क्यूँ! भारत देश "सोने की चिड़िया" था!? तब क्या था ?
1.भारत में शिक्षा व्यवस्था अंग्रेजी में नहीं, संस्कृत में थी।
2.शिक्षा व्यवस्था में धर्म, कर्म और संस्कार सिखाने के बाद ही शिक्षा दी जाती थी तब, गुरुकुल कहते थे,इसलिए लोगों में दान, दया, करुणा, सेवा,सत्य, अहिंसा, परंपराओं और वफादारी भरी हुई थी।
3.भारत देश दुनिया का सबसे धनवान देश था।
1.भारत में शिक्षा व्यवस्था अंग्रेजी में नहीं, संस्कृत में थी।
2.शिक्षा व्यवस्था में धर्म, कर्म और संस्कार सिखाने के बाद ही शिक्षा दी जाती थी तब, गुरुकुल कहते थे,इसलिए लोगों में दान, दया, करुणा, सेवा,सत्य, अहिंसा, परंपराओं और वफादारी भरी हुई थी।
3.भारत देश दुनिया का सबसे धनवान देश था।
4.तक्षशिला और नालंदा जैसी महान विद्यालयों थी, तब भारी संख्या में विदेशी लोग भी पढने आते थे।
5.तब भारत में चिकित्सा पद्धति विख्यात थी , पशु पालन का व्यवसाय समृद्ध था, दूध और छास का कोई मोल नहीं था, गौ रक्षा होती थी , ओर्गेनिक खेती होती थी।
6.कोई भी व्यक्ति गरीब नहीं था, कोई भी व्यक्ति भिखारी नहीं था,लेकिन लोगों की भलाई करने वालें साधु-संत और संन्यासी थे, जिसकों लोग, मान,सन्मान देते थे, खाना खिलाने में स्वभाग्य समझा जाता था।
7.तब, लटा मारकर पढ़ाई नहीं होती थी, नहीं परीक्षा होती थी, तब कोई भी शिष्य, कोई भी क्षेत्र में प्रतिभा शाली होता था, उनको योग्यता के आधार पर राजा महाराजाओं के राज में, गुरुजी के कहने पर नौकरी दी जाती थी। तब, आज की तरह अंग्रेजी में फेल होने से (काबिलियत) योग्यता खत्म नहीं होती थी।
8.तब, गुरु दक्षिणा पढ़ाई के बाद दी जाती थी, ज्यादातर लोग, अनाज और गाय का दान, गुरु दक्षिणा में देते थे।
9.तब,विश्व में केवल भारत में ही लोग, घर -परिवार में रहते थे। जरा सोचिए हम आज पैसे के पीछे अंधा होकर भाग रहे हैं, अगर आप एक साथ थोड़ा सा समय देश के लिए निकाल सकते हैं, तो, देश की बहुत बड़ी समस्या चंद दिनों में समाप्त हो सकती है, जो आप के लाभ के लिए ही है।
"अंग्रेजीयत की गुलामी देश की सबसे बड़ी समस्या हैं, " भारत में ही भारतीय भाषाओं का महत्व नहीं हैं और अंग्रेजी भाषा राज कर रही हैं, देश की कोई भी भाषा का प्रयोग करो, लेकिन अंग्रेजीयत और अंग्रेजी भाषा का अत्याचार सहना बंद करो और देश के लिए एक साथ बड़ा जनआंदोलन करो।"
अंग्रेजी हटाओ देश की भाषा बचाओ" बस तब ही न्याय मिलेगा। हिन्दुत्व से बढ़कर विकास नहीं हैं, गौ हत्या, शिक्षा व्यवस्था और राम मंदिर से बढ़कर विकास नहीं हैं। यह लोकसभा चुनाव के नतीजे देख कर हिन्दी भाषा को महत्व दें।
5.तब भारत में चिकित्सा पद्धति विख्यात थी , पशु पालन का व्यवसाय समृद्ध था, दूध और छास का कोई मोल नहीं था, गौ रक्षा होती थी , ओर्गेनिक खेती होती थी।
6.कोई भी व्यक्ति गरीब नहीं था, कोई भी व्यक्ति भिखारी नहीं था,लेकिन लोगों की भलाई करने वालें साधु-संत और संन्यासी थे, जिसकों लोग, मान,सन्मान देते थे, खाना खिलाने में स्वभाग्य समझा जाता था।
7.तब, लटा मारकर पढ़ाई नहीं होती थी, नहीं परीक्षा होती थी, तब कोई भी शिष्य, कोई भी क्षेत्र में प्रतिभा शाली होता था, उनको योग्यता के आधार पर राजा महाराजाओं के राज में, गुरुजी के कहने पर नौकरी दी जाती थी। तब, आज की तरह अंग्रेजी में फेल होने से (काबिलियत) योग्यता खत्म नहीं होती थी।
8.तब, गुरु दक्षिणा पढ़ाई के बाद दी जाती थी, ज्यादातर लोग, अनाज और गाय का दान, गुरु दक्षिणा में देते थे।
9.तब,विश्व में केवल भारत में ही लोग, घर -परिवार में रहते थे। जरा सोचिए हम आज पैसे के पीछे अंधा होकर भाग रहे हैं, अगर आप एक साथ थोड़ा सा समय देश के लिए निकाल सकते हैं, तो, देश की बहुत बड़ी समस्या चंद दिनों में समाप्त हो सकती है, जो आप के लाभ के लिए ही है।
"अंग्रेजीयत की गुलामी देश की सबसे बड़ी समस्या हैं, " भारत में ही भारतीय भाषाओं का महत्व नहीं हैं और अंग्रेजी भाषा राज कर रही हैं, देश की कोई भी भाषा का प्रयोग करो, लेकिन अंग्रेजीयत और अंग्रेजी भाषा का अत्याचार सहना बंद करो और देश के लिए एक साथ बड़ा जनआंदोलन करो।"
अंग्रेजी हटाओ देश की भाषा बचाओ" बस तब ही न्याय मिलेगा। हिन्दुत्व से बढ़कर विकास नहीं हैं, गौ हत्या, शिक्षा व्यवस्था और राम मंदिर से बढ़कर विकास नहीं हैं। यह लोकसभा चुनाव के नतीजे देख कर हिन्दी भाषा को महत्व दें।
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