Thursday, July 16, 2015

भविष्य पुराण की अचूक भविष्यवाणियाँ..

वेद अनादि है जिन्हें जगतपिता ब्रह्मा द्वारा रचा गया था। किन्तु वेद की भाषा और मर्म को ‘पुराणों’ के बगैर समझना नामुमकिन है। ये पुराण भारतीय ज्ञान-विज्ञान,परंपरा और महानतम संस्कृति के सबसे महत्वपूर्ण स्तोत्र हैं। महर्षि वेदव्यास ने जनमानस के कल्याणार्थ ब्रह्मा द्वारा मौलिक रूप से रचित,पुराण का पुनर्लेखन और सम्पादन किया और इसके श्लोकों की संख्या सौ करोड़ से घटाकर चार लाख तक सीमित कर दिया। महर्षि वेदव्यास जी द्वारा रचित 18 महापुराणों में से एक ‘पुराण’ है भविष्य पुराण। यह पुराण अन्य सभी पुराणों से सर्वथा भिन्न है। भविष्य पुराण में ढेर सारी ऐसी बातें हैं,जो चमत्कृत करती हैं।
विद्वानों के अनुसार पुराण में मूलतः पचास हजार (५००००) श्लोक विद्यमान थे,परन्तु श्रव्य परम्परा पर निर्भरता और अभिलेखों के लगातार विनष्टीकरण के परिणामस्वरूप वर्तमान में केवल 129 अध्याय और अठ्ठाइस हजार (२८०००) श्लोक ही उपलब्ध रह गये हैं। स्पष्ट है कि अभी भी दुनिया उन अद्‍भुत एवं विलक्षण घटनाओं और ज्ञान से पूर्णतया अनभिज्ञ हैं जो इस पुराण के विलुप्त आधे भाग में वर्णित रही होंगी।
 
भविष्य पुराण के माध्यम पर्व में भारतीय संस्कार, तत्कालीन सामाजिक व्यवस्था, शिक्षा प्रणाली पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है। वस्तुतः भविष्य पुराण सौर प्रधान ग्रन्थ है। सूर्योपासना एवं उसके महत्व का जैसा वर्णन भविष्य पुराण में आता है वैसा कहीं नहीं है। पंच देवों में परिगणित सूर्य की महिमा, उनके स्वरूप, परिवार, उपासना पद्धति आदि का बहुत विचित्र वर्णन है। इस पावन पुराण में श्रवण करने योग्य बहