Thursday, August 13, 2015

गाय को हिन्दू धर्म में माँ क्यों माना जाता है जानिये वैज्ञानिक और सामाजिक कारण !!

गाय को माँ मानना

आज कई अंग्रेजियत की पढाई करे हुए लोगों को तथा विदेशियों को इस चीज पर आपत्ति होती है की हिन्दू गाय को माँ क्यों कहते हैं | मैंने भी इस बारे में काफी सोचा के किसी और जानवर को क्यों माँ नहीं बनाया गया या उसके अन्दर सारे देवी देवताओं का वास क्यों नहीं बताया गया फिर मैंने खोजना शुरू किया तो पाया इसका गहरा ताल्लुक भारतीय समाज से है , भारत की प्राचीन संस्कृति से है तथा बहुत से ऐसे तथ्य सामने आये जिनको जानकार में आश्चर्यचकित रह गया | शायद आप सब को भी जानकर ख़ुशी हो तथा गर्व हो अपने भारतीय समाज पर इसलिए मैंने यह बात सभी भारतियों को बताने का निश्चय किया , इसे पढ़कर आपकी गाय के बारे में राय बदल जायेगी और वह सिर्फ जानवर ना रहकर उससे ज्यादा हो जाएगी आपकी नजरो में यकीन मानिए| तो जाने हैं गाय को माता क्यों कहा जाता है |
पहले जानते हैं गाय के बारे में कुछ वैज्ञानिक तथ्य जो दुनिया भर के वैज्ञानिको ने तथा भारत में गायत्री परिवार हरिद्वार एवं आर्य समाज व् कई विदेशी और स्वदेशी वैज्ञानिकों ने खोज निकाले हैं :-

·        गाय के गौ मूत्र में 24 तत्व होते हैं जिनसे हर तरह के रोगों का इलाज संभव है |
·        गाय के गोबर से लिपे हुए घर में रेडिएशन असर नहीं करती तथा कैंसर के खतरे से बचते हैं |
·        गाय के गो मूत्र में १.४ एम्पेयर का करंट होता है जिससे आप सही तरह से प्रयोग करके बिजली बना सकते हैं या बल्ब जला सकते हैं |
·        गोबर से निकलने वाली मीथेन को बिजली के तौर पर उपयोग किया जा सकता है तथा गोबर गैस को सिलिंडर में भरकर गाड़ियाँ भी चलाई जा सकती हैं |
·        गाय के गोबर के प्रयोग से सबसे अच्छी जैविक खाद मुफ्त में बनाई जा सकती है जिससे हम जहरीले रसायनों के प्रयोग से बचेंगे तथा सुरक्षित भोजन प्राप्त कर सकेंगे तथा निरोगी रहेंगे |
·        गाय के गौमूत्र से बहुत ही अच्छा कीटनाशक मुफ्त में बनाया जा सकता है जिससे आप विषैले कीटनाशक के प्रयोग से बचेंगे जिससे फसल जहरीली हो जाती है |
·        गाय के गौमूत्र में कई रोगों का इलाज करने की अदभुत क्षमता है यह वैज्ञानिक तौर पर सिद्ध हो चुका है तथा भारत में कई जगह इसके द्वारा इलाज किया जाता है |
·        गोबर का रस यदि उस स्त्री को दिया जाए जिसकी संतान होने वाली है तो संतान बिना ऑपरेशन के हो सकती है |
·        शुद्ध नस्ल के नंदी के मूत्र का सेवन करने से बाँझ स्त्रियों तक को बच्चा हो सकता है इसके कई प्रयोग देश मे चल रहे हैं |
·        देसी गाय के दूध के सेवन से हड्डियाँ मजबूत होती हैं |
·        देसी गाय के घी के सेवन से बवासीर इत्यादि में लाभ होता है |
·        बैल के द्वारा आप हल से खेती कर सकते हैं जिससे गरीब किसानो का ट्रेक्टर एवं 

पेट्रोल डीजल का खर्चा बचेगा तथा प्राकर्तिक संसाधनों की भी रक्षा होगी |
अब सबसे महत्वपूर्ण बात के हर देश में या हर भूमि में कुछ ख़ास बात होती है जिसे उस भूमि की खासियत कहा जाता है | जैसे किसी देश में बर्फ ही बर्फ है , कही तेल है , कही हीरे , सोना इत्यादि हैं तो कही पत्थर और हमारे यहाँ खेती की उर्वरक जमीन | इन्ही खासियतो के दम पर वह देश आत्मनिर्भर बनता है या ये कहिये की उसकी अर्थव्यवस्था चलती है | आज हम सभी जानते हैं के भारत कई चीजो में पिछड़ा हुआ है तथा जिन चीजो में कभी हम साड़ी दुनिया में अग्रणी हुआ करते थे उनमे हम समाप्त होते जा रहे हैं और जो बाकी दुनिया करती है उसकी नक़ल करके उसमे अग्रणी बनने का प्रयास कर रहे हैं जबकि हमारे यहाँ वैसे प्राकर्तिक संसाधन ही नहीं हैं |

