पहले बल्ब का
जलना, विमान का उड़ना, सिनेमा और टीवी का चलन, मोबाइल पर बात करना और कार
में घूमना एक रहस्य और कल्पना की बातें हुआ करती थीं। आज इसके आविष्कार से
दुनिया तो बदल गई है, लेकिन आदमी वही मध्ययुगीन सोच का ही है। धरती तो कई
रहस्यों से पटी पड़ी है। उससे कहीं ज्यादा रहस्य तो समुद्र में छुपा हुआ
है। उससे भी कहीं ज्यादा आकाश रहस्यमयी है और उससे कई गुना अंतरिक्ष में
अंतहीन रहस्य छुपा हुआ है।
दुनिया में ऐसे कई रहस्य हैं जिनका जवाब
अभी भी खोजा जाना बाकी है। विज्ञान के पास इनके जवाब नहीं हैं, लेकिन खोज
जारी है। ऐसे कौन-कौन से रहस्य हैं जिनके खुलने पर इंसान ही नहीं, धरती का
संपूर्ण भविष्य बदल जाएगा। आओ जानते हैं ऐसी ही 10 रहस्य और रोमांच से भरी बतों को...
पहला रहस्य...
1. टाइम मशीन : समय
की सीमाएं लांघकर अतीत और भविष्य में पहुंचने की परिकल्पना तो मनुष्य करता
रहा है। भारत में ऐसे कई साधु-संत हुए हैं, जो आंख बंद कर अतीत और भविष्य
में झांक लेते थे। अब सवाल यह है कि यह काम मशीन से कैसे हो? इंग्लैंड के
मशहूर लेखक एचजी वेल्स ने 1895 में 'द टाइम मशीन' नामक एक उपन्यास प्रकाशित
किया, तो समूचे योरप में तहलका मच गया। उपन्यास से प्रेरित होकर इस विषय
पर और भी कई तरह के कथा साहित्य रचे गए। इस कॉन्सेप्ट पर हॉलीवुड में एक
फिल्म भी बनी।
टाइम मशीन की कल्पना भी
भारतीय धर्मग्रंथों से प्रेरित है। आप सोचेंगे कैसे? वेद और पुराणों में
ऐसी कई घटनाओं का जिक्र है जिसमें कहा गया है कि कोई व्यक्ति ब्रह्मा के
पास मिलने ब्रह्मलोक गया और जब वह धरती पर पुन: लौटा तो यहां एक युग बीत
चुका था। अब सवाल यह उठता है कि कोई व्यक्ति एक युग तक कैसे जी सकता है?
इसका जवाब है कि हमारी समय की अवधारणा धरती के मान से है लेकिन जैसे ही हम
अंतरिक्ष में जाते हैं, समय बदल जाता है। जो व्यक्ति ब्रह्मलोक होकर लौटा
उसके लिए तो उसके मान से 1 वर्ष ही लगा। लेकिन उक्त 1 वर्ष में धरती पर एक
युग बीत गया, बुध ग्रह पर तो 2 युग बीत गए होंगे, क्योंकि वहां का 1 वर्ष
तो 88 दिनों का ही होता है। अब हम टाइम मशीन की थ्योरी को समझें...
