Tuesday, June 23, 2015

ग्लाइड बम




भारत ‘भारी बमों’ को डिजाइन, विकसित और उन्हें 100 किमी तक दागने में सक्षम है। भारत ने हाल ही में ‘ग्लाइड बम’ का सफल परीक्षण कर यह क्षमता हासिल की है। ग्लाइड बम पारंपरिक बमों से अलग होता है। यह ऐसा बम है, जिसे वायु सेना के लड़ाकू विमान से गिराकर निर्देशित करने की प्रणाली का प्रयोग करते हुए मनचाहे लक्ष्य की ओर दागा जा सकता है।
परंपरागत बमों को जहां लक्ष्य के ठीक ऊपर जाकर गिराना होता है, वहीं ग्लाइड बम लड़ाकू विमानों से दूर से ही दागे जाने के बाद एक ग्लाइडर की तरह उड़ान भरते हुए निर्देशन प्रणाली की मदद से लक्ष्य पर अचूक निशाना साधने में सक्षम होते हैं।

भारत के ‘रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन’ द्वारा डिजाइन एवं विकसित 1000 किग्रा. वजनी ग्लाइड बम का परीक्षण सफलता हो चुका है। दिसंबर 2014 में हुए इस परीक्षण के तहत भारतीय वायु सेना के एक लड़ाकू विमान ने पश्चिम बंगाल के खड़गपुर के निकट स्थित कलाईकुंडा एयरबेस से उड़ान भरते हुए नेविगेशन प्रणाली से लैस ग्लाइड बम को ओडिशा के तटीय क्षेत्र में बंगाल की खाड़ी के ऊपर से गिराया।
सस्‍ता होता है रख-रखाव
नैविगेशन प्रणाली द्वारा निर्देशित इस बम ने 100 किमी. दूरी तक उड़ान भरने के पश्चात निर्धारित लक्ष्य को ध्वस्त कर दिया। ग्लाइड बम की इस उड़ान पर ओडिशा के बालासोर में स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज में तैनात रडारों एवं इलेक्‍ट्रो ऑप्टिक सिस्‍टम के द्वारा नजर रखी गई।
ग्लाइड बमों में मिसाइलों की तरह कोई मोटर नहीं लगी होती इसलिए इनका संचालन एवं रख-रखाव अपेक्षाकृत सस्ता पड़ता है। भारत में विकसित इस ग्लाइड बम की रेंज 100 किमी है। यानी इसे वायु में किसी लड़ाकू विमान द्वारा 100 किमी दूर सतह पर स्थित लक्ष्य पर दागा जा सकता है।
चूंकि पाकिस्तान और चीन की सतह से हवा में मार करने वाली अधिकतर मिसाइलों की रेंज 100 किमी. से कम है, इसलिए भारतीय लड़ाकू विमान बम गिराने के पश्चात शत्रु की मिसाइलों की रेंज में आने के पूर्व सुरक्षित वहां से निकल सकता है।
।।जय हिंदुत्व।। ।।जय श्रीराम।। ।।जय महाकाल।।

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