Tuesday, July 7, 2015

यहां राम सीता के होने की हैं कई आश्‍चर्यजनिक प्रामाण..

यहां राम सीता के होने की हैं कई आश्‍चर्यजनिक प्रामाण
लंका भारत के दक्षिण में एक स्वतंत्र देश है, जहां रामकथा से जुड़े हुए स्थल देखे जा सकते हैं, जो राम की शौर्यगाथा कहते हुए प्रतीत होते हैं। असत्य पर सत्य की जीत को हम श्रीलंका के टूर में प्रत्यक्ष देख सकते हैं। श्रीलंकाटूरिज्म डेवलपमेंट अथॉरिटी के सहयोग से ट्रेल्स ऑफ राम का टूर आयोजित किया जाता है। श्रीलंका में आज भीभगवान राम और रावण से जुड़े स्थलों को देखा जा सकता है।
इसके लिए आप दिल्ली से कोलंबो के लिए फ्लाइट ले सकते हैं। वहां पहुंचने के बाद अपनी आगे की यात्रा शुरू कर सकते हैं।
वेरागनथोटा/लंकापुरा : यह रावण के राज्य की राजधानी थी। इसे रावण कोट्टे भी कहा जाता है, जिसका मतलब है हवाई यान को उतारने का स्थान। माना जाता है कि सीता का अपहरण करके रावण ने यहीं लैंड किया था।
चैरियट पाथ और सीता टीयर पॉन्ड : रावण जिस रथ से सीता का अपहरण करके ले गया था, उस पूरे रास्ते को
चैरियट पाथ कहते हैं। पुस्साल्लवा में पर्वत शृंखला से घिरा हरियाली वाला हिस्सा है, जहां सीता जी को रावण ने
रखा था, जिसे अशोक वाटिका कहा जाता है। इसी रास्ते में सीता टीयर पॉन्ड है। मान्यता है कि यह सरोवर सीता जी के आंसुओं से बना था।
कोंडाकलाई : श्रीलंका का एक और गांव, जहां रावण के रथ की तेज गति के कारण सीता के बाल उलझ गए थे।
सीता कोटुवे : स्थानीय भाषा में इसका अर्थ सीता का किला है। माना जाता है कि सीता को यहां पर रावण द्वारा किले में बंदी बनाकर रखा गया था। सीता अम्मान कोविल-नुवारा एलिया : यहां एक पतली-सी जल धारा है।
कहा जाता है कि सीता जी इसमें कैद के समय नहाया करती थीं। करीब एक शताब्दी पहले यहां तीन मूर्तियां मिली थीं, जिनमें माना जाता है कि एक सीता की है। माना जाता है कि शताब्दियों पूर्व इन मूर्तियों की पूजा की जाती होगी। यहां कई आकार के पदचिह्न हैं। कहा जाता है कि ये राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान के चरणचिह्न हैं।
स्त्रीपुरा : सिंहली में इसका मतलब है महिलाओं का क्षेत्र। माना जाता है कि हनुमान के आने के बाद सीता जी को
रावण ने यहां स्थानांतरित कर दिया था। इस क्षेत्र में तमान गुफाएं और सुरंगें हैं। इसे वेलिमाडा एरिया कहा जाता है।
एडम्स ब्रिज : भारत में इसे रामसेतु कहते हैं। माना जाता है कि इसे राम ने बंदर-भालुओं की सेना की मदद से
बनवाया था और इसी रास्ते से लंका पहुंचे थे। थेलिमन्नार से धनुष्कोटि तक यह अब भी दिखाई देता है।
लग्गाला : यह वह पहाड़ी स्थल है, जहां रावण के संतरियों ने पहली बार राम की सेना को आते हुए देखा था। यह भी माना जाता है कि यहीं पर समतल चोटी पर राम ने रावण का वध ब्रह्मास्त्र के प्रयोग से किया था।
श्री भक्त हनुमान टेंपल : सीता की खोज में हनुमान इसी पहाड़ी पर आए थे, जहां उनका रामबोला मंदिर बना हुआ है।
उस्संगोडा : यह वह स्थान है, जहां पर हनुमान को रावण के सैनिकों ने बंदी बना लिया था और उनकी पूंछ में आग लगाई थी। माना जाता है कि यहां रावण का हवाई अड्डा (यान उतारने का स्थान) था,
जिसे हनुमान ने जला डाला था।
मनि कट्टूथेर कोविल : रामबोला के पास ही एक चट्टान है, जहां हनुमान सीता से मिलने के बाद आराम किया करते थे। यहां राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की मूर्तियां सुशोभित हैं।