पहले यह माना जाता था कि समय निरपेक्ष और
सार्वभौम है अर्थात सभी के लिए समान है यानी यदि धरती पर 10 बज रहे हैं तो
क्या यह मानें कि मंगल ग्रह पर भी 10 ही बज रहे होंगे? लेकिन आइंस्टीन के
सापेक्षता सिद्धांत के अनुसार ऐसा नहीं है। समय की धारणा अलग-अलग है।
आइंस्टीन ने कहा कि दो
घटनाओं के बीच का मापा गया समय इस बात पर निर्भर करता है कि उन्हें देखने
वाला किस गति से जा रहा है। मान लीजिए की दो जुड़वां भाई हैं- A और B। एक
अत्यंत तीव्र गति के अंतरिक्ष यान से किसी ग्रह पर जाता है और कुछ समय बाद
पृथ्वी पर लौट आता है जबकि B घर पर ही रहता है। A के लिए यह सफर हो सकता है
1 वर्ष का रहा हो, लेकिन जब वह पृथ्वी पर लौटता है तो 10 साल बीत चुके
होते हैं। उसका भाई B अब 9 वर्ष बड़ा हो चुका है, जबकि दोनों का जन्म एक ही
दिन हुआ था। यानी A 10 साल भविष्य में पहुंच गया है। अब वहां पहुंचकर वह
वहीं से धरती पर चल रही घटना को देखता है तो वह अतीत को देख रहा होता है।
जैसे एक गोली छूट गई लेकिन यदि आपको उसको
देखना है तो उस गोली से भी तेज गति से आगे जाकर उसे क्रॉस करना होगा और फिर
पलटकर उसको देखना होगा तभी वह तुम्हें दिखाई देगी। इसी तरह ब्रह्मांड में
कई आवाजें, चित्र और घटनाएं जो घटित हो चुकी हैं वे फैलती जा रही हैं। वे
जहां तक पहुंच गई हैं वहां पहुंचकर उनको पकड़कर सुना होगा।
यदि ऐसा हुआ तो...? कुछ
ब्रह्मांडीय किरणें प्रकाश की गति से चलती हैं। उन्हें एक आकाशगंगा पार
करने में कुछ क्षण लगते हैं लेकिन पृथ्वी के समय के हिसाब से ये दसियों
हजार वर्ष हुए।
भौतिकशास्त्र की दृष्टि से यह सत्य है
लेकिन अभी तक ऐसी कोई टाइम मशीन नहीं बनी जिससे हम अतीत या भविष्य में
पहुंच सकें। यदि ऐसे हो गया तो बहुत बड़ी क्रांति हो जाएगी। मानव जहां खुद
की उम्र बढ़ाने में सक्षम होगा वहीं वह भविष्य को बदलना भी सीख जाएगा।
इतिहास फिर से लिखा जाएगा।
एक और उदाहारण से समझें। आप
कार ड्राइव कर रहे हैं आपको पता नहीं है कि 10 किलोमीटर आगे जाकर रास्ता
बंद है और वहां एक बड़ा-सा गड्डा है, जो अचानक से दिखाई नहीं देता। आपकी
कार तेज गति से चल रही है। अब आप सोचिए कि आपके साथ क्या होने वाला है?
लेकिन एक व्यक्ति हेलीकॉप्टर में बैठा है और उसे यह सब कुछ दिखाई दे रहा है
अर्थात यह कि वह आपका भविष्य देख रहा है। यदि आपको किसी तकनीक से पता चल
जाए कि आगे एक गड्ढा है तो आप बच जाएंगे। भारत का ज्योतिष भी यही करता है
कि वह आपको गड्ढे की जानकारी दे देता है।
लेकिन एक अतार्किक उदाहरण
भी दिया जा सकता है, जैसे कि एक व्यक्ति विवाह करने से पहले अपने पुत्र को
देखने जाता है टाइम मशीन से। वहां जाकर उसे पता चलता है कि उनका पुत्र तो
जेल के अंदर देशद्रोह के मामले में सजा काट रहा है तो... तब वह दो काम कर
सकता है या तो वह किसी अन्य महिला से विवाह करे या विवाह करने का विचार ही
त्याग दे।
दूसरा रहस्य...
