Tuesday, June 16, 2015

भारत भूमी के बारे मे विदेशीयो कि राय

1. अलबर्ट आइन्स्टीन - हम भारत के बहुतऋणी हैं, जिसने हमें गिनती सिखाई, जिसकेबिना कोई भी सार्थक वैज्ञानिक खोज संभवनहीं हो पाती।

2. रोमां रोलां (फ्रांस) - मानव ने आदिकाल सेजो सपने देखने शुरू किये, उनके साकार होने काइस धरती पर कोई स्थान है, तो वो है भारत।

3. हू शिह (अमेरिका में चीन राजदूत)- सीमा परएक भी सैनिक न भेजते हुए भारत ने बीससदियों तक सांस्कृतिक धरातल पर चीन कोजीता और उसे प्रभावित भी किया।...

4. मैक्स मुलर- यदि मुझसे कोई पूछे की किसआकाश के तले मानव मन अपने अनमोलउपहारों समेत पूर्णतया विकसित हुआ है, जहांजीवन की जटिल समस्याओं का गहनविश्लेषण हुआ और समाधान भी प्रस्तुतकिया गया, जो उसके भी प्रसंशा का पात्रहुआ जिन्होंने प्लेटो और कांट का अध्ययनकिया,तो मैं भारत का नाम लूँगा।

5. मार्क ट्वेन- मनुष्य के इतिहास में जो भीमूल्यवान और सृजनशील सामग्री है, उसकाभंडार अकेले भारत में है।

6. आर्थर शोपेन्हावर - विश्व भर में ऐसा कोईअध्ययन नहीं है जो उपनिषदों जितना उपकारीऔर उद्दत हो। यही मेरे जीवन को शांति देतारहा है, और वही मृत्यु में भी शांति देगा।

7. हेनरी डेविड थोरो - प्रातः काल मैं अपनीबुद्धिमत्ता को अपूर्व और ब्रह्माण्डव्यापी गीताके तत्वज्ञान से स्नान करता हूँ,जिसकी तुलना में हमारा आधुनिक विश्व औरउसका साहित्य अत्यंत क्षुद्र और तुच्छ जनपड़ता है।

8. राल्फ वाल्डो इमर्सन - मैं भगवत गीता काअत्यंत ऋणी हूँ। यह पहला ग्रन्थ है जिसेपढ़कर मुझे लगा की किसी विराट शक्ति सेहमारा संवाद हो रहा है।

9. विल्हन वोन हम्बोल्ट- गीता एक अत्यंतसुन्दर और संभवतः एकमात्र सच्चादार्शनिक ग्रन्थ है जो किसी अन्य भाषा मेंनहीं। वह एक ऐसी गहन और उन्नत वस्तु हैजैस पर सारी दुनिया गर्व कर सकतीहै।

10. एनी बेसेंट -विश्व के विभिन्न धर्मों कालगभग ४० वर्ष अध्ययन करने के बाद मैं इसनतीजेपर पहुंची हूँ की हिंदुत्व जैसा परिपूर्ण,वैज्ञानिक, दार्शनिक और अध्यात्मिक धर्मऔर कोई नही.

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