डोलु कंडा : यहीं पर लक्ष्मण एक तीक्ष्ण बाण लगने से अचेत हो गए थे। उनका जीवन बचाने के लिए हनुमान
को हिमालय से जड़ी-बूटी लाने भेजा गया था। जड़ी की पहचान न हो पाने के कारण हनुमान पूरा पर्वत ही उठा लाए थे। माना जाता है कि पर्वत के पांच हिस्से श्रीलंका में पांच स्थानों पर गिरे थे।
कटारागमा कोविल : यह स्थान समर्पित है भगवान कार्तिकेयन को, जिनसे इंद्र ने राम को रावण से बचाने
के लिए युद्धभूमि में जाने का अनुरोध किया था।
राम मंदिर राट्टोटा : यह मंदिर दुंबारा रेंज के उत्तरी भाग में स्थित है।
दुनुविला : वह स्थान, जिसके बारे में कहा जाता है कि जहां राम ने अपना ब्रह्मास्त्र रावण पर चलाया था। दुनुविला का अर्थ है तीर वाली झील।
दिवरुम्पोला - वेलिमाडा : माना जाता है कि यहां पर सीता जी ने अपनी अग्निपरीक्षा दी थी। यहां एक बौद्ध मंदिर
है, जहां रामकथा की पेंटिंग्स हैं, जिनमें सीता जी द्वारा शपथ और अग्निपरीक्षा के दृश्य हैं।
यहंगला : यहां चट्टान है, जिस पर रावण का शव सम्मान के साथ रखा गया था।
केलानिया : यहां पर रावण के भाई विभीषण को लंका के राजा का ताज पहनाया गया। इसी प्रकार श्रीलंका में
रामकथा से जुड़े स्थल जगह-जगह बिखरे पड़े हैं। यहां जाकर आपको भारतीयता पर गर्व होता है।
श्रीलंका में राम के पथ पर... श्रीलंका में राम के पथ पर चलकर देखें। यहां जगह- जगह पर रामकथा से जुड़े प्रसंगों से संबंधित स्थल आपका स्वागत करेंगे और आप असत्य पर सत्य की सबसे बड़ी जीत के साक्षी बनेंगे...
- See more at: http://www.jagran.com/spiritual/mukhye-dharmik-sthal-many-of-the-ram-sita-are-praman-12550658.html?src=fb#sthash.4kYLtuar.dpuf
यहां राम सीता के होने की हैं कई आश्‍चर्यजनिक प्रामाण
लंका भारत के दक्षिण में एक स्वतंत्र देश है, जहां रामकथा से जुड़े हुए स्थल देखे जा सकते हैं, जो राम की शौर्यगाथा कहते हुए प्रतीत होते हैं। असत्य पर सत्य की जीत को हम श्रीलंका के टूर में प्रत्यक्ष देख सकते हैं। श्रीलंकाटूरिज्म डेवलपमेंट अथॉरिटी के सहयोग से ट्रेल्स ऑफ राम का टूर आयोजित किया जाता है। श्रीलंका में आज भीभगवान राम और रावण से जुड़े स्थलों को देखा जा सकता है।
इसके लिए आप दिल्ली से कोलंबो के लिए फ्लाइट ले सकते हैं। वहां पहुंचने के बाद अपनी आगे की यात्रा शुरू कर सकते हैं।
वेरागनथोटा/लंकापुरा : यह रावण के राज्य की राजधानी थी। इसे रावण कोट्टे भी कहा जाता है, जिसका मतलब है हवाई यान को उतारने का स्थान। माना जाता है कि सीता का अपहरण करके रावण ने यहीं लैंड किया था।
चैरियट पाथ और सीता टीयर पॉन्ड : रावण जिस रथ से सीता का अपहरण करके ले गया था, उस पूरे रास्ते को
चैरियट पाथ कहते हैं। पुस्साल्लवा में पर्वत शृंखला से घिरा हरियाली वाला हिस्सा है, जहां सीता जी को रावण ने
रखा था, जिसे अशोक वाटिका कहा जाता है। इसी रास्ते में सीता टीयर पॉन्ड है। मान्यता है कि यह सरोवर सीता जी के आंसुओं से बना था।
कोंडाकलाई : श्रीलंका का एक और गांव, जहां रावण के रथ की तेज गति के कारण सीता के बाल उलझ गए थे।
सीता कोटुवे : स्थानीय भाषा में इसका अर्थ सीता का किला है। माना जाता है कि सीता को यहां पर रावण द्वारा किले में बंदी बनाकर रखा गया था। सीता अम्मान कोविल-नुवारा एलिया : यहां एक पतली-सी जल धारा है।