अश्वत्थामा बलिव्र्यासो हनूमांश्च विभीषण:।
कृप: परशुरामश्च सप्तएतै चिरजीविन:॥
सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्।
जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।।
2. अमर होने का रहस्य : अमर
कौन नहीं होना चाहता? समुद्र मंथन में अमृत निकला। इसे प्राप्त करने के
लिए देवताओं ने दानवों के साथ छल किया। देवता अमर हो गए। मतलब कि क्या
समुद्र में ऐसा कुछ है कि उसमें से अमृत निकले? तो आज भी निकल सकता है? अभी
अधिकतम 100 साल के जीवन में अनेकानेक रोग, कष्ट, संताप और झंझट हैं तो
अमरता प्राप्त करने पर क्या होगा? 100 वर्ष बाद वैराग्य प्राप्त कर व्यक्ति
हिमालय चला जाएगा। वहां क्या करेगा? बोर हो जाएगा तो फिर से संसार में आकर
रहेगा। बस यही सिलसिला चलता रहेगा।
माना जाता है कि ये
सातों पिछले कई हजार वर्षों से इस धरती पर रह रहे हैं, लेकिन क्या धरती पर
रहकर इतने हजारों वर्ष तक जीवित रहना संभव है? हालांकि कई ऐसे ऋषि-मुनि थे,
जो धरती के बाहर जाकर फिर लौट आते थे और इस तरह वे अपनी उम्र फ्रिज कर
बढ़ते रहते थे। हालांकि हिमालय में रहने से भी उम्र बढ़ने की संभावना बढ़
जाती है। हिन्दू धर्मशास्त्रों में ऐसी कई कथाएं हैं जिसमें लिखा है कि
अमरता प्राप्त करने के लिए फलां-फलां दैत्य या साधु ने घोर तप करके शिवजी
को प्रसन्न कर लिया। बाद में उसे मारने के लिए भगवान के भी पसीने छूट गए।
अमर होने के लिए कई ऐसे मंत्र हैं जिनके जपने से शरीर हमेशा युवा बना रहता
है। महामृत्युंजय मंत्र के बारे में कहा जाता है कि इसके माध्यम से अमरता
पाई जा सकती है।
वेद, उपनिषद, गीता,
महाभारत, पुराण, योग और आयुर्वेद में अमरत्व प्राप्त करने के अनेक साधन
बताए गए हैं। आयुर्वेद में कायाकल्प की विधि उसका ही एक हिस्सा है। लेकिन
अब सवाल यह उठता है कि विज्ञान इस दिशा में क्या कर रहा है? विज्ञान भी इस
दिशा में काम कर रहा है कि किस तरह व्यक्ति अमर हो जाए अर्थात कभी नहीं
मरे।
सावित्री-सत्यवान की कथा
तो आपने सुनी ही होगी। सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण
वापस ले लिए थे। सावित्री और यमराज के बीच लंबा संवाद हुआ। इसके बाद भी यह
पता नहीं चलता है कि सावित्री ने ऐसा क्या किया कि सत्यवान फिर से जीवित हो
उठा। इस जीवित कर देने या हो जाने की प्रक्रिया के बारे में महाभारत भी
मौन है। जरूर सावित्री के पास कोई प्रक्रिया रही होगी। जिस दिन यह
प्रक्रिया वैज्ञानिक ढंग से ज्ञात हो जाएगी, हम अमरत्व प्राप्त कर लेंगे।
आपने अमरबेल का नाम सुना
होगा। विज्ञान चाहता है कि मनुष्य भी इसी तरह का बन जाए, कायापलट करता रहा
और जिंदा बना रहे। वैज्ञानिकों का एक समूह चरणबद्ध ढंग से इंसान को अमर
बनाने में लगा हुआ है। समुद्र में जेलीफिश (टयूल्रीटोप्सिस न्यूट्रीकुला)
नामक मछली पाई जाती है। यह तकनीकी दृष्टि से कभी नहीं मरती है। हां, यदि आप
इसकी हत्या कर दें या कोई अन्य जीव जेलीफिश का भक्षण कर ले, फिर तो उसे
मरना ही है। इस कारण इसे इम्मोर्टल जेलीफिश भी कहा जाता है। जेलीफिश
बुढ़ापे से बाल्यकाल की ओर लौटने की क्षमता रखती है। अगर वैज्ञानिक जेलीफिश
के अमरता के रहस्य को सुलझा लें, तो मानव अमर हो सकता है।
क्या कर रहे हैं वैज्ञानिक : वैज्ञानिक
अमरता के रहस्यों से पर्दा हटाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
