Tuesday, June 16, 2015

किशमिश के गुण

किशमिश वीर्य को बढ़ाती है, खांसी और हृदय के दर्द को दूर करती है। यह स्वरभंग तथा वात, पित्त को शान्त करती है। इसके सेवन से आमाशय नर्म बनता है और खून की गर्मी शांत होती है। इसके सेवन से शरीर मजबूत और फुर्तीला बनता है। यह पेट को साफ करती है और दिमाग को तेज करती है।अंडकोष की सूजन :• प्रतिदिन प्रातः खाली पेट किशमिश खाने से अंडकोष का एक शिरा बढ़ना ठीक होता है। एवं अंडकोष में पानी भरना रोग ठीक होता है।
कब्ज: • किशमिश 25 ग्राम, मुनक्का 4 पीस, अंजीर 2 पीस और सनाय का चूर्ण चौथाई चम्मच लेकर एक गिलास पानी में भिगो दें। थोड़ी देर बाद सभी को उसी पानी में मसलकर छान लें और इसमें एक कागजी नींबू का रस व 2 चम्मच शहद मिलाकर सुबह खाली पेट सेवन करें। इससे कब्ज दूर होती है।
मासिकधर्म सम्बंधी विकार: • 3 ग्राम पुरानी किशमिश को 200 मिलीलीटर पानी में रात को भिगो दें। सुबह किशमिश को उसी पानी उबाल लें और जब पानी एक चौथाई की मात्रा में बचा रह जाए तो छानकर सेवन करें। इससे मासिकधर्म के सभी दोष दूर होते हैं।
आंव एवं खूनी पेचिश :• पेचिश के रोगी को किशमिश का रस शहद में मिलाकर पीना चाहिए। इससे दस्त में आंव व खून आना बन्द होता है।
हृदय की धड़कन: • 50 ग्राम किशमिश को पानी में मसलकर व उबालकर सेवन करने से हृदय की धड़कपन सामान्य होती है। इससे हृदय को शक्ति मिलती है।
निम्न रक्तचाप (लो ब्लडप्रेशर): • 50 ग्राम चना और 25 ग्राम किशमिश को 2 कप पानी में रात को भिगोकर रख दें। सुबह चना और किशमिश को खूब चबा-चबाकर खाएं और ऊपर से उस पानी को पी लें। इससे 3-4 सप्ताह में निम्न रक्तचाप सामान्य होता है। • चीनी मिट्टी के बर्तन में 20 से 25 किशमिश को 150 मिलीलीटर पानी में रात को भिगोकर रख दें। सुबह किशमिश को खूब चबा-चबाकर खाएं। इससे निम्न रक्तचाप (लो ब्लडप्रेशर) में लाभ मिलता है और शरीर पुष्ट होता है।
शरीर को शक्तिशाली बनाना : • सुबह के समय लगभग 25 से 30 किशमिश को गर्म पानी से धोकर साफ कर लें और फिर इसे कच्चे दूध में डाल दें। आधे या एक घंटे बाद किशमिशों को दूध के साथ गर्म करके खाएं और ऊपर से दूध पी लें। इससे शरीर में खून बढ़ता है, ठंडक दूर होती है, पुरानी बीमारी, अधिक कमजोरी, यकृत की खराबी और बदहजमी दूर होती है।

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