मै आसान भाषा में समझाता हूँ | एक समय था जब भारत सोने की चिड़िया था जब सारी दुनिया का 30 प्रतिशत से ज्यादा व्यापार हम चलाया करते थे , मैंने जानने की कोशिश की के ऐसा क्या था उस समय में तो पता चला के उस समय हम कृषि प्रधान देश थे | एक देश या व्यक्ति को कही भी जीने के लिए तीन चीजो की आवश्यकता होती है रोटी , कपडा और मकान | इनमे से मकान सभी बना सकते थे पत्थर और प्राकर्तिक चीजों से, अब दिक्कत आती कपडे की तो वह या तो जानवरों की खाल या दूसरी प्राकर्तिक चीजो से मिल जाया करते थे पर सबसे आवश्यक वस्तु भोजन या अनाज थी जिसके बिना मानव जीवित नहीं रह सकता और अनाज उगाने के लिए उर्वरक जमीन होनी चाहिए और वह जमीन भारत को कुदरत के द्वारा मिली क्योंकि हमें 12 महीने सूर्य की रौशनी मिलती है तथा हम तीन तरफ से समुद्र से घिरे हुए हैं | इसीलिए प्रकर्ति हम पर मेहरबान है तो हमने कृषि चुनी तथा इसमें उपयोग करने के लिए कई जानवरों पर हजारो सालों तक प्रयोग हुए जैसे घोड़े पर , हाथी पर ,अन्य जानवरों पर मगर अंत में सभी इस निष्कर्ष पर पहुचे के इसमें सर्वोत्तम जीव यदि कोई है तो वो है गाय या गौवंश क्योंकि उसका गौमूत्र कीटनाशक के तौर पर काम आ सकता है तथा गोबर खाद के रूप में तथा बैल से हल चलवाया जा सकता है तथा गुड बनाने एवं तेल निकालने में भी बैल का प्रयोग किया जा सकता है और यह सभी ऐसे संसाधन थे जो पूर्ण रूप से प्राकर्तिक थे तथा इनमे आज की तरह पेट्रोल,  डीजल , बिजली आदि बर्बाद नहीं करने पड़ते थे जिससे प्रकर्ति का शोषण हो तथा संसाधनों का नाश करना पढ़े | इसके साथ ही गाय फसल में से बचा हुआ हिस्सा खाती थी जिनसे  गेहू उगाया तो ऊपर का हिस्सा मनुष्य खायेगा तथा बची हुई खली गाय , गन्ने का रस निकलकर हम पियेंगे या गुड बनायेंगे तथा उसके बचा हिस्सा गाय बैल कितना सुन्दर प्राकर्तिक संसाधनों का ताल मेल था तथा गाय जो दूध देती थी उससे दही ,छाछ , मक्खन , लस्सी आदि बनाकर किसान तथा उसके बच्चे पीते थे जिससे वो कमजोर नहीं रहते थे | और रही बात कपड़ों की तो वही किसान कपास उगाकर उससे धागा बनाकर कपडे बनाया करता था और जैंसा की मैंने बताया मकान तो बाकी साधनों से बन ही जाता था क्योंकि आज की तरह सीमेंट ,मिटटी , ईंट , मशीन ,कागजी कारवाही आदि नहीं करने पढ़ते थे तो भारत का हर व्यक्ति अपना स्वयं का जैविक अनाज , फल सब्जी खुद उगाता था तथा कपडे भी हम खुद बनाया करते थे अब किसानी के अलावा बचे हुए वक़्त में हमारे बच्चे या युवा नयी नयी खोज किया करते थे उन्ही का परिणाम था वेद , उपनिषद , आयुर्वेद आदि जिनमे वज्ञान के जटिल जटिल नियम है जो आज भी लोग समझ नहीं पाए आज बच्चों पर बोझ है पढाई का फिर नौकरी का विदेशी कंपनी में तब उन्हें सिर्फ खेती करनी थी फिर समाज के विषय में सोचना तथा चर्चा करना था इसीसे समाज में एकता भाईचारा और प्रेम बना रहता था आज की तरह तनाव का माहोल नहीं था न ही कोई आत्महत्या करता था | तथा आज का विज्ञान भी यह सिद्ध कर चुका है के कोई भी खोज वही कर सकता है जो पूरी तरह से उस पर लग जाए उस पर समय हो तथा किसी और चीज का दबाव न हो इसलिए भारत वर्ष के तमाम लोग बड़े बड़े वैज्ञानिक थे कई राजा भी वैज्ञानिक थे जैसे की हर्षवर्धन , राजा रवि वर्मा चित्रकार भी थे तथा संगीतज्ञ भी | इस तरह हम इतना उत्पादन करते थे अनाज , कपडे ,वैज्ञानिक वस्तुएँ जैसे नौका , औजार इत्यादि के हमारी खपत से ज्यादा हो जाता था और फिर हम उसे साड़ी दुनिया को बेच देते थे इसी कारण हमारा व्यापार इतना उन्नत था तथा बदले में हमें साड़ी दुनिया से सोने की मुद्राएँ आती थी जिससे सारे भारत का हर घर भर गया था , यही कार्य हम लगभग 500 सालों तक करते रहे सोचिये हम कितने समृद्ध हो गए होंगे इसी कारण अंग्रेज , पुर्तगाली , फ़्रांसिसी, मुग़ल , तुर्की, अरब आदि सब भारत को लूटने आये और कहते हैं हमने भारत को सभ्य बनाया वरना भारत बहुत गरीब था और अफ़सोस हमारे पढ़े लिखे मुर्ख उनकी लिखी किताबों की बाते मान भी लेते हैं | भारत की समृद्धि का मूल कारण कृषि था उसी से सब पैदा हो रहा था इसीलिए आज उसे प्राथमिक क्षेत्र कहा जाता है और खेती की जान थी गाय , क्योंकि उसी के कारण हल चलता था , उसी के कारण खाद बनती थी , उसीके कारण कीटनाशक तथा उसी के दूध , घी से किसान शक्तिशाली  होता था | जिस तरह बचपन में माँ ( भारतीय माँ ) हमें दूध पिलाती है तथा बड़े होने पर हमारा पेट भरती है खाना खिलाती है और कभी अपने बेटे के लिए बुरा नहीं सोचती हमेशा चुपचाप सब सहती है शायद इसीलिए उसे माँ कहा गया है तथा शास्त्रों में भी सबसे ऊँचा दर्जा दिया गया है , उसी तरह गाय तो हमें जिंदगी भर दूध पिलाती है तथा भारत का सारा अनाज और खेती इस पर निर्भर थी अर्थात यह सभी भारतियों को खाना खिलाती थी और जो चारा डाल दो बेचारी खा लेती है , कभी किसी से सवाल नहीं पूछती के मुझे क्यों काट रहे हो आज भी , इसलिए भारतियों ने इस करुणामई गौमाता को माँ का दर्जा दिया | अफ़सोस की बात है की आज भारत में ही रह रहे कुछ ओबेसी जैसे लोग गाय माता का अपमान करते है इस चीज का मजाक बनाते हैं तथा कहते हैं के हमें तो गौमास बहुत अच्छा लगता हैं खायेंगे इसे काटकर शर्म की बात है शायद उनके पूर्वजों ने भी कभी यह दुर्भावना गाय के बारे में नहीं की होगी क्योंकि वह भी भारत की समृद्धि में गाय की अहमियत को समझते हैं |