बढ़ती उम्र के प्रभाव को रोकने के लिए कई तरह की दवाइयों और सर्जरी का
विकास किया जा रहा है। अब इसमें योग और आयुर्वेद को भी महत्व दिया जाने लगा
है। बढ़ती उम्र के प्रभाव को रोकने के बारे में आयोजित एक व्यापक सर्वे
में पाया गया कि उम्र बढ़ाने वाली 'गोली' को बनाना संभव है। रूस के
साइबेरिया के जंगलों में एक औषधि पाई जाती है जिसे जिंगसिंग कहते हैं। चीन
के लोग इसका ज्यादा इस्तेमाल करके देर तक युवा बने रहते हैं।
' जर्नल नेचर' में
प्रकाशित 'पजल, प्रॉमिस एंड क्योर ऑफ एजिंग' नामक रिव्यू में कहा गया है कि
आने वाले दशकों में इंसान का जीवनकाल बढ़ा पाना लगभग संभव हो पाएगा। अखबार
'डेली टेलीग्राफ' के अनुसार एज रिसर्च पर बक इंस्टीट्यूट, कैलिफॉर्निया के
डॉक्टर जूडिथ कैंपिसी ने बताया कि सिंपल ऑर्गनिज्म के बारे में मौजूदा
नतीजों से इसमें कोई शक नहीं कि जीवनकाल को बढ़ाया-घटाया जा सकता है। पहले
भी कई स्टडीज में पाया जा चुका है कि अगर बढ़ती उम्र के असर को उजागर करने
वाले जिनेटिक प्रोसेस को बंद कर दिया जाए, तो इंसान हमेशा जवान बना रह सकता
है। जर्नल सेल के जुलाई के अंक में प्रकाशित एक रिसर्च रिपोर्ट में कहा
गया कि बढ़ती उम्र का प्रभाव जिनेटिक प्लान का हिस्सा हो सकता है, शारीरिक
गतिविधियों का नतीजा नहीं। खोज और रिसर्च जारी है...।
तीसरा रहस्य...
3. गायब हो जाने का रहस्य : अमर
होने से ज्यादा लोगों में गायब होने की तमन्ना है। जिसने भी 'मिस्टर
इंडिया' फिल्म देखी होगी वह जानता है कि इसके ऐसे भी फायदे हो सकते हैं।
गायब या अदृश्य होना मनुष्य की प्राचीन अभिलाषा रही है जिसके लिए समय-समय
पर तरह-तरह के प्रयोग होते रहे हैं। इसके लिए कई सिद्धांत गढ़े गए हैं।
मिस्टर इंडिया लाल चश्मा
पहनते ही गायब हो जाते थे तो हैरी पॉटर के पास इनविजिबिलिटी क्लॉक था
लेकिन वैज्ञानिकों ने गायब होने का एक तरीका निकाला है। वे एक ऐसी ड्रेस
बनाने वाले हैं जिसे पहनकर व्यक्ति गायब हो जाएगा यानी कि लबादा ओढ़ो और
गायब हो जाओ।
जर्मनी के कार्ल्सरूहे तकनीकी
विश्वविद्यालय और इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन के कुछ वैज्ञानिकों ने मिलकर
फोटोनिक क्रिस्टलों से एक लबादा तैयार किया है। फोटोनिक क्रिस्टल ऐसे
पदार्थ होते हैं, जो अपने पर पड़ने वाली रोशनी के इलेक्ट्रॉन की दिशा बदल
देते हैं। अगर इस प्रवृत्ति को विकसित किया जाए तो ऐसे पदार्थ बनाए जा सकते
हैं, जो रोशनी के कणों को पूरी तरह मोड़ सकते हैं। आज हम जो भी देख रहे
हैं, वे उस पदार्थ पर पड़ने वाली रोशनी के कारण देख रहे हैं भले ही यह
रोशनी धुंधली ही क्यों न हो।
लेकिन इस प्रयोग में दिक्कत यह है कि भले
ही सामने से व्यक्ति स्पष्ट नजर न आए लेकिन वह बगल से दिखाई दे सकता है।
वैज्ञानिक कहते हैं कि दृश्यमानता प्रकाश के साथ पिंडों की क्रिया पर
निर्भर करती है। आप जानते हैं कि कोई भी पिंड या तो प्रकाश को अवशोषित करता
है या परावर्तित या अपवर्तित। यदि पिंड न तो प्रकाश को अवशोषित करता है, न
परावर्तित या अपवर्तित, तो पिंड अदृश्य होगा।
हालांकि अभी अदृश्य होने का कोई पुख्ता
फॉर्मूला विकसित नहीं हुआ है लेकिन अमेरिका सहित दुनियाभर के वैज्ञानिक इस
पर रिसर्च में लगे हुए हैं ताकि हजारों अदृश्य मानवों से जासूसी करवाई जा
सके और दूसरों देशों में अशांति फैलाई जा सके। हो सकता है कि आने वाले समय
में नैनो टेक्नोलॉजी से यह संभव हो।
चौथा रहस्य...