कहा जाता है कि सीता जी इसमें कैद के समय नहाया करती थीं। करीब एक शताब्दी पहले यहां तीन मूर्तियां मिली थीं, जिनमें माना जाता है कि एक सीता की है। माना जाता है कि शताब्दियों पूर्व इन मूर्तियों की पूजा की जाती होगी। यहां कई आकार के पदचिह्न हैं। कहा जाता है कि ये राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान के चरणचिह्न हैं।
स्त्रीपुरा : सिंहली में इसका मतलब है महिलाओं का क्षेत्र। माना जाता है कि हनुमान के आने के बाद सीता जी को
रावण ने यहां स्थानांतरित कर दिया था। इस क्षेत्र में तमान गुफाएं और सुरंगें हैं। इसे वेलिमाडा एरिया कहा जाता है।
एडम्स ब्रिज : भारत में इसे रामसेतु कहते हैं। माना जाता है कि इसे राम ने बंदर-भालुओं की सेना की मदद से
बनवाया था और इसी रास्ते से लंका पहुंचे थे। थेलिमन्नार से धनुष्कोटि तक यह अब भी दिखाई देता है।
लग्गाला : यह वह पहाड़ी स्थल है, जहां रावण के संतरियों ने पहली बार राम की सेना को आते हुए देखा था। यह भी माना जाता है कि यहीं पर समतल चोटी पर राम ने रावण का वध ब्रह्मास्त्र के प्रयोग से किया था।
श्री भक्त हनुमान टेंपल : सीता की खोज में हनुमान इसी पहाड़ी पर आए थे, जहां उनका रामबोला मंदिर बना हुआ है।
उस्संगोडा : यह वह स्थान है, जहां पर हनुमान को रावण के सैनिकों ने बंदी बना लिया था और उनकी पूंछ में आग लगाई थी। माना जाता है कि यहां रावण का हवाई अड्डा (यान उतारने का स्थान) था,
जिसे हनुमान ने जला डाला था।
मनि कट्टूथेर कोविल : रामबोला के पास ही एक चट्टान है, जहां हनुमान सीता से मिलने के बाद आराम किया करते थे। यहां राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की मूर्तियां सुशोभित हैं।
डोलु कंडा : यहीं पर लक्ष्मण एक तीक्ष्ण बाण लगने से अचेत हो गए थे। उनका जीवन बचाने के लिए हनुमान
को हिमालय से जड़ी-बूटी लाने भेजा गया था। जड़ी की पहचान न हो पाने के कारण हनुमान पूरा पर्वत ही उठा लाए थे। माना जाता है कि पर्वत के पांच हिस्से श्रीलंका में पांच स्थानों पर गिरे थे।
कटारागमा कोविल : यह स्थान समर्पित है भगवान कार्तिकेयन को, जिनसे इंद्र ने राम को रावण से बचाने
के लिए युद्धभूमि में जाने का अनुरोध किया था।
राम मंदिर राट्टोटा : यह मंदिर दुंबारा रेंज के उत्तरी भाग में स्थित है।
दुनुविला : वह स्थान, जिसके बारे में कहा जाता है कि जहां राम ने अपना ब्रह्मास्त्र रावण पर चलाया था। दुनुविला का अर्थ है तीर वाली झील।
दिवरुम्पोला - वेलिमाडा : माना जाता है कि यहां पर सीता जी ने अपनी अग्निपरीक्षा दी थी। यहां एक बौद्ध मंदिर
है, जहां रामकथा की पेंटिंग्स हैं, जिनमें सीता जी द्वारा शपथ और अग्निपरीक्षा के दृश्य हैं।
यहंगला : यहां चट्टान है, जिस पर रावण का शव सम्मान के साथ रखा गया था।
केलानिया : यहां पर रावण के भाई विभीषण को लंका के राजा का ताज पहनाया गया। इसी प्रकार श्रीलंका में
रामकथा से जुड़े स्थल जगह-जगह बिखरे पड़े हैं। यहां जाकर आपको भारतीयता पर गर्व होता है।
श्रीलंका में राम के पथ पर... श्रीलंका में राम के पथ पर चलकर देखें। यहां जगह- जगह पर रामकथा से जुड़े प्रसंगों से संबंधित स्थल आपका स्वागत करेंगे और आप असत्य पर सत्य की सबसे बड़ी जीत के साक्षी बनेंगे...
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लंका भारत के दक्षिण में एक स्वतंत्र देश है, जहां रामकथा से जुड़े हुए स्थल देखे जा सकते हैं, जो राम की शौर्यगाथा कहते हुए प्रतीत होते हैं। असत्य पर सत्य की जीत को हम श्रीलंका के टूर में प्रत्यक्ष देख सकते हैं। श्रीलंकाटूरिज्म डेवलपमेंट अथॉरिटी के सहयोग से ट्रेल्स ऑफ राम का टूर आयोजित किया जाता है। श्रीलंका में आज भीभगवान राम और रावण से जुड़े स्थलों को देखा जा सकता है।
इसके लिए आप दिल्ली से कोलंबो के लिए फ्लाइट ले सकते हैं। वहां पहुंचने के बाद अपनी आगे की यात्रा शुरू कर सकते हैं।
वेरागनथोटा/लंकापुरा : यह रावण के राज्य की राजधानी थी। इसे रावण कोट्टे भी कहा जाता है, जिसका मतलब है हवाई यान को उतारने का स्थान। माना जाता है कि सीता का अपहरण करके रावण ने यहीं लैंड किया था।
चैरियट पाथ और सीता टीयर पॉन्ड : रावण जिस रथ से सीता का अपहरण करके ले गया था, उस पूरे रास्ते को
चैरियट पाथ कहते हैं। पुस्साल्लवा में पर्वत शृंखला से घिरा हरियाली वाला हिस्सा है, जहां सीता जी को रावण ने
रखा था, जिसे अशोक वाटिका कहा जाता है। इसी रास्ते में सीता टीयर पॉन्ड है। मान्यता है कि यह सरोवर सीता जी के आंसुओं से बना था।
कोंडाकलाई : श्रीलंका का एक और गांव, जहां रावण के रथ की तेज गति के कारण सीता के बाल उलझ गए थे।
सीता कोटुवे : स्थानीय भाषा में इसका अर्थ सीता का किला है। माना जाता है कि सीता को यहां पर रावण द्वारा किले में बंदी बनाकर रखा गया था। सीता अम्मान कोविल-नुवारा एलिया : यहां एक पतली-सी जल धारा है।
कहा जाता है कि सीता जी इसमें कैद के समय नहाया करती थीं। करीब एक शताब्दी पहले यहां तीन मूर्तियां मिली थीं, जिनमें माना जाता है कि एक सीता की है। माना जाता है कि शताब्दियों पूर्व इन मूर्तियों की पूजा की जाती होगी। यहां कई आकार के पदचिह्न हैं। कहा जाता है कि ये राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान के चरणचिह्न हैं।
स्त्रीपुरा : सिंहली में इसका मतलब है महिलाओं का क्षेत्र। माना जाता है कि हनुमान के आने के बाद सीता जी को
रावण ने यहां स्थानांतरित कर दिया था। इस क्षेत्र में तमान गुफाएं और सुरंगें हैं। इसे वेलिमाडा एरिया कहा जाता है।
एडम्स ब्रिज : भारत में इसे रामसेतु कहते हैं। माना जाता है कि इसे राम ने बंदर-भालुओं की सेना की मदद से
बनवाया था और इसी रास्ते से लंका पहुंचे थे। थेलिमन्नार से धनुष्कोटि तक यह अब भी दिखाई देता है।
लग्गाला : यह वह पहाड़ी स्थल है, जहां रावण के संतरियों ने पहली बार राम की सेना को आते हुए देखा था। यह भी माना जाता है कि यहीं पर समतल चोटी पर राम ने रावण का वध ब्रह्मास्त्र के प्रयोग से किया था।
श्री भक्त हनुमान टेंपल : सीता की खोज में हनुमान इसी पहाड़ी पर आए थे, जहां उनका रामबोला मंदिर बना हुआ है।
उस्संगोडा : यह वह स्थान है, जहां पर हनुमान को रावण के सैनिकों ने बंदी बना लिया था और उनकी पूंछ में आग लगाई थी। माना जाता है कि यहां रावण का हवाई अड्डा (यान उतारने का स्थान) था,
जिसे हनुमान ने जला डाला था।
मनि कट्टूथेर कोविल : रामबोला के पास ही एक चट्टान है, जहां हनुमान सीता से मिलने के बाद आराम किया करते थे। यहां राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की मूर्तियां सुशोभित हैं।
डोलु कंडा : यहीं पर लक्ष्मण एक तीक्ष्ण बाण लगने से अचेत हो गए थे। उनका जीवन बचाने के लिए हनुमान
को हिमालय से जड़ी-बूटी लाने भेजा गया था। जड़ी की पहचान न हो पाने के कारण हनुमान पूरा पर्वत ही उठा लाए थे। माना जाता है कि पर्वत के पांच हिस्से श्रीलंका में पांच स्थानों पर गिरे थे।
कटारागमा कोविल : यह स्थान समर्पित है भगवान कार्तिकेयन को, जिनसे इंद्र ने राम को रावण से बचाने
के लिए युद्धभूमि में जाने का अनुरोध किया था।
राम मंदिर राट्टोटा : यह मंदिर दुंबारा रेंज के उत्तरी भाग में स्थित है।
दुनुविला : वह स्थान, जिसके बारे में कहा जाता है कि जहां राम ने अपना ब्रह्मास्त्र रावण पर चलाया था। दुनुविला का अर्थ है तीर वाली झील।
दिवरुम्पोला - वेलिमाडा : माना जाता है कि यहां पर सीता जी ने अपनी अग्निपरीक्षा दी थी। यहां एक बौद्ध मंदिर
है, जहां रामकथा की पेंटिंग्स हैं, जिनमें सीता जी द्वारा शपथ और अग्निपरीक्षा के दृश्य हैं।
यहंगला : यहां चट्टान है, जिस पर रावण का शव सम्मान के साथ रखा गया था।
केलानिया : यहां पर रावण के भाई विभीषण को लंका के राजा का ताज पहनाया गया। इसी प्रकार श्रीलंका में
रामकथा से जुड़े स्थल जगह-जगह बिखरे पड़े हैं। यहां जाकर आपको भारतीयता पर गर्व होता है।
श्रीलंका में राम के पथ पर... श्रीलंका में राम के पथ पर चलकर देखें। यहां जगह- जगह पर रामकथा से जुड़े प्रसंगों से संबंधित स्थल आपका स्वागत करेंगे और आप असत्य पर सत्य की सबसे बड़ी जीत के साक्षी बनेंगे...
