Wednesday, July 15, 2015

क्यों हिरणी जैसी चाल वाली लड़की से विवाह न करे ??




हथिनी और हंसिनी जैसी चाल जिस युवती की हो उससे विवाह करे,
हिरणी जैसी चाल वाली लड़की से विवाह न करे।

उत्तर : आश्वलायन गृह सूत्र के अनुसार कन्या में निम्नलिखित शुभलक्षण होने चाहिए -

1. बुद्धि 2. रूप 3. लक्षण अर्थात शुभ लक्षण 4. शील 5. आरोग्य

रूप की परिभाषा करते हुए
शास्त्रकार कहते हैं कि जिसमे वर का मन रमे उसे रूप कहते हैं।

आपस्तम्ब ऋषि का भी कथन है की -

"यस्यां मनशचक्षुषोनिबन्धस्तस्यामृद्धिरिति"

अर्थात जिसको देखने से, नेत्र और मन जहाँ बांध जाए, ऐसी कन्या से विवाह शुभ है।

अब कुछ महानुभाव जिन्होंने ऋषि पर आक्षेप कर दिया की चाल के बारे में लिखा यानी ऋषि ने चाल पर ध्यान दिया - मंत्रो को तवज्जो नहीं दी - वो आपस्तम्ब ऋषि के बारे में भी यही सोचेंगे की ऋषि का ध्यान कन्या के चेहरे पर था - ज्ञान आदि विषय पर नहीं।

कन्या के शुभलक्षणयुक्त होने पर बहुत जोर अनेको ऋषियों ने दिया है
ताकि गृहस्थाश्रम में विघ्न न हो - दुःख क्लेश आदि उत्पन्न न हो - जैसे

कन्या लक्षणान्विता होने चाहिए - कन्या अंगहीन न हो, न ही कोई अंग छोटा बड़ा हो, जिसके नाम में सौम्य हो, जो हंस या हाथी की भांति चलती हो, जिसके शरीर के रोम, केश और दांत पतले हो, जिसका शरीर मृदु हो, ऐसी कन्या से विवाह करना उचित है।

दक्ष तथा याज्ञवल्क्य ऋषि ने भी लिखा है कि
विवाह के पूर्व कन्या के लक्षणों को अवश्य देखे।

शातातप प्रणीत - "पृथ्वी चंद्रोदय" में लिखा है की जिसकी वाणी हंस के सामान हो और वर्ण मेघ की तरह हो अर्थात चिकनाई लिए हुए श्याम वर्ण, ऐसी कन्या से विवाह करने से गार्हस्थ सुख प्राप्त होता है।

नारद जी ने भी लिखा है की मृग के सामान जिसके नेत्र और ग्रीवा हो और हंस के सामान जिसकी गति और वाणी हो ऐसी स्त्री राजपत्नी होती है।

स्त्री लक्षणों के बारे में जो शास्त्रो में बताया गया - उन सम्भावनाओ - लक्षणों को बताया ताकि वर स्वयं अथवा वर के माता पिता आदि गुरुजन अच्छी कन्या का अन्वेषण करते समय अपने मन में यह निश्चय कर ले की अमुक कन्या में क्या क्या शुभ लक्षण हैं और उससे विवाह करना कहाँ तक उपयुक्त होगा।

शुभ लक्षणों का जानना इसलिए आवश्यक है ताकि भावी संतान सब सुख और गुणों से भरपूर है, दुर्गणों का लेशमात्र भी न हो। जिससे देश धर्म और समाज की व्यवस्था बानी रहे।

हाँ ये बात भी ठीक है कि स्त्री-लक्षण शास्त्र का ज्ञान करके यह कहना उचित नहीं है की अमुक की पत्नी अच्छी है, अमुक की पत्नी दुष्ट लक्षणा है, लेकिन इतना अवश्य है की यदि इन नियमो का यथावत पालन न किया जाए तो दो प्रकार के दोषो की सम्भावना है

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.#स्त्री_और_दोहरी_नैतिकता

देखा जाये तो पुरुष-नारी में केवल 'जनन' संबंधी अंतर है। बाकी सारी मान्यताएँ दोहरी सोच का नतीजा है-

पुरूष मन परेशान न हो जाये, मानसिक कामुकता का कीङा कुलबुलाने न लगे, इसलीये 'स्त्री शरीर' को पूरे पर्दें में रख दो। मतलब, गंदगी करे पुरुष की नजर और जेल में डाल दो औरत को???

पुरुष कई बीवियाँ रखें, रखैल रखे, दो चार लङकियों से अफेयर रखे, तो इसमें कोई अनैतिकता नहीं बल्कि इसमें उसकी मर्दानगी, पौरूष है!

और अगर लङकी या बीवी भूलवश भी किसी लङके या आदमी की तरफ देख ले, हँसकर बात कर ले तो वो सामाजिक गंदगी, छिनाल(शरमिंदा हूँ शब्द प्रयोग के लिए)???

आप खुद खुलेआम सड़को पर घूमें, पिक्चर देखे, बाईकिंग करें और घर की लङकी अगर छत पर भी चली जाये,या घूमने निकल जाये तो आपका पौरुष अपमानित हो जाता है?

अगर शादी से पहले किसी लङकी का किसी लङके के साथ अफेयर हो जाये, तो पूरा खानदान बेशर्म और बेहया बना देता है और वहीं यदि कोई लङका अगर ऐसा काम कर दें, तो सीना चौङा हो जाता है। ये कैसी दोहरी मानसिकता है?