4. ब्रह्मांड के बनने का रहस्य :
आजकल के वैज्ञानिक ब्रह्मांड की उत्पत्ति के रहस्य को जानने से ज्यादा
उसके अंत में उत्सुक हैं। वे बताते रहते हैं कि धरती पर जीवन का खात्मा इस
तरह होगा। सूर्य ठंडा हो जाएगा। ग्रह-नक्षत्र आपस में टकरा जाएंगे। तब क्या
होगा? इसलिए मानव को अभी से ही दूसरे ग्रहों को तलाश करना चाहिए।
अधिकतर वैज्ञानिक शायद यह मान ही बैठे हैं
कि उत्पत्ति का रहस्य तो हम जान चुके हैं। बिग बैंग का सिद्धांत अकाट्य
है। लेकिन कई ऐसे वैज्ञानिक हैं, जो यह कहते हैं कि हमने अभी भी ब्रह्मांड
की उत्पत्ति और धरती पर जीवन की उत्पत्ति के रहस्य को नहीं सुलझाया है। अभी
तक जितने भी सिद्धांत बताए जा रहे हैं वे सभी तर्क से खारिज किए जा सकते
हैं।
ब्रह्मांड की उत्पत्ति के सबसे ज्यादा
मान्य सिद्धांत को महाविस्फोट (The Big Bang) कहते हैं। इसके अनुसार अब से
लगभग 14 अरब वर्ष पहले एक बिंदु से ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई है। फिर उस
बिंदु में महाविस्फोट हुआ और असंख्य सूर्य, ग्रह, नक्षत्र आदि का जन्म होता
गया।
वैज्ञानिक मानते हैं कि बिंदु के समय
ब्रह्मांड के सभी कण एक-दूसरे के एकदम पास-पास थे। वे इतने ज्यादा पास-पास
थे कि वे सभी एक ही जगह थे, एक ही बिंदु पर। सारा ब्रह्मांड एक बिंदु की
शक्ल में था।
यह बिंदु अत्यधिक घनत्व का, अत्यंत छोटा
बिंदु था। ब्रह्मांड का यह बिंदु रूप अपने अत्यधिक घनत्व के कारण अत्यंत
गर्म रहा होगा। इस स्थिति में भौतिकी, गणित या विज्ञान का कोई भी नियम काम
नहीं करता है। यह वह स्थिति है, जब मनुष्य किसी भी प्रकार अनुमान या
विश्लेषण करने में असमर्थ है। काल या समय भी इस स्थिति में रुक जाता है,
दूसरे शब्दों में काल या समय के कोई मायने नहीं रहते हैं। इस स्थिति में
किसी अज्ञात कारण से अचानक ब्रह्मांड का विस्तार होना शुरू हुआ। एक
महाविस्फोट के साथ ब्रह्मांड का जन्म हुआ और ब्रह्मांड में पदार्थ ने
एक-दूसरे से दूर जाना शुरू कर दिया।
हालांकि ब्रह्मांड की उत्पत्ति और प्रलय के
बारे में अभी भी प्रयोग और शोध जारी है। सबसे बड़े प्रयोग की चर्चा करें
तो महाप्रयोग सर्न के वैज्ञानिक कर रहे हैं। ये वैज्ञानिक उस खास कण को
ढूंढने में लगे हैं जिसके कारण ब्रह्मांड बना होगा। दावा किया जाता है कि
फ्रांस और स्विट्जरलैंड की बॉर्डर पर बनी दुनिया की सबसे बड़ी प्रयोगशाला
में दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने वो कण ढूंढ लिया है जिसे गॉड पार्टिकल यानी
भगवान का कण कहा जाता है। इसे उन्होंने 'हिग्स बोसन' नाम दिया है। सर्न के
वैज्ञानिकों को 99 फीसदी यकीन है कि गॉड पार्टिकल का रहस्य सुलझ गया है।
मतलब 1 प्रतिशत संदेह है?
