कम्पुटर के virus कौन बनाता है ??
कम्पुटर के 85 % virus , Anti virus software वाली कंपनियाँ बनाती है । पहले virus बनाओ ! फिर anti virus बेचो !!
अर्थात पहले swine flu का वैक्सीन बनाओ !
फिर swine flu के वाइरस का डर बैठाओ
और फिर वैक्सीन बेचो ! विदेशी कंपनियाँ और निजी हास्पिटल वाले साधारण FLU (शरीर दर्द करना ,पेट दर्द करना थोड़ा बुखार आ जाना ) साधारण FLU को ही swine flu बता रहे है ! ताकि इनकी बनाई tami flu नामक दवा जिनके गोदाम इन विदेशी कंपनियो ने भरे हुए है
वो खाली हो सके !! बाकी पैसा swine flu test करने वाले ,मास्क बेचने वाले कमाएं !
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स्वाइन फ्लू के बारे में बेवजह अफवाह फैलाई जा रही है। इस बीमारी से डरने की जरूरत नहीं है। बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियों और निजी अस्पतालों की मिलीभगत की वजह से लोगों में इस बीमारी के बारे में अफवाह फैलाई जा रही है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के विशेषज्ञों ने एक स्टडी रिपोर्ट के हवाले से साबित किया है कि स्वाइन फ्लू एक नाॅर्मल फ्लू है और इससे डरने की जरूरत नहीं है।
स्वाइन फ्लू की बीमारी को लेकर एम्स विशेषज्ञों ने बकायदा 45 महीनों तक रिसर्च किया है और आंकड़ों से साबित किया है कि सीधे तौर पर स्वाइन फ्लू की वजह से मरीजों की मौत नहीं हुई। यह रिसर्च 28 गांवों में 45 महीनों के दौरान मरने वाले लोगों की डेथ स्टडी पर किया गया है। एम्स के विशेषज्ञों ने इस रिपोर्ट को पिछले दिनों दक्षिण अफ्रीका के डरबन में एक सेमिनार के दौरान प्रस्तुत किया था और दावा किया था कि भारत में सीधे तौर पर स्वाइन फ्लू की वजह से किसी मरीज की मौत नहीं हुई है। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि किसी अन्य बीमारी से पीड़ित मरीज में स्वाइन फ्लू के लक्षण पाया जाना अलग बात है और सीधे तौर पर मात्र स्वाइन फ्लू की वजह से मरना अलग बात है।
कैसे हुई स्टडी हरियाणा के बल्लभ गढ़ क्षेत्र में स्थित 28 गांवों में 45 महीनों के दौरान मरने वाले 2358 लोगों की मौत के कारण का अध्ययन किया गया। यह अध्ययन अप्रैल 2008 से दिसंबर 2011 के बीच हुई मौतों पर किया गया।
स्वाइन फ्लू के सर्वाधिक मामले : जुलाई 2009 में देश में स्वाइन फ्लू का पहला मामला पाया गया और सितंबर 2010 में अंतिम मामला। इन 15 महीनों के दौरान देश में स्वाइन फ्लू के सर्वाधिक मामले पाए गए। सर्वे में स्वाइन फ्लू के प्रकोप से पहले के 15 महीनों में होने वाली मौतें और प्रकोप के बाद 15 महीनों में होने वाली मौतों को भी शामिल किया गया।
स्वाइन फ्लू से डरने की जरूरत नहीं है। अन्य बीमारियों की तरह यह भी एक सामान्य फ्लू है। मरीजों की मौत के कारणों का स्टडी किया जाए। इसमें एम्स भी सहयोग करेगा। स्वाइन फ्लू की वजह से मरने का दावा करना उचित नहीं है। लक्षण पाए जाने पर मरीज आराम करें। डॉ.संजय राय, एडिशनल प्रोफेसर, कम्युनिटी डिपार्टमेंट, एम्स !
सच देखें ! MUST CLICK
LINK https://www.youtube.com/ watch?v=DCiWvjOkI9I
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स्वाइन फ्लू की बीमारी को लेकर एम्स विशेषज्ञों ने बकायदा 45 महीनों तक रिसर्च किया है और आंकड़ों से साबित किया है कि सीधे तौर पर स्वाइन फ्लू की वजह से मरीजों की मौत नहीं हुई। यह रिसर्च 28 गांवों में 45 महीनों के दौरान मरने वाले लोगों की डेथ स्टडी पर किया गया है। एम्स के विशेषज्ञों ने इस रिपोर्ट को पिछले दिनों दक्षिण अफ्रीका के डरबन में एक सेमिनार के दौरान प्रस्तुत किया था और दावा किया था कि भारत में सीधे तौर पर स्वाइन फ्लू की वजह से किसी मरीज की मौत नहीं हुई है। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि किसी अन्य बीमारी से पीड़ित मरीज में स्वाइन फ्लू के लक्षण पाया जाना अलग बात है और सीधे तौर पर मात्र स्वाइन फ्लू की वजह से मरना अलग बात है।
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स्वाइन फ्लू के सर्वाधिक मामले : जुलाई 2009 में देश में स्वाइन फ्लू का पहला मामला पाया गया और सितंबर 2010 में अंतिम मामला। इन 15 महीनों के दौरान देश में स्वाइन फ्लू के सर्वाधिक मामले पाए गए। सर्वे में स्वाइन फ्लू के प्रकोप से पहले के 15 महीनों में होने वाली मौतें और प्रकोप के बाद 15 महीनों में होने वाली मौतों को भी शामिल किया गया।
स्वाइन फ्लू से डरने की जरूरत नहीं है। अन्य बीमारियों की तरह यह भी एक सामान्य फ्लू है। मरीजों की मौत के कारणों का स्टडी किया जाए। इसमें एम्स भी सहयोग करेगा। स्वाइन फ्लू की वजह से मरने का दावा करना उचित नहीं है। लक्षण पाए जाने पर मरीज आराम करें। डॉ.संजय राय, एडिशनल प्रोफेसर, कम्युनिटी डिपार्टमेंट, एम्स !
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