Tuesday, June 16, 2015

क्या सीता, रावण की पुत्री थी ?

रामायण के पात्रों, घटनाक्रम और कथानक को लेकर कई ग्रंथ रचे गए हैं। रामायण के कई पहलू आज भी शोध का विषय हैं और दुनियाभर के विद्वान इन विषयों का लगातार अध्ययन भी कर रहे हैं। इन विषयों में एक विषय है सीता और रावण के संबंध का। कई विद्वानों का मानना है कि सीता और रावण पिता-पुत्री थे। हालांकि रामायण के सबसे प्रामाणिक ग्रंथ वाल्मीकि रामायण में इसका कोई उल्लेख नहीं मिलता है।



राम के जीवन पर करीब 125 अलग-अलग रामायण लिखी जा चुकी हैं। कई ग्रंथों को विद्वान प्रामाणिक भी मानते हैं। सीता और रावण के संबंध में कई कथाएं भी प्रचलित हैं। ऐसी ही एक रामायण है जिसका नाम है अदभुत रामायण। यह रामायण 14वीं शताब्दी में लिखी मानी जाती है। यह मूलत: कथानक न होकर दो प्रमुख ऋषियों वाल्मीकि और भारद्वाज ऋषि के बीच का वार्तालाप है।

इस रामायण में यह उल्लेख है कि सीता का जन्म मंदोदरी के गर्भ से हुआ था। इस रामायण में पूरे घटनाक्रम का उल्लेख भी है। जिसमें रावण एक स्थान पर कहता है कि अगर में अनजाने में भी अपनी ही कन्या को स्वीकार करूं तो मेरा नाश हो जाए।

अदभुत रामायण में कथा आती है कि एक बार दण्डकारण्य मे गृत्स्मद नामक ब्राह्मण, लक्ष्मी को अपनी पुत्री रूप मे पाने के लिए हर दिन एक कलश में कुश के अग्र भाग से मंत्रोच्चारण के साथ दूध की बूदें डालता था। एक दिन उसकी अनुपस्थिति मे रावण वहां पहुंचा और ऋषियों का रक्त उसी कलश मे एकत्र कर लंका ले गया। कलश को उसने मंदोदरी के संरक्षण मे दे दिया-यह कह कर कि यह तीक्ष्ण विष है,सावधानी से रखे।

इसके बाद रावण विहार करने सह्याद्रि पर्वत पर चला गया। रावण की उपेक्षा से दुखी होकर मन्दोदरी ने आत्महत्या की इच्छा से, जहर समझकर उस घड़े में भरा वह रक्त पी लिया। इससे अनजाने में ही मंदोदरी गर्भवती हो गई। उसने सोचा मेरे पति मेरे पास नहीं है। ऐसे में जब उन्हें इस बात का पता चलेगा। तो वह क्या सोचेंगे की इस बीच मेरा किसी और पुरुष के साथ संसर्ग हो गया है।

ऐसा विचार करते हुए मंदोदरी तीर्थ यात्रा के बहाने कुरुक्षेत्र आ गई। वहां उसने गर्भ को निकालकर भूमि में दफना दिया। इसके बाद उसने सरस्वती नदी में स्नान किया और लंका वापस लौट गई। धरती में गढ़ा हुआ यही भ्रूण परिपक्व होकर सीता के रूप में प्रकट हुआ, जो हल चलाते समय मिथिला के राजा जनक को प्राप्त हुआ।

इस कथा के आधार पर कई विद्वान यह मानते हैं और दावा करते हैं कि सीता और रावण में पिता-पुत्री का संबंध था। हालांकि अन्य भी कई ग्रंथों में कई अन्य कथाएं भी प्रचलित हैं।

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