हमारा ब्रह्मांड रहस्य-रोमांच और
अनजानी-अनसुलझी पहेलियों से भरा है। सदियों से इंसान सवालों की भूलभुलैया
में भटक रहा है कि कैसे बना होगा ब्रह्मांड, कैसे बनी होगी धरती, कैसे बना
होगा फिर इंसान। हालांकि धर्मग्रंथों में रेडीमेड उत्तर लिखे हैं कि भगवान
ने इसे बनाया और फिर 7वें दिन आराम किया।
पांचवां रहस्य...
5. बिगफुट का रहस्य : अमेरिका, अफ्रीका,
चीन, रूस और भारत में बिगफुट की खोज जारी है। कई लोग बिगफुट को देखे जाने
का दावा करते हैं। पूरे विश्व में इन्हें अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है।
तिब्बत और नेपाल में इन्हें 'येती' का नाम दिया जाता है तो ऑस्ट्रेलिया
में 'योवी' के नाम से जाना जाता है। भारत में इसे 'यति' कहते हैं।
ज्यादा बालों वाले इंसान जंगलों में ही
रहते थे। जंगल में भी वे वहां रहते थे, जहां कोई आता-जाता नहीं था। माना
जाता था कि ज्यादा बालों वाले इंसानों में जादुई शक्तियां होती हैं। ज्यादा
बालों वाले जीवों में बिगफुट का नाम सबसे ऊपर आता है। बिगफुट के बारे में
आज भी रहस्य बरकरार है।
छठा रहस्य...
6. एलियंस का रहस्य : वर्षों
के वैज्ञानिक शोध से यह पता चला कि 10 हजार ईपू धरती पर एलियंस उतरे और
उन्होंने पहले इंसानी कबीले के सरदारों को ज्ञान दिया और फिर बाद में
उन्होंने राजाओं को अपना संदेशवाहक बनाया और अंतत: उन्होंने इस तरह धरती पर
कई प्रॉफेट पैदा कर दिए। क्या इस बात में सच्चाई है?
अब वैज्ञानिक तो यही मानते हैं। हालांकि
उन्होंने कभी एलियंस को देखा नहीं फिर भी वे विश्वास करते हैं कि धरती के
बाहर किसी अन्य धरती पर हमारे जैसे ही लोग या कुछ अलग किस्म के लोग रहते
हैं, जो हमसे भी ज्यादा बुद्धिमान हैं। आज नहीं तो कल उनसे हमारी मुलाकात
हो जाएगी। हालांकि यह कल कब आएगा?
नासा के शीर्ष वैज्ञानिकों ने कहा कि
एलियन के जीवन का संकेत 2025 तक पता चल जाएगा जबकि परग्रही जीव के बारे में
‘निश्चित सबूत’ अगले 20-30 साल में मिल सकता है। यदि नासा का यह दावा सच
साबित होता है तो सवाल यह उठता है कि तब क्या होगा? क्या एलियन मानव जैसे
हैं या कि जैसी उनके बारे में कल्पना की गई है, वैसे हैं? यदि वे मिल गए तो
मानव के साथ कैसा व्यवहार करेंगे?
सातवां रहस्य...
