Tuesday, June 16, 2015

वेद ही सर्वश्रेष्ठ क्यों ?

एक मित्र ने कहा तुम हो कौन ? कुरान, बाइबिल और वेदों को लेकर भाषण मत झाडो , सभी महान ग्रन्थ हैं। सबकी इज्जत करो । मेरा कहना है कि इज्जत तो मैं सभी की ही करता हूँ। लेकिन मेरे वेदों से किसी की तुलना नहीं, लो खुद ही पढकर निर्णय कर लीजिये :

डार्विन ने कहा : दूसरों को खाकर जियो।
हक्सले और भगवान महावीर ने कहा : जियो और जीने दो।
परन्तु मेरे वेदों ने कहा : सबको सुखी बनाने के लिये जियो । सर्वे भवन्तु सुखिन: ।

बाइबिल ने कहा : जिसका काम उसी का दाम।
कुरान ने कहा : जहान खुदा का और जिहाद इन्सान करे ।
किन्तु मेरे वेदों ने कहा : मेहनत इन्सान की , सम्पत्ति भगवान की यानी तेन त्यक्तेन भुजींथा । 


बाइबिल ने कहा : ईसाई बनो ।
कुरान ने कहा : मुसलमान बनो ( कुरान म.सि.2)।
किन्तु मेरे वेदों ने कहा : मनुष्य बन जाओ (मनुर्भव)। 


बाइबिल ने कहा : पढाई नौकरी के लिये ।
कुरान ने कहा : पढाई कुरान के लिये ।
किन्तु मेरे वेदों ने कहा : पढाई केवल नैतिकता , ज्ञान और नम्रता के लिये । 


अरस्तू ने कहा : राजनीति शासन के लिये ।
कुरान ने कहा : शासन इस्लाम के प्रचार के लिये ।
किन्तु मेरे वेदों ने कहा : राजनीति की अपेक्षा लोकनीति , शासन की अपेक्षा अनुशासन , तानाशाही की जगह संयम और अधिकार के स्थान पर कर्तव्य पालन करें । 


ईसाइयों ने कहा परमाणु हथियार नागासाकी और हिरोशिमा जैसे शहरों को नष्ट करने के लिये ।
मुस्लिम आतंकियों ने कहा : परमाणु हथियार मिल जायें तो काफिरों को मिटाने के लिये ।
किन्तु मेरे वेदों ने कहा : सम्पूर्ण विज्ञान ही जनकल्याण के लिये (यथेमा वाचं कल्याणी ) ।

No comments :

लोकप्रिय पोस्ट