आम तौर पे classes में पढ़ाया जाता है कि प्रकाश की गति 3 लाख किलोमीटर प्रति सैकेंड होती है. पर असल में यह गति 2,99,792 किलोमीटर प्रति सैकेंड होती है. यह 1,86,287 मील प्रति सैकेंड के बराबर होती है.
हर एक सैकेंड में 100 बार आसमानी बिजली धरती पर गिरती है.
हर साल आसमानी बिजली से 1000 लोग मारे जाते हैं.
October 1992 में लंडन के जितना बड़ा बर्फ का तौदा Antarctic से टुट कर अलग हो गया था.
प्रकाश को धरती की यात्रा करने के लिए सिर्फ 0.13 सैकेंड लगेगें.
अगर हम प्रकाश की गति से अपनी नजदीकी गैलैक्सी(Galaxy) पर जाना चाहे तो हमें 20 साल लगेगें.
हवा तब तक आवाज नही करती जब यह किसी वस्तु के विपरीत न चले.
अगर किसी एक आकाश गंगा के सारे तारे नमक के दाने जितने हो जाए तो वह पूरा का पूराOlympic swimming pul भर सकते हैं.
क्विक सिल्वर या पारा ऐसी एकमात्र धातु है, जो तरल अवस्था में रहती है और इतनी भारी होती है कि इस पर लोहा भी तैरता है।
जब पानी से बर्फ बन रही होती तो लगभग 10% पानी तो उड़ ही जाता है. इसलिए ही हमारे फ्रिज में Tray (ट्रे) पर पानी जमा हो जाता है.
दुनिया के सबसे महंगे पदार्थ की कीमत सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। इसका नाम जानने के बाद आप ये सोंच भी नहीं सकेंगे कि वाकई में इसकी कीमत इतनी ज्यादा होगी। आपमें से ज्यादातर लोग इसे सोना, चांदी या हीरा मान रहे होंगे। अगर ऐसा है तो आपको गलतफहमी में है। दुनिया की सबसे महंगा पदार्थ एंटीमैटर(प्रतिपदार्थ) है। प्रतिपदार्थ पदार्थ का एक ऐसा प्रकार है जो प्रतिकणों जैसे पाजीट्रान, प्रति-प्रोटान, प्रति-न्युट्रान मे बना होता है. ये प्रति-प्रोटान और प्रति-न्युट्रान प्रति क्वार्कों मे बने होते हैं. इसकी कीमत सुनकर आपके होश उड़ जायेंगे। 1 ग्राम प्रतिपदार्थ को बेचकर दुनिया के 100 छोटे-छोटे देशों को खरीदा जा सकता है। जी हां,1 ग्राम प्रतिपदार्थ की कीमत 31 लाख 25 हजार करोड़ रुपये है। नासा के अनुसार,प्रतिपदार्थ धरती का सबसे महंगा मैटीरियल है। 1 मिलिग्राम प्रतिपदार्थ बनाने में 160 करोड़ रुपये तक लग जाते हैं। जहां यह बनता है, वहां पर दुनिया की सबसे अच्छी सुरक्षा व्यवस्था मौजूद है। इतना ही नहीं नासा जैसे संस्थानों में भी इसे रखने के लिए एक मजबुत सुरक्षा घेरा है। कुछ खास लोगों के अलावा प्रतिपदार्थ तक कोई भी नहीं पहुंच सकता है। दिलचस्प है कि प्रतिपदार्थ का इस्तेमाल अंतरिक्ष में दूसरे ग्रहों पर जाने वाले विमानों में ईधन की तरह किया जा सकता है।
विश्व की सबसे भारी धातु ऑस्मियम है। इसकी 2 फुट लंबी, चौड़ी व ऊँची सिल्ली का वज़न एक हाथी के बराबर होता है।
नाभिकीय भट्टियों में प्रयुक्त गुरु-जल विश्व का सबसे महँगा पानी है। इसके एक लीटर का मूल्य लगभग 13,500 रुपये होता है।
शरीर पर लगाए जाने वाले सुगंधित पाउडर को टैल्कम पाउडर इसलिए कहते हैं क्योंकि वह ‘टैल्क’ नामक पत्थर से बनाया जाता है।
वैज्ञानिकों ने बताया है कि मुर्गी अंड़े से पहले आई थी क्योंकि वह प्रोटीन जो अंड़ो के cells को बनाता है केवल मुर्गीयों में ही पाया जाता है.
