Sunday, July 19, 2015

क्या है इन्द्रजाल, जानिए रहस्य...

का नाम सुनते ही सभी को लगता है कि यह कोई मायावी विद्या है। बहुत से लोग इसे तंत्र, मंत्र और यंत्र से जोड़कर देखते हैं। कई लोग तो इसे काला जादू, वशीकरण, सम्मोहन, मारण और मोहन से भी जोड़कर देखते हैं। हालांकि फारसी में इसे तिलिस्म कहा जाता है। यह शब्द भी भारत में बहुत प्रचलित है जो जादू के संदर्भ में इस्तेमाल किया जाता है।
 

 
प्राचीनकाल में इस विद्या के कारण भी भारत को विश्व में पहचाना जाता था। देश-विदेश से लोग यह विद्या सिखने आते थे। आज पश्‍चिम देशों में तरह-तरह की जादू-विद्या लोकप्रिय है तो इसका कारण है भारत का ज्ञान।

जादू अनंतकाल से किया जाने वाला भरा प्रदर्शन है, जिसका उपयोग पश्चिमी धर्मों व सम्प्रदायों के प्रचारक अशिक्षित लोगों को डराकर, सम्मोहित कर या छलपूर्ण तरीके से उन्हें अपना आज्ञाकारी अनुयायी बनाने के लिए किया करते थे। 
 
माना जाता है कि गुरु दत्तात्रे भी इन्द्रजाल के जनक थे। चाणक्‍य ने अपने अर्थशास्‍त्र में एक बड़ा भाग विद्या पर लिखा है। सोमेश्‍वर के मानसोल्‍लास में भी इन्द्रजाल का उल्लेख मिलता है। उड़ीसा के राजा प्रताप रुद्रदेव ने 'कौतुक चिंतामणि' नाम से एक ग्रंथ लिखा है जिसमें इसी तरह की विद्याओं के बारे में उल्लेख मिलता है। बाजार में कौतुक रत्‍नभांडागार, आसाम और बंगाल का जादू, मिस्र का जादू, यूनान का जादू नाम से कई किताबें मिल जाएगी, लेकिन सभी किताबें इन्द्रजाल से ही प्रेरित हैं।
 
इन्द्रजाल के अंतर्गत मंत्र, तंत्र, मोहन, उच्चाटन, वशीकरण, नाना प्रकार के कौतुक, प्रकाश एवं रंगादि के प्रयोजनीय वस्तुओं के आश्चर्यजनक खेल, तामाशे आदि सभी का प्रयोग किया जाता है। इन्द्रजाल से संबंधित कई किताबें बाजार में प्रचलित है। उन्हीं में से एक बृहत् इन्द्रजाल अर्थात कौतुकरत्न भाण्डागार किताब बहुत ही प्रचलित है। खेमराज श्रीकृष्णदास प्रकाशन बंबई से प्रकाशित इस किताब में पंडित देवचरणजी अवस्थी द्वारा इन्द्रजाल से संबंधित सभी विषयों को संग्रहित किया गया है। हालांकि यहां यह बताना जरूरी है कि उक्त किताबों की विद्या में कितनी सच्चाई है यह हम नहीं जानते। इन्द्रजाल के नाम पर अंधविश्‍वास या काले जादू का ही ज्यादा प्रचलन है।
 

इन्द्रजाल का पहला रहस्य...

आखिर यह विद्या है क्या? जैसे कि इसके नाम में ही इसका रहस्य छुपा हुआ है। देवताओं के राजा इंद्र को छली या चकमा देने वाला माना गया है बस इन्द्रजाल का मतलब भी यही होता है। रावण इस विद्या को जानता था। रावण के दस सिर होने की चर्चा रामायण में आती है। वह अपने दुश्मनों के लिए इन्द्रजाल बिछा देता था जिससे कि दुश्मन भ्रमित होकर उसके जाल में फंस जाता था। राक्षस मायावी थे और वे अनेक प्रकार के इन्द्रजाल (जादू) जानते थे। दरअसल आजकल इसे जादूगरों की विद्या माना जाता है। 
 
इन्द्रजाल जैसी विद्या चकमा देने की विद्या है। आजकल भी भाषा में इसे भ्रमजाल कह सकते हैं। खासकर अपने प्रति‍द्वंद्वियों को कैसे भरमाया जाए और उनके इरादों को कैसे नीचा दिखाया जाए। इसके लिए जो उपाय किए जाते, वे इन्द्रजाल के उपाय कहे गए और इस विद्या के कर्ता को ऐंद्रजालिक कहते हैं। अर्थात जो व्यक्ति भ्रमजालों का प्रदर्शन करता है प्राचीनकाल में ऐंद्रजालिक और वर्तमान युग में एक जादूगर कहलाता है।
 
जादू का खेल ही इन्द्रजाल कहलाता है। मदारी भी बहुधा ऐसा ही काम दिखाता है। सर्कस के भ्रमपूर्ण कर्तबन करने वाले, बाजीगर, सड़क पर जादू दिखाने वाले आदि सभी लोग ऐंद्रजालिक हैं। हालांकि मध्यकाल में इस विद्या का बहुत दुरुपयोग हुआ। युद्ध में विजय, धर्म के विस्तार और व्यक्तिगत स्वार्थ साधने में कई लोगों ने इसका उपयोग किया। आज भी इस विद्या द्वारा लोगों को भरमाया जाता है। खासकर पश्चिमी धर्म के लोग इसका खूब इस्तेमाल करते हैं।
 
दूसरा रहस्य...