7. गति का रहस्य : गति
ने ही मानव का जीवन बदला है और गति ही बदल रही है। बैलगाड़ी और घोड़े से
उतरकर व्यक्ति साइकल पर सवार हुआ। फिर बाइक पर और अब विमान में सफर करने
लगा। पहले 100 किलोमीटर का सफर तय करने के लिए 2 दिन लगते थे अब 2 घंटे में
100 किलोमीटर पहुंच सकते हैं। रफ्तार ने व्यक्ति की जिंदगी बदल दी। पहले
पत्र को 400 किलोमीटर पहुंचने में पूरा 1 हफ्ता लगता था अब मेल करेंगे तो 4
सेकंड में 6 हजार किलोमीटर दूर बैठे व्यक्ति को मिल जाएगी। मोबाइल करेंगे
तो 1 सेकंड में वह आपकी आवाज सुन लेगा। तो कहने का मतलब यह है कि गति का
जीवन में बहुत महत्व है। इस गति के कारण ही पहले मानव का भविष्य कुछ और था
लेकिन अब भविष्य बदल गया है।
मानव चाहता है प्रकाश की गति से यात्रा
करना : आकाश में जब बिजली चमकती है तो सबसे पहले हमें बिजली की चमक दिखाई
देती है और उसके बाद ही उसकी गड़गड़ाहट सुनाई देती है। इसका मतलब यह कि
प्रकाश की गति ध्वनि की गति से तेज है। वैज्ञानिकों ने ध्वनि की गति तो
हासिल कर ली है लेकिन अभी प्रकाश की गति हासिल करना जरा टेढ़ी खीर है।
बहुत सी ऐसी मिसाइलें हैं जिनकी मारक
क्षमता ध्वनि की गति से भी तेज है। ऐसे भी लड़ाकू विमान हैं, जो ध्वनि की
गति से भी तेज उड़ते हैं। लेकिन मानव चाहता है कि ध्वनि की गति से कार चले,
बस चले और ट्रेन चले। हालांकि इसमें वह कुछ हद तक सफल भी हुआ है और अब
इच्छा है कि प्रकाश की गति से चलने वाला अंतरिक्ष विमान हो।
प्रकाश की गति इतनी ज्यादा होती है कि यह
लंदन से न्यूयॉर्क की दूरी को 1 सेकंड में 50 से ज्यादा बार तय कर लेगी।
यदि ऐसी स्पीड संदेश भेजने में हो तो मंगल ग्रह पर संदेश भेजने में 12.5
मिनट लगेंगे। अब यदि हमें मंगल ग्रह पर जाकर लौटना है तो प्रकाश की गति ही
हासिल करना होगी अन्यथा जा तो सकते हैं लेकिन लौटने की कोई गारंटी नहीं। अब
आप जोड़ सकते हैं कि 22 करोड़ किलोमीटर दूर जाने में कितना समय लगेगा यदि
हम 1,000 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से जाएं तो...।
क्या है प्रकाश की गति : अंतरिक्ष जैसी
शून्यता में प्रकाश की एकदम सही गति 2,99,792.458 किलोमीटर प्रति सेकंड है।
ऋग्वेद में सूर्य की प्रकाश की गति लगभग इतनी ही बताई गई है। सूर्य से
पृथ्वी की औसत दूरी लगभग 14,96,00,000 किलोमीटर या 9,29,60,000 मील है तथा
सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुंचने में 8 मिनट 16.6 सेकंड का समय लगता
है।
एक वर्ष में प्रकाश द्वारा तय की जाने
वाली दूरी को एक प्रकाश वर्ष कहते हैं। एक प्रकाश वर्ष का मतलब होता है
लगभग 9,500 अरब किलोमीटर। यह होती है प्रकाश की गति।
आठवां रहस्य...