1894 में जो सबसे पहला कैमरा बना था उससे आपको अपनी फोटो खिचवाने के लिए उसके सामने 8 घंटे तक बैठना पड़ेगा.
नील आर्मस्ट्राँग ने सबसे पहले अपना बाँया पैर चँद्रमा पर रखा था और उस समय उनके दिल की धड़कन 156 बार प्रति मिनट थी.
अब तक का सबसे बड़ा ज्ञात तारा Canis Majoris(केनिस मीजोरिस) है. यह इतना बड़ा है कि इसमें 7 000 000 000 000 000 पृथ्वीयाँ समा सकती हैं. दुसरे शब्दों में अगर पृथ्वी का आकार अक मटर के दाने जितना क दिया जाए तो Canis Majoris का व्यास(diameter) 3 किलोमीटर होगा.
सूर्यमंडल के बाहर सबसे पहले खोजा जाने वाला ग्रह 1990 में खोजा गया था. हमारे ब्रहाम्ण्ड में लगभग 40*1021 ग्रह हैं. पर अबी तक सिर्फ 800 ग्रह ही खोजे हए हैं.
जैसा के ऊपर बताया हया है कि सबसे बड़ा ज्ञात तारा केनिस मीजोरिम है. इसका अर्धव्यास हमारे सुर्य से 600 हुना ज्यादा है जबकि वजन(द्रव्यमान) सिर्फ 30 गुना ज्यादा.
हमारे सुर्यमंडल पर सबसे ऊँची चोटी ओलंपस मॉन्स है जो कि मंगल ग्रह पर स्थित है. इसके आधार का घेराव लगभग 600 किलोमीटर है ओर इसकी ऊँचाई 26 किलोमीटर है. माउंट ऐवरेस्ट की ऊँचाई 8.848 किलोमीटर है.
बृहस्पति का गेनीमेड चंन्द्रमा सुर्यमंडल में एकलौती वस्तु है जो कि किसी ग्रह से बड़ी है. गेनीमेड का आकार बुद्ध ग्रह से ज्यादा है.
किसी तारे की मौत एक सुपरनोवा धमाके से होती है. इस धमाके के कारण पैदा होने वाली वाली उर्जा हमारे सुर्य के जीवन काल दौरान पैदा होने वाली उर्जा से कई लाख गुना ज्यादा होती है.
हम नंगी आँख से रात को लगभग 6,000 तारों को देख सकते हैं. अगर हम दुरबीन का प्रयोग करें तो 50,000 देख सकते हैं. जबकि हमारी आकाशहंगा में 400 तारें हैं.
न्युट्रॉन तारे इतने घने होते हैं कि उनका आकार तो एक गोल्फ बाल जितना होता है मगर द्रव्यमान(वज़न) 90 अरब किलोग्राम होता है.
अगर धरती का आकार एक मटर जितना कर दें तो बृहस्पति इससे 300 मीटर दूर होगा और पलुटो 2.5 किलोमीटर . मगर पलुटो आपको दिखेगा नही क्योंकि तब इसका आकार एक बैकटीरीया जितना होगा.
Joeph Niepce ने 1827 में दुनिया की सबसे पहली फोटोग्राफिक आक्रति विकसित की. थॅामस एडीसनऔर W.K.L. Dickson ने 1894 में फिलम कैंमरे का आरंम्भ किया. पर एक तसवीर को परदे पे लाने का काम सबसे पहले एक जर्मन पुजारी द्वारा किया गया.
एक व्यकित बिना खाने के एक महीना रह सकता है पर बिना पानी के 7 दिन. अगर शरीर में पानी की मात्रा 1 प्रतीशत से कम हो जाए तो आप प्यास महसूस करने लगते है. अगर यह मात्रा 10 प्रतीशत से कम हो जाए तो आप की मौत हो जाएगी
Uranus ग्रह का परिपथ 90 डिगरी तक झुक जाता है.
हर मनुषय अपने जीवन काल में लगभग आधा घंटा एक कोसिका जीव की तरह बिताता है.
