लिखा जायेगा, उसे विद्यालाभ व विद्वत्ता की प्राप्ति होगी । सभी लोग इसका लाभ लें व दूसरों को भी दिलायें ।
विशेष: हर साल गुरुपूर्णिमा पर्व पर यह योग आता था लेकिन इस बार अधिक मास होने से 3 जुलाई को योग आ रहा है ।
केवल गुजरात और महाराष्ट्र के लिए : इस मंत्र का योग दो बार आ रहा है 3 जुलाई और 31 जुलाई सूर्योदय से सुबह 9:45 के बीच में 108 बार जप लें और रात्रि 11 से 12 बजे के बीच जीभ पर लाल चंदन से ह्रीं मंत्र लिख दें ।
जिसकी जीभ पर यह मंत्र इस विधि से लिखा जायेगा, उसे विद्यालाभ व विद्वत्ता की प्राप्ति होगी ।
नोंध : लाल चंदन अपने नजदीकी आश्रम से प्राप्त कर सकते है ।
।।जय हिंदुत्व।। ।।जय श्रीराम।। ।।जय महाकाल।। ।।जय श्रीकृष्ण।।
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