भारत में अंग्रेज आने के बाद इस चीज को समझ गए थे के भारत की समृद्धि का कारण गाय ही है इसीलिए ब्रिटेन की रानी ने यह आदेश दिया था के गाय को काटा जाय क्योंकि यह जीवित रही तो भारतीय हमेशा समृद्ध रहेंगे और समृद्ध लोग कभी गुलाम नहीं बनते इसलिए उन्होंने गाय काटने के कत्लखाने खोले और हिन्दू मुसलमान को लड़वाने के लिए उन कत्लखानो में मुसलमानों को नौकरी पर रखा तथा उनसे जबरन गाय काटने को कहा जबकि मुग़ल साम्राज्य में भी गाय काटने पर रोक थी पर अंग्रेजो ने यह शुरू कर दिया धीरे धीरे गाय ख़त्म होना शुरू हो गयी और भारत का किसान कमजोर हो गया इसी के साथ हमारी अर्थव्यवस्था ख़त्म हो गयी और हम अंग्रेजों के गुलाम हो गए और आज भी कई लोग उस मानसिक गुलामी से नहीं उबर पाए हैं
आज अफ़सोस की बात है की भारत दुनिया का सबसे बड़ा मॉस विक्रेता बन गया है क्योंकि हम पड़ लिख गए हैं और हम अब ये माँ वगैरा को बेवकूफी मानते हैं अंधविश्वास का दर्जा देते हैं और गाय काटने को शान समझते हैं सिर्फ मुसलमान और इसाई ही नहीं आज कई अंग्रेजी शिक्षा में पढ़े लिखे मुर्ख हिन्दू नेताओं के गाये काटने के कत्लखाने हैं जिसमे हर दिन 100 से ज्यादा गाये काटी जाती हैं तथा उनका मॉस विदेश में बेचा जाता है आज भारत में ३६००० से ज्यादा गाय काटने के कत्लखाने हैं | आज माँ को काटकर खाया जा रहा है इसमें बहुत बड़ा हाथ कम्युनिस्ट लोगो की सोच और शिक्षा पद्दति में बदलाव का है जो विज्ञान को मानने का दावा करते हैं और हिन्दू धर्म की हर चीज को अंधविश्वास ठहराते हैं उन्ही की सोच के कारण आज केरला और बंगाल में कई गाये काटकर खाई जाती हैं तथा बेचीं जाती हैं और कम्युनिस्ट कहते हैं वो किसानो और गरीबों के पक्षधर हैं और गाये कटवाकर किसानो को जहरीली खाद और कीटनाशक डालने पर मजबूर कर रहे हैं जिससे सारा समाज आज विषैले भोजन का शिकार बन रहा है तथा किसान ट्रेक्टर के पैसे और पेट्रोल के पैसे, डीजल के पैसे , खाद के पैसे, रसायन के पैसे , कीटनाशक के पैसे इन सब का कर्ज चुकाते चुकाते अपनी जमीन बेच देता है या आत्महत्या कर लेता है | यह सब वस्तुएँ विदेशों में होती थी क्योंकि वह खेती की जमीन अच्छी नहीं थी तथा गाय माँ नहीं थी ना ही हमारी तरह की प्राकर्तिक तकनीक उन्हें आती थी पर अंधे विकास की दौड़ में नक़ल करके हमने अपनी संस्कृति खोई , सोने की चिड़िया खोई , आत्मविश्वास और आजादी खोई , जैविक अनाज खोया , प्राकर्तिक संसाधन खोये , स्वस्थ्य शरीर खोया और गाय माता का क़त्ल करना शुरू कर दिया और उसके पैसे खा रहे हैं शायद यही शास्त्रों में कलयुग का वर्णन था जब बेटा माँ को काटेगा | हम जैसे कुछ मुर्ख हिन्दू हैं (शायद हिन्दू नहीं भारतीय कहना चाहिए क्योंकि भारतीय ही हिन्दू है जो यहाँ के पुराने रीती रिवाजो के हिसाब से चल रहे हैं जिन्होंने बदल लिया तरीका वो कुछ और हो गए ) जो आज भी गाय को माँ मानते है तथा उसे बचाने के प्रयास में लगे हुए हैं तथा भारत को फिर गाय के आधार पर कृषि प्रधान , सोने की चिड़िया एवं वैज्ञानिक देश बनाना चाहते हैं | अब भी यदि कोई गाय काटकर खाना या उसका मास बेचना चाहता है या फिर किसी को शक है के गाय को माँ क्यों कहते हैं हम लोग तो शास्त्रों का वही वाक्य मुझे याद आता है जिसमे कहा गया है “ मुर्ख को स्वयं ब्रह्मा भी नहीं समझा सकते “|


