फूल(अस्थियो), सिक्कों के गंगा आदि पवित्र नदियो मेँ
विसर्जन क्यूँ -:
गंगा नदी से हजारो वर्गमील भूमि को सींचकर
कर उपजाओ बनाया जाता है, एसे मेँ गंगा मेँ
फॉस्फोरस की उपलब्धता बनी रहे इसीलिए उस
मेँ अस्थि विसर्जन करने की परंपरा बनाई गई है,
ताकि फास्फोरस से युक्त पानी द्वारा अधिक
पैदावार उत्पन्न की जा सके। उल्लेखनीय है कि
फास्फोरस भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ा
बनाए रखने के लिए एक आवश्यक तत्व होता है, जो
हमारी हड्डियो मेँ प्रचुर मात्रा मेँ उपलब्ध होता
है।प्राचीन कल में सिक्के ताम्बे के होते थे ,जिनको नदी में डालने से नदी के जल को शुद्ध करने में सहायता मिलती थी .यद्यपि यह
परंपरा आज अप्रासंगिक हो गयी है क्योंकि न तो सिक्के
ताम्बे के होते और नदियों में जो भयंकर पर्दूषण हो गया
है, जिस वजह से सिक्कों से जल स्वच्छ होने की कोई
सम्भावना नहीं रह गयी है ।
विसर्जन क्यूँ -:
गंगा नदी से हजारो वर्गमील भूमि को सींचकर
कर उपजाओ बनाया जाता है, एसे मेँ गंगा मेँ
फॉस्फोरस की उपलब्धता बनी रहे इसीलिए उस
मेँ अस्थि विसर्जन करने की परंपरा बनाई गई है,
ताकि फास्फोरस से युक्त पानी द्वारा अधिक
पैदावार उत्पन्न की जा सके। उल्लेखनीय है कि
फास्फोरस भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ा
बनाए रखने के लिए एक आवश्यक तत्व होता है, जो
हमारी हड्डियो मेँ प्रचुर मात्रा मेँ उपलब्ध होता
है।प्राचीन कल में सिक्के ताम्बे के होते थे ,जिनको नदी में डालने से नदी के जल को शुद्ध करने में सहायता मिलती थी .यद्यपि यह
परंपरा आज अप्रासंगिक हो गयी है क्योंकि न तो सिक्के
ताम्बे के होते और नदियों में जो भयंकर पर्दूषण हो गया
है, जिस वजह से सिक्कों से जल स्वच्छ होने की कोई
सम्भावना नहीं रह गयी है ।
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