हर साल हमारे शरीर के लगभग 98 प्रतीशत परमाणु बदल जाते हैं.
गरम पानी ठंडे पानी से ज्यादा भारी होता है.
सौर मंण्डल के सारे ग्रह बृहस्पति में समा सकते है.
जब अंतरिक्षयात्री अंतरिक्ष से वापिस आते है तब उन की लंम्बाई 2 इंच बढ़ जाती है. इसका कापण यह है कि हमारी रीड़ की हड्डी से जुड़ी लचीली हड्डीयां गुरूत्व की गैरहाजरी में फैलने लगती हैं.
जब हाईड्रोजन हवा में जलती है तो इस क्रिया के फलसरूप पानी बनता है.
Ploutonium मनुष्य द्वारा बनाया गया सबसे पहला तत्व है.
अगर आप अंतरिक्ष में जाते है तो आप गला घुटने की बजाए शरीर के फटने से पहले मर जाएगें क्योंकि वहाँ पर हवा का दबाब नही है.
रेडियोऐकटिव तत्व Americanium-241 कई धूम्र पदार्थो में इस्तेमाल किया जाता है.
ध्वनि हवा से ज्यादा स्टील में लगभग 15 गुना अधिक गति करेगी.
अभी तक 1 उल्का पिंड द्वारा शिर्फ एक ही बनावटी उपग्रहि नष्ट किया गया है. यह उपग्रह European Space Agency का Olympics(1993) था.
एक नजरिये से तापमान मापने के लिए Celsius सकेल Fahrenheit सकेल से ज्यादा अकलमंदी से बनाया गया. पर इसके निर्माता Andero Celsius एक अनोखे वैज्ञानिक थे. जब उन्होंने पहली बार इस सकेल को विकसित किया, उन्होंने गलती से जमा दर्जा 100 और ऊबाल दर्जा 0 डिगरी बनाया. पर कोई भी उन्हें इस गलती को कहने का हौसला न कर सका, सों बाद के वैज्ञानिकों ने सकेल को ठीक करने के लिए उनकी मृत्यु का इंन्तजार किया.
जब एक जैट प्लेन की गति 1000 किलोमीटर प्रतिघंटा होती है तब उसकी लंम्बाई एक परमाणु घट जाती है.
.एक खगोलशास्त्री फ्रेंक ड्रेक ने अंतरिक्ष संम्ंबन्धी कई तत्थों को ध्यान में रखते हुए कई समीकरणों द्वारा दरशाया कि हमारी आकाश गंगा(मंदाकिनी) में धरती के सिवाए 1000-10000 ग्रह ऐसे ओर हो सकते है जिन पे जीवन संम्भव हो सकता है. इतना ही नही 1974 में महान गणितज्ञ कार्ल सागन के अनुसार हमारी आकाशगंगा में ही 10 लाख सभ्ताये होनी चाहीए.
धरती एकलौता ऐसा ग्रह है जिसका नाम किसी देवता के ऊपर नही रखा गया और ना ही पुल्लिंग रखा गया है.
Albert Einestein के अनुसार हम रात को आकाश में लाखों तारे देखते है उस जगह नही होते ब्लकि कही और होते है. हमें तों उनके द्वारा छोडा गया कई लाख प्रकाश साल पहले का प्रकाश होता है.
एक ताजा शैंपेन में गिरी किशमिश कांच की गोली थेडी देर तक ऊपर नीचे उछलती रहेगी.
जब चाँद बिलकुल आपके सिर पर होता है तो आपका वजन थोड़ा कम हो जाता है.
-40 डिगरी पर Fahraniheit सकेल और Celsius सकेल बराबर होते हैं.
शुक्र ग्रह बाकी ग्रहो की तरह अपनी धुरी के गिर्द झुका नही हुआ है और इसलिए इस पर ऋतुएँ भी नही और यह बाकी ग्रहो से उल्टी दिशा पर सूरज की परिक्रमा करता है.
गरम पानी , ठंडे पानी से पहले बर्फ में बदल जाएगा.
तत्वो की आर्वती सारणी में 'j' अक्षर कही भी नही आता.
।।जय हिंदुत्व।। ।।जय श्रीराम।। ।।जय महाकाल।। ।।जय श्रीकृष्ण।।
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