नोट :- गाय को बचाकर तथा अपनी भारत की तासीर तथा भूमि और संसाधनों की समझानुसार वापस कृषि की ओर लौटना ही भारत को वापस विश्व गुरु बना सकता है वरना हम फिर गुलाम होने की ओर अग्रसर हैं जो चीजे हमारे यहाँ पैदा नहीं होती जैसे तेल , या परमाणु इधन और कुछ रसायन युक्त तकनीके जो विदेश में ही पाए जाते हैं उनके द्वारा हम परावलम्बी या गुलाम ही बनेगे, हाँ कृषि में हम दुनिया भर को अपने हिसाब से चला सकते हैं तथा इसके दम पर उनसे जो चाहे वो मांग सकते हैं क्योंकि हम खाना देंगे और वो जो कुछ भी तकनीक बदले में दें खाना हमेशा ज्यादा आवश्यक होगा | जिस तरह उन्होंने सोने को मुद्रा का आधार बनाया है और अब पेट्रोल, गैस को पेट्रो डॉलर बनाना चाहते हैं हम अनाज को मुद्रा के घटने बढ़ने का माध्यम बना सकते हैं बस मुर्ख लोगो को सत्ता से हटाकर देशभक्त और समझदार लोग चाहिए |

।।जय हिंदुत्व।। ।।जय श्रीराम।। ।।जय महाकाल।। ।।जय श्रीकृष्ण।।

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