मेघान्‍धकार वृष्‍टयग्नि पर्वतादभुत दर्शनम।।
दूरस्‍थानानां च सैन्‍यानां दर्शनं ध्‍वजमालिनाम।।
च्छिन्‍नपाटितभिन्‍नानां संस्रुतानां प्रदर्शनम।
इतीन्‍द्रजालं द्विषतां भीत्‍यर्थमुपकल्‍पयेत।।- (कामंदकीय नीतिसार 18, 53-54)
 
चाणक्‍य के अनुयायी कामन्‍दक ने राजनीति करने वालों और शासन में बैठने की इच्‍छा रखने वाले लोगों के बारे में कहा है कि लोगों को समूह में मूर्ख बनाना आसान काम नहीं है, वे बातों से नहीं मानते हैं, तर्क करते हैं और तार्किक जवाब दो तब भी वे आक्रमण करते हैं। ऐसे में क्‍यों न उनके लिए किया जाए।
अत: कुछ ऐसे उपाय हों कि बिना कारण ही आसमान में बादल दिखाई दें, अंधकार छा जाए, आग की बारिश होने लगे। अचानक पहाड़ों पर अदभुत दिखाई देने लगे और दूर स्‍थानों पर बैठी सेनाओं के समूहों में भय व्याप्त हो जाए। लाखों ध्‍वजाएं उड़ती दिखाई देने लगे, जो सामने अच्‍छा भला हो, वह देखते ही देखते छिन्‍न-भिन्‍न लगने लगे और भी ऐसे उपाय जिनसे भयोत्‍पादन हो, इन्द्रजाल कहे जाते हैं।
 
दरअसल इन्द्रजाल के अंतर्गत कुछ भी हो सकता है, जिससे आपकी आंखें, दिल और दिमाग धोखा खा जाए वह इन्द्रजाल है। आप किसी पर मोहित हो जाओ और उसकी तरीफ करने लगो और उसके प्यार में पागल हो जाओ वह भी इन्द्रजाल है। कई बार स्टेज पर इस तरह का माहौल क्रिएट किया जाता है कि आप उसका संगीत और उसकी आवाज सुनकर पागल जैसे हो जाते हैं। माइकल जैक्सल स्टेज पर कुछ ऐसा ही जादू करते थे। किसी के उपर जादू कर देना इन्द्रजाल है।
 
तीसरा रहस्य...

नामक एक जड़ी : इन्द्रजाल के नाम से एक जड़ी भी पाई जाती है जिसके तांत्रिक प्रयोग होते हैं। कहते हैं कि यह जड़ी पहाड़ी और समुद्री स्थलों पर मिलती है।

माना जाता है कि यदि आप पर किसी ने टोना, टोटका या कोई तांत्रिक प्रयोग किया हो तो इस जड़ी से आप इस तरह के कूप्रभावों से बच सकते हैं।
 
यह जड़ी मकड़ी के जाल जैसी होती है। जैसे मोर के पंख में जाल गूंथा गया हो। दरअसल यह एक समुद्री पौधा है जिसमें पत्ती नहीं होती। इन्द्रजाल की महिमा डामरतंत्र, विश्वसार, रावणसंहिता, आदि ग्रंथों में बताई गई है। कहते हैं कि इसे विधिपूर्वक प्रतिष्ठा करके साफ कपड़े में लपेटकर पूजा घर में रखने से अनेक प्रकार के लाभ होते हैं। इसमें चमत्कारी गुण होते हैं। हालांकि इसमें कितनी सच्चाई है यह हम नहीं जानते।
 


चौथा रहस्य...

आजकल जादू की विद्या बन गया है। भारत व चीन से चलकर आया जादू का यह सफर अब काफी फल-फूल रहा है। देश-विदेश में, हर जगह जादूगरों को सम्मान और पैसा दोनों ही मिल रहा है। यह एक रियल मैजिक है, कोई जादू-टोना या टोटका नहीं है। वर्चुअल टेक्नोलॉजी, वीडियो गेम और थ्रीडी मूवी का सबसे अच्छा उदाहरण है।

जादू न तो हाथों की सफाई है और न ही आंखों का धोखा, दिमाग की चतुराई है यह। जादूगरों के हाथ हमारी-आपकी नजरों और दिमाग से कहीं ज्यादा तेजी से काम करते हैं। इसलिए हम उसे अच्छी तरह समझ नहीं पाते और जादू सा लगता है।
(समाप्त)

।।जय हिंदुत्व।। ।।जय श्रीराम।। ।।जय महाकाल।। ।।जय श्रीकृष्ण।।

1 comment :

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