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इसके लिए आप दिल्ली से कोलंबो के लिए फ्लाइट ले सकते हैं। वहां पहुंचने के बाद अपनी आगे की यात्रा शुरू कर सकते हैं।
वेरागनथोटा/लंकापुरा : यह रावण के राज्य की राजधानी थी। इसे रावण कोट्टे भी कहा जाता है, जिसका मतलब है हवाई यान को उतारने का स्थान। माना जाता है कि सीता का अपहरण करके रावण ने यहीं लैंड किया था।
चैरियट पाथ और सीता टीयर पॉन्ड : रावण जिस रथ से सीता का अपहरण करके ले गया था, उस पूरे रास्ते को
चैरियट पाथ कहते हैं। पुस्साल्लवा में पर्वत शृंखला से घिरा हरियाली वाला हिस्सा है, जहां सीता जी को रावण ने
रखा था, जिसे अशोक वाटिका कहा जाता है। इसी रास्ते में सीता टीयर पॉन्ड है। मान्यता है कि यह सरोवर सीता जी के आंसुओं से बना था।
कोंडाकलाई : श्रीलंका का एक और गांव, जहां रावण के रथ की तेज गति के कारण सीता के बाल उलझ गए थे।
सीता कोटुवे : स्थानीय भाषा में इसका अर्थ सीता का किला है। माना जाता है कि सीता को यहां पर रावण द्वारा किले में बंदी बनाकर रखा गया था। सीता अम्मान कोविल-नुवारा एलिया : यहां एक पतली-सी जल धारा है।
कहा जाता है कि सीता जी इसमें कैद के समय नहाया करती थीं। करीब एक शताब्दी पहले यहां तीन मूर्तियां मिली थीं, जिनमें माना जाता है कि एक सीता की है। माना जाता है कि शताब्दियों पूर्व इन मूर्तियों की पूजा की जाती होगी। यहां कई आकार के पदचिह्न हैं। कहा जाता है कि ये राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान के चरणचिह्न हैं।
स्त्रीपुरा : सिंहली में इसका मतलब है महिलाओं का क्षेत्र। माना जाता है कि हनुमान के आने के बाद सीता जी को
रावण ने यहां स्थानांतरित कर दिया था। इस क्षेत्र में तमान गुफाएं और सुरंगें हैं। इसे वेलिमाडा एरिया कहा जाता है।
एडम्स ब्रिज : भारत में इसे रामसेतु कहते हैं। माना जाता है कि इसे राम ने बंदर-भालुओं की सेना की मदद से
बनवाया था और इसी रास्ते से लंका पहुंचे थे। थेलिमन्नार से धनुष्कोटि तक यह अब भी दिखाई देता है।
लग्गाला : यह वह पहाड़ी स्थल है, जहां रावण के संतरियों ने पहली बार राम की सेना को आते हुए देखा था। यह भी माना जाता है कि यहीं पर समतल चोटी पर राम ने रावण का वध ब्रह्मास्त्र के प्रयोग से किया था।
श्री भक्त हनुमान टेंपल : सीता की खोज में हनुमान इसी पहाड़ी पर आए थे, जहां उनका रामबोला मंदिर बना हुआ है।
उस्संगोडा : यह वह स्थान है, जहां पर हनुमान को रावण के सैनिकों ने बंदी बना लिया था और उनकी पूंछ में आग लगाई थी। माना जाता है कि यहां रावण का हवाई अड्डा (यान उतारने का स्थान) था,
जिसे हनुमान ने जला डाला था।
मनि कट्टूथेर कोविल : रामबोला के पास ही एक चट्टान है, जहां हनुमान सीता से मिलने के बाद आराम किया करते थे। यहां राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की मूर्तियां सुशोभित हैं।
डोलु कंडा : यहीं पर लक्ष्मण एक तीक्ष्ण बाण लगने से अचेत हो गए थे। उनका जीवन बचाने के लिए हनुमान
को हिमालय से जड़ी-बूटी लाने भेजा गया था। जड़ी की पहचान न हो पाने के कारण हनुमान पूरा पर्वत ही उठा लाए थे। माना जाता है कि पर्वत के पांच हिस्से श्रीलंका में पांच स्थानों पर गिरे थे।
कटारागमा कोविल : यह स्थान समर्पित है भगवान कार्तिकेयन को, जिनसे इंद्र ने राम को रावण से बचाने
के लिए युद्धभूमि में जाने का अनुरोध किया था।
राम मंदिर राट्टोटा : यह मंदिर दुंबारा रेंज के उत्तरी भाग में स्थित है।
दुनुविला : वह स्थान, जिसके बारे में कहा जाता है कि जहां राम ने अपना ब्रह्मास्त्र रावण पर चलाया था। दुनुविला का अर्थ है तीर वाली झील।
दिवरुम्पोला - वेलिमाडा : माना जाता है कि यहां पर सीता जी ने अपनी अग्निपरीक्षा दी थी। यहां एक बौद्ध मंदिर
है, जहां रामकथा की पेंटिंग्स हैं, जिनमें सीता जी द्वारा शपथ और अग्निपरीक्षा के दृश्य हैं।
यहंगला : यहां चट्टान है, जिस पर रावण का शव सम्मान के साथ रखा गया था।
केलानिया : यहां पर रावण के भाई विभीषण को लंका के राजा का ताज पहनाया गया। इसी प्रकार श्रीलंका में
रामकथा से जुड़े स्थल जगह-जगह बिखरे पड़े हैं। यहां जाकर आपको भारतीयता पर गर्व होता है।
श्रीलंका में राम के पथ पर... श्रीलंका में राम के पथ पर चलकर देखें। यहां जगह- जगह पर रामकथा से जुड़े प्रसंगों से संबंधित स्थल आपका स्वागत करेंगे और आप असत्य पर सत्य की सबसे बड़ी जीत के साक्षी बनेंगे...

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लंका भारत के दक्षिण में एक स्वतंत्र देश है, जहां रामकथा से जुड़े हुए स्थल देखे जा सकते हैं, जो राम की शौर्यगाथा कहते हुए प्रतीत होते हैं। असत्य पर सत्य की जीत को हम श्रीलंका के टूर में प्रत्यक्ष देख सकते हैं। श्रीलंकाटूरिज्म डेवलपमेंट अथॉरिटी के सहयोग से ट्रेल्स ऑफ राम का टूर आयोजित किया जाता है। श्रीलंका में आज भीभगवान राम और रावण से जुड़े स्थलों को देखा जा सकता है।
इसके लिए आप दिल्ली से कोलंबो के लिए फ्लाइट ले सकते हैं। वहां पहुंचने के बाद अपनी आगे की यात्रा शुरू कर सकते हैं।
वेरागनथोटा/लंकापुरा : यह रावण के राज्य की राजधानी थी। इसे रावण कोट्टे भी कहा जाता है, जिसका मतलब है हवाई यान को उतारने का स्थान। माना जाता है कि सीता का अपहरण करके रावण ने यहीं लैंड किया था।
चैरियट पाथ और सीता टीयर पॉन्ड : रावण जिस रथ से सीता का अपहरण करके ले गया था, उस पूरे रास्ते को
चैरियट पाथ कहते हैं। पुस्साल्लवा में पर्वत शृंखला से घिरा हरियाली वाला हिस्सा है, जहां सीता जी को रावण ने
रखा था, जिसे अशोक वाटिका कहा जाता है। इसी रास्ते में सीता टीयर पॉन्ड है। मान्यता है कि यह सरोवर सीता जी के आंसुओं से बना था।
कोंडाकलाई : श्रीलंका का एक और गांव, जहां रावण के रथ की तेज गति के कारण सीता के बाल उलझ गए थे।
सीता कोटुवे : स्थानीय भाषा में इसका अर्थ सीता का किला है। माना जाता है कि सीता को यहां पर रावण द्वारा किले में बंदी बनाकर रखा गया था। सीता अम्मान कोविल-नुवारा एलिया : यहां एक पतली-सी जल धारा है।
कहा जाता है कि सीता जी इसमें कैद के समय नहाया करती थीं। करीब एक शताब्दी पहले यहां तीन मूर्तियां मिली थीं, जिनमें माना जाता है कि एक सीता की है। माना जाता है कि शताब्दियों पूर्व इन मूर्तियों की पूजा की जाती होगी। यहां कई आकार के पदचिह्न हैं। कहा जाता है कि ये राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान के चरणचिह्न हैं।
स्त्रीपुरा : सिंहली में इसका मतलब है महिलाओं का क्षेत्र। माना जाता है कि हनुमान के आने के बाद सीता जी को
रावण ने यहां स्थानांतरित कर दिया था। इस क्षेत्र में तमान गुफाएं और सुरंगें हैं। इसे वेलिमाडा एरिया कहा जाता है।
एडम्स ब्रिज : भारत में इसे रामसेतु कहते हैं। माना जाता है कि इसे राम ने बंदर-भालुओं की सेना की मदद से
बनवाया था और इसी रास्ते से लंका पहुंचे थे। थेलिमन्नार से धनुष्कोटि तक यह अब भी दिखाई देता है।
लग्गाला : यह वह पहाड़ी स्थल है, जहां रावण के संतरियों ने पहली बार राम की सेना को आते हुए देखा था। यह भी माना जाता है कि यहीं पर समतल चोटी पर राम ने रावण का वध ब्रह्मास्त्र के प्रयोग से किया था।
श्री भक्त हनुमान टेंपल : सीता की खोज में हनुमान इसी पहाड़ी पर आए थे, जहां उनका रामबोला मंदिर बना हुआ है।
उस्संगोडा : यह वह स्थान है, जहां पर हनुमान को रावण के सैनिकों ने बंदी बना लिया था और उनकी पूंछ में आग लगाई थी। माना जाता है कि यहां रावण का हवाई अड्डा (यान उतारने का स्थान) था,
जिसे हनुमान ने जला डाला था।
मनि कट्टूथेर कोविल : रामबोला के पास ही एक चट्टान है, जहां हनुमान सीता से मिलने के बाद आराम किया करते थे। यहां राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की मूर्तियां सुशोभित हैं।
डोलु कंडा : यहीं पर लक्ष्मण एक तीक्ष्ण बाण लगने से अचेत हो गए थे। उनका जीवन बचाने के लिए हनुमान
को हिमालय से जड़ी-बूटी लाने भेजा गया था। जड़ी की पहचान न हो पाने के कारण हनुमान पूरा पर्वत ही उठा लाए थे। माना जाता है कि पर्वत के पांच हिस्से श्रीलंका में पांच स्थानों पर गिरे थे।
कटारागमा कोविल : यह स्थान समर्पित है भगवान कार्तिकेयन को, जिनसे इंद्र ने राम को रावण से बचाने
के लिए युद्धभूमि में जाने का अनुरोध किया था।
राम मंदिर राट्टोटा : यह मंदिर दुंबारा रेंज के उत्तरी भाग में स्थित है।
दुनुविला : वह स्थान, जिसके बारे में कहा जाता है कि जहां राम ने अपना ब्रह्मास्त्र रावण पर चलाया था। दुनुविला का अर्थ है तीर वाली झील।
दिवरुम्पोला - वेलिमाडा : माना जाता है कि यहां पर सीता जी ने अपनी अग्निपरीक्षा दी थी। यहां एक बौद्ध मंदिर
है, जहां रामकथा की पेंटिंग्स हैं, जिनमें सीता जी द्वारा शपथ और अग्निपरीक्षा के दृश्य हैं।
यहंगला : यहां चट्टान है, जिस पर रावण का शव सम्मान के साथ रखा गया था।
केलानिया : यहां पर रावण के भाई विभीषण को लंका के राजा का ताज पहनाया गया। इसी प्रकार श्रीलंका में
रामकथा से जुड़े स्थल जगह-जगह बिखरे पड़े हैं। यहां जाकर आपको भारतीयता पर गर्व होता है।
श्रीलंका में राम के पथ पर... श्रीलंका में राम के पथ पर चलकर देखें। यहां जगह- जगह पर रामकथा से जुड़े प्रसंगों से संबंधित स्थल आपका स्वागत करेंगे और आप असत्य पर सत्य की सबसे बड़ी जीत के साक्षी बनेंगे...

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यहां राम सीता के होने की हैं कई आश्‍चर्यजनिक प्रामाण

लंका भारत के दक्षिण में एक स्वतंत्र देश है, जहां रामकथा से जुड़े हुए स्थल देखे जा सकते हैं, जो राम की शौर्यगाथा कहते हुए प्रतीत होते हैं। असत्य पर सत्य की जीत को हम श्रीलंका के टूर में प्रत्यक्ष देख सकते हैं। श्रीलंकाटूरिज्म डेवलपमेंट अथॉरिटी के सहयोग से ट्रेल्स ऑफ राम का टूर आयोजित किया जाता है। श्रीलंका में आज भीभगवान राम और रावण से जुड़े स्थलों को देखा जा सकता है।
इसके लिए आप दिल्ली से कोलंबो के लिए फ्लाइट ले सकते हैं। वहां पहुंचने के बाद अपनी आगे की यात्रा शुरू कर सकते हैं।
वेरागनथोटा/लंकापुरा : यह रावण के राज्य की राजधानी थी। इसे रावण कोट्टे भी कहा जाता है, जिसका मतलब है हवाई यान को उतारने का स्थान। माना जाता है कि सीता का अपहरण करके रावण ने यहीं लैंड किया था।
चैरियट पाथ और सीता टीयर पॉन्ड : रावण जिस रथ से सीता का अपहरण करके ले गया था, उस पूरे रास्ते को
चैरियट पाथ कहते हैं। पुस्साल्लवा में पर्वत शृंखला से घिरा हरियाली वाला हिस्सा है, जहां सीता जी को रावण ने
रखा था, जिसे अशोक वाटिका कहा जाता है। इसी रास्ते में सीता टीयर पॉन्ड है। मान्यता है कि यह सरोवर सीता जी के आंसुओं से बना था।
कोंडाकलाई : श्रीलंका का एक और गांव, जहां रावण के रथ की तेज गति के कारण सीता के बाल उलझ गए थे।
सीता कोटुवे : स्थानीय भाषा में इसका अर्थ सीता का किला है। माना जाता है कि सीता को यहां पर रावण द्वारा किले में बंदी बनाकर रखा गया था। सीता अम्मान कोविल-नुवारा एलिया : यहां एक पतली-सी जल धारा है।