जीवन की शुरुआत : धरती
पर जीवन की शुरुआत कब और कैसे हुई? किसने की या यह कि यह क्रमविकास का
परिणाम है? ये कुछ सवाल जिनके जवाब अभी भी ढूंढे जा रहे हैं। सवाल यह भी है
कि यह शुरुआत पृथ्वी पर ही क्यों हुई? कई शोध बताते हैं कि मनुष्य का
विकास जटिल अणुओं के विघटन और सम्मिलन से हुआ होगा, लेकिन सारे जवाब अभी
नहीं मिले हैं।
हालांकि चार्ल्स डार्विन के सिद्धांत में
त्रुटी है तो महर्षि अरविंद का सिद्धांत तार्किक ही है। लेकिन विज्ञान आज
भी डार्विन के सिद्धांत को मानने को मजबूर है, लेकिन अब कुछ वैज्ञानिक कहते
हैं कि हमारी धरती पर जीवन की शुरुआत परग्रही लोगों ने की है जिन्हें आजकल
एलियन कहा जाता है। डीएनए कोड पर अभी रिसर्च जारी है।
पश्चिमी धर्म कहता है कि मानव की उत्पत्ति
ईश्वर ने की। उसने पहले आदम को बनाया फिर उसकी ही छाती की एक पसली से
हव्वा को। जबकि पूर्वी धर्मों के पास दो तरह के सिद्धांत है पहला यह कि
मानव की रचना ईश्वर ने की और दूसरी की आठ तत्वों से संपूर्ण संसार की
क्रमश: रचना हुई। उक्त आठ तत्वों में पंच तत्व क्रमश: है आकाश, वायु,
अग्नि, जल और धरती।
नौवां सिद्धांत...
नौवां सिद्धांत...
डार्क मैटर : अंतरिक्ष
में 80 फीसदी से ज्यादा पदार्थ दिखाई नहीं देता इसे डार्क मैटर कहते हैं।
वैज्ञानिक अभी तक इसकी खोज में लगे हुए हैं। आज तक यह रहस्य बना हुआ है कि
डार्क मैटर किस चीज से बना है।
दसवां रहस्य...
दसवां रहस्य...
कैसे काम करता है गुरुत्वाकर्षण : न्यूटन
ने यह तो कह दिया की धरती में गुरुत्वाकर्षण बल है जिसके कारण चीजें टीकी
रहती है लेकिन यह बल कहां से आया, कैसे काम करता है यह नहीं बताया। हालांकि
न्यूटन से पहले भास्कराचार्य ने भी गुरुत्वाकर्षण बल की चर्चा की लेकिन
उन्होंने भी यह नहीं बताया कि यह बल काम कैसे करता है।
पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल उसे सूर्य के
कक्ष में स्थिर रखता है अन्यथा पृथ्वी किसी अंधकार में खो जाती। चंद्रमाका
गुरुत्वबल धरती पर फैला समुद्र है। लेकिन यह गुरुत्वाकर्षण बल असल में कहां
से आया, वैज्ञानिक इसे पूरी तरह से स्पष्ट नहीं कर पाए हैं। यह
गुरुत्वाकर्षण अन्य कणों के गुरुत्व केंद्र के साथ कैसे संतुलन बनाता है?
खगोल विज्ञान को वेद का नेत्र कहा गया,
क्योंकि सम्पूर्ण सृष्टियों में होने वाले व्यवहार का निर्धारण काल से होता
है और काल का ज्ञान ग्रहीय गति से होता है। अत: प्राचीन काल से खगोल
विज्ञान वेदांग का हिस्सा रहा है। ऋग्वेद, शतपथ ब्राहृण आदि ग्रथों में
नक्षत्र, चान्द्रमास, सौरमास, मल मास, ऋतु परिवर्तन, उत्तरायन, दक्षिणायन,
आकाशचक्र, सूर्य की महिमा, कल्प का माप आदि के संदर्भ में अनेक उद्धरण
मिलते हैं।
2 comments :
मेरा नाम राजेंद्र है मुझे दुनिया के 10 रहस्यों में सातवें रहस्य में पहरा 5 सूर्य के प्रकाश की गति के रहस्य में अधिक दिल चस्पी आई मैं इस रहस्य को सुलझा सकता हूँ।
मैं यह जाजना चाहता हूँ कि यह कैसे प्रमाणित किया गया की सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुंचने में 8 मिनट 16.6 सेकंड का समय लगता है?
Aapne bahut accha Post Likha Hai
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