अगर समाज को बराबरी वाला और स्त्रीपुरुष को बराबर का दर्जा देना है,तो ऐसी सारी दोहरी मानसिकताओ, नैतिकताओं की समाप्ति होनी चाहिए। असली सामाजिक क्रांति यही होगी।

1. शुभाशुभ दोनों प्रकार के लक्षण प्रत्येक व्यक्ति में पाये जाते हैं। जिस प्रकार के लक्षण अधिक बलवान और विशेष संख्या में होते हों वे विपरीत लक्षणों को दबा देते हैं। "विवेक विलास" ग्रन्थ की एक पंक्ति समझने योग्य है :

"पुष्टं यादव देहे स्याल्लक्षणम् वाप्यलक्षणम्।
इतराब्दाद्यते तेन बलवत फलदं भवेत्।।

भावार्थ : हो सकता है किसी लक्षण से कोई स्त्री दुष्ट प्रतीत होती हो
किन्तु उसमे ऐसे बलवान शुभ लक्षण भी हो जिनको हम नहीं देख सकते।

2. प्रत्येक स्थान पर ज्योतिष की भाँती लक्षण शास्त्र में भी
देश, काल और पात्र का विचार करना उचित है।

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एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले 10 साल में 50 लाख से जादा बेटियां गर्भ में ही मार दी गईं! और आज भी गांवों में कितनी ही बार बेटी पैदा होते ही खाट के पाए से ही दबा कर मार दी जाती है!

मालूम है क्यों? असल में इसका कारण है आपका धर्म और संस्कृति! आइये जानें कैसे!

क्योंकि आपके धर्म में अन्धविश्वास से परिपूर्ण 16 संस्कारों में से एक है पुंसवन संस्कार, जोकि बच्चे के गर्भ में आने के बाद उसके पुत्र होने की कामना से किया जाता है!

क्योंकि आपके धर्मानुसार पुत्र की कामना से पुत्रेष्टि यज्ञ जैसे अनुष्ठान किये जाते हैं!

क्योंकि आपके धर्मग्रंथों में लिखा है कि नरक से बचने के लिए पुत्र होना आवश्यक है!

क्योंकि आपके धर्मग्रन्थ _पुत्र की कामना रखने वालों को
संतान गोपाल मन्त्र का जप करने की आज्ञा देता हैं!

क्योंकि आपके धर्मशास्त्र कहते हैं कि बेटा कपालक्रिया करता है
और जब तक बेटा न हो तब तक आपका मोक्ष नहीं हो सकता!

क्योंकि आपके धर्म और संस्कृति के अनुसार स्त्री दोयम दर्जे की नागरिक है,
गुलाम है और उसे सारी जिन्दगी पिता, पति या पुत्र के आधीन रहना होता है!

क्योंकि आपके धर्मग्रन्थ कहते हैं कि स्त्री स्वतंत्र होने पर बिगड़ जाती है
इसलिए उसे स्वतंत्र नहीं छोड़ा जा सकता!

क्योंकि आपके धर्मशास्त्रों के अनुसार स्त्री नरक का द्वार होती है!

क्योंकि आपका धर्म और संस्कृति दहेज़ प्रथा का अनुमोदन और वर्णन करता है
और लड़की की शादी होने पर दहेज़ देना होता है!

क्योंकि आपके धर्म और संस्कृति के अनुसार कन्या एक वस्तु मात्र या पराया धन होती है
जिसका कि आपको कन्यादान करना पड़ता है!

क्योंकि इन्हीं सब कारणों से आधुनिक समय के बाबा रामदेव जैसे सन्यासी व्यापारी पुत्र पैदा होने के लिए पुत्र बीजक औषधि बेचते हैं और इस देश के बहुत से मूर्ख अन्धविश्वासी धर्मांध ऐसी दवाइयों को खरीदकर इन जैसे बाबाओं को अरबपति बनाते हैं!

क्योंकि आज के समय में भी आपके धर्मगुरु कहते हैं कि 10 प्रकार के नरकों से बचने के लिए 10 बच्चे पैदा करो और नर्क से तो पुत्र ही बचाता है!

क्योंकि बेटी को पालना पोसना और उसका शादी ब्याह करना सबकुछ कठिन,
झंझट से भरा और खर्चीला है और उसके एक कदम से ही आपकी इज्जत ख़त्म हो जाती है!

क्योंकि आपकी संस्कृति में पुत्र का महत्व कितना है कि लिंगानुपात का संतुलन बिगड़ जाने पर राजनेता जब बेटी बचाने का आवाहन करते हैं तब भी यही कहते हैं कि "बेटी नहीं बचाओगे तो बहू कहाँ से लाओगे", मतलब यह कि बेटी को बेटी के लिए नहीं बल्कि बेटे के लिए बहू कैसे मिलेगी इस चिंता में बचाना है!

धर्मावलम्बियों और संस्कृति प्रेमियों से मेरा निवेदन है कि बिना कुछ पढ़े लिखे खामखाँ में मुझसे बहस मत करियेगा! ऊपर जितनी बातें लिखीं हैं मैं सभी का प्रमाण आपको आपके धर्म, संस्कृति और शास्त्रों में दिखा सकती हूँ !

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एक लड़की किसी लड़के को अपना जीवनसाथी बनाने के लिए उसका भविष्य देखती है तो लड़का, लड़की का अतीत...

एक ख़ूबसूरत स्त्री और एक अमीर मर्द जिंदगी में बहुत कुछ हासिल तो कर सकते हैं, लेकिन उन्हें सच्चा प्यार मिल जाए ये जरूरी नहीं...
ख़ूबसूरती और पैसा बहुत से विकल्प देता है जिसमें सही चुनाव काफी मुश्किल होता है...

।।जय हिंदुत्व।। ।।जय श्रीराम।। ।।जय महाकाल।। ।।जय श्रीकृष्ण।।

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