Sunday, August 2, 2015

शाही और आकर्षक होती है महाकालेश्वर की सवारी

श्रावण की सुहानी फुहारों के बीच मन धर्म के प्रति सहज ही आकर्षित होने लगता है। इस मौसम में शिव नगरी उज्जयिनी का सौन्दर्य, धर्म से जुड़ कर पवित्र हो जाता है। विश्व भर में कीकी सवारी प्रसिद्ध है। श्रावण के प्रति को निकलने वाली इस विशेष सवारी को देखने लोग दूर-दूर से आते हैं।
 
निवासी स्वयं को सौभाग्यशाली मानते हैं कि वे भगवान शिव के सान्निध्य में रहते हैं। श्रावण के हर सोमवार का नजारा इस शहर में कुछ इस तरह होता है कि चाहे हिन्दू हो या मुसलमान, सुबह अपने राजा के सम्मान में व्रत रखते हैं।


राजा निकलते हैं प्रजा के हालचाल जानने 

शाम चार बजे सवारी के लिए राजाधिराज भूतभावन तैयार होते हैं। कहा जाता है किमें भगवान शिव राजाधिराज के रूप में विराजमान है। में वे अपनी प्रजा का हालचाल जानने के लिए नगर भ्रमण पर निकलते हैं।
FILE


प्रजा अपने राजा से मिलने के लिए इस तरह व्याकुल होती है कि शहर के चौराहे-चौराहे पर स्वागत की विशेष तैयारी की जाती है। शाम चार बजे राजकीय ठाट-बाट और वैभव के साथ राजा महाकाल विशेष रूप से फूलों से सुसज्जित चांदी की पालकी में सवार होते हैं। जैसे ही राजा महाकाल पालकी में विराजमान होते हैं। ठंडी हवा के एक शीतल झोंके से या हल्की फुहारों से प्रकृति भी उनका भीना स्वागत करती है।

कितनी भव्य होती है सवारी 

राजा महाकाल सबसे मिलते हैं,सबको दर्शन देते हैं। एक तरफ सुरक्षा का दायरा और दूसरी तरफ भक्ति का चरम उत्कर्ष, जिसने यह नजारा पहली बार देखा उसकी तो भावावेश में आंखें ही छलछला जाती है।


खूबसूरत दृश्य क्षिप्रा नदी पर... 

नगर के कुछ खास हिस्सों से गुजरती सवारी का सबसे खूबसूरत दृश्य क्षिप्रा नदी के किनारे देखने को मिलता है, जब नदी के दूसरे छोर से संत-महात्मा भव्य आरती करते हैं और विशेष तोप की सलामी के बीच राजा महाकाल क्षिप्रा का आचमन करते हैं। 


सवारी के साथ पधारे गजराज अपनी सूंड को ऊंची कर राजा के सम्मान में हर्ष व्यक्त करते हैं। पवित्र मंत्रोच्चार के साथ सवारी वापस मंदिर पहुंचती है। नगरवासी दिन भर अपने राजा के सम्मान में किया व्रत सवारी के दर्शन के बाद ही खोलते हैं।



राजा महाकाल देते हैं सबको आशीर्वाद

राजा महाकाल इस तरह श्रावण के प्रति नगर भ्रमण करते हैं और कहते हैं कि इस दौरान वे इतनी राजसी मुद्रा में होते हैं कि हर अभिलाषा को पूरी करने का आशीर्वाद देते चलते हैं। 
FILE


देश के अलग-अलग प्रांतों से लोग सोमवार की इस दिव्य सवारी के दर्शन करने आते हैं, और मनचाहा वरदान लेकर जाते हैं। इस भव्य सवारी को देखने के बाद ही राजा महाकालेश्वर की दिव्यता को अनुभूत किया जा सकता है। 

।।जय हिंदुत्व।। ।।जय श्रीराम।। ।।जय महाकाल।। ।।जय श्रीकृष्ण।।

No comments :

लोकप्रिय पोस्ट