कहा जाता है कि सीता जी इसमें कैद के समय नहाया करती थीं। करीब एक शताब्दी पहले यहां तीन मूर्तियां मिली थीं, जिनमें माना जाता है कि एक सीता की है। माना जाता है कि शताब्दियों पूर्व इन मूर्तियों की पूजा की जाती होगी। यहां कई आकार के पदचिह्न हैं। कहा जाता है कि ये राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान के चरणचिह्न हैं।
स्त्रीपुरा : सिंहली में इसका मतलब है महिलाओं का क्षेत्र। माना जाता है कि हनुमान के आने के बाद सीता जी को
रावण ने यहां स्थानांतरित कर दिया था। इस क्षेत्र में तमान गुफाएं और सुरंगें हैं। इसे वेलिमाडा एरिया कहा जाता है।
एडम्स ब्रिज : भारत में इसे रामसेतु कहते हैं। माना जाता है कि इसे राम ने बंदर-भालुओं की सेना की मदद से
बनवाया था और इसी रास्ते से लंका पहुंचे थे। थेलिमन्नार से धनुष्कोटि तक यह अब भी दिखाई देता है।
लग्गाला : यह वह पहाड़ी स्थल है, जहां रावण के संतरियों ने पहली बार राम की सेना को आते हुए देखा था। यह भी माना जाता है कि यहीं पर समतल चोटी पर राम ने रावण का वध ब्रह्मास्त्र के प्रयोग से किया था।
श्री भक्त हनुमान टेंपल : सीता की खोज में हनुमान इसी पहाड़ी पर आए थे, जहां उनका रामबोला मंदिर बना हुआ है।
उस्संगोडा : यह वह स्थान है, जहां पर हनुमान को रावण के सैनिकों ने बंदी बना लिया था और उनकी पूंछ में आग लगाई थी। माना जाता है कि यहां रावण का हवाई अड्डा (यान उतारने का स्थान) था,
जिसे हनुमान ने जला डाला था।
मनि कट्टूथेर कोविल : रामबोला के पास ही एक चट्टान है, जहां हनुमान सीता से मिलने के बाद आराम किया करते थे। यहां राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की मूर्तियां सुशोभित हैं।
डोलु कंडा : यहीं पर लक्ष्मण एक तीक्ष्ण बाण लगने से अचेत हो गए थे। उनका जीवन बचाने के लिए हनुमान
को हिमालय से जड़ी-बूटी लाने भेजा गया था। जड़ी की पहचान न हो पाने के कारण हनुमान पूरा पर्वत ही उठा लाए थे। माना जाता है कि पर्वत के पांच हिस्से श्रीलंका में पांच स्थानों पर गिरे थे।
कटारागमा कोविल : यह स्थान समर्पित है भगवान कार्तिकेयन को, जिनसे इंद्र ने राम को रावण से बचाने
के लिए युद्धभूमि में जाने का अनुरोध किया था।
राम मंदिर राट्टोटा : यह मंदिर दुंबारा रेंज के उत्तरी भाग में स्थित है।
दुनुविला : वह स्थान, जिसके बारे में कहा जाता है कि जहां राम ने अपना ब्रह्मास्त्र रावण पर चलाया था। दुनुविला का अर्थ है तीर वाली झील।
दिवरुम्पोला - वेलिमाडा : माना जाता है कि यहां पर सीता जी ने अपनी अग्निपरीक्षा दी थी। यहां एक बौद्ध मंदिर
है, जहां रामकथा की पेंटिंग्स हैं, जिनमें सीता जी द्वारा शपथ और अग्निपरीक्षा के दृश्य हैं।
यहंगला : यहां चट्टान है, जिस पर रावण का शव सम्मान के साथ रखा गया था।
केलानिया : यहां पर रावण के भाई विभीषण को लंका के राजा का ताज पहनाया गया। इसी प्रकार श्रीलंका में
रामकथा से जुड़े स्थल जगह-जगह बिखरे पड़े हैं। यहां जाकर आपको भारतीयता पर गर्व होता है।

श्रीलंका में राम के पथ पर... श्रीलंका में राम के पथ पर चलकर देखें। यहां जगह- जगह पर रामकथा से जुड़े प्रसंगों से संबंधित स्थल आपका स्वागत करेंगे और आप असत्य पर सत्य की सबसे बड़ी जीत के साक्षी बनेंगे…

।।जय हिंदुत्व।। ।।जय श्रीराम।। ।।जय महाकाल।। ।।जय श्रीकृष्ण।।

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