Thursday, June 18, 2015

हमारी भावनाओं में मिठास भरती मातृभाषा हिंदी

हिंदी की पढाई के दिन याद आते हैं
जब किसी कविता का सार
समझकर उसका सन्दर्भ और प्रसंग लिखने बैठते थे
हिंदी मेरे लिए हमेशा से मनपसंद विषय रहा है
हिंदी का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है
प्रेमचंद,सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ,सुमित्रानंदन पन्त,जयशंकर प्रसाद आदि आदि
जैसी महान विभूतियों ने आधुनिक हिंदी में और भी मिठास भर दी है.....
हिंदी साहित्य सदैव इन महान विभूतियों का आभारी रहेगा
आज हिंदी मानस पटल से जब खो रही है......लोगो का तो ठीक समाजो का तक
विदेशीकरण हो रहा है....तब हिंदी के वर्चस्व को बचाए रखने के लिए हमें अपनी मातृभाषा को
पुनः आगे बढ़ाना होगा....हिंदी साहित्य एक ज्योतिपुंज है जिसने समाज को केवल दर्पण नहीं दिखाया अपितु .....पथ भी दिखाया और लक्ष्य भी आँखों के आगे अवलोकित कर दिया
हिंदी की मिठास बनी रहे इसके लिए हमे हिंदी का उपयोग अधिक से अधिक बढ़ाना चाहिए....
मैं नही कहता की अन्य भाषाओ का ज्ञान अर्जित मत करो किन्तु हिंदी का उपहास करना कहाँ तक उचित है
मैं सभी राष्ट्रवादी पृष्ठों, सभी राष्ट्रवादी लेखकों का ह्रदय से धन्यवाद करना चाहूँगा जिन्होंने हिंदी की महत्ता को बनाये रखा है और हिंदी के प्रचार में लगे हुए हैं....
हिंदी में बहुत मिठास है इसे एक बार चखने वाला इसका दीवाना हो जाता है इसमें कोई संदेह नहीं
आओ हिंदी को आगे बढाएं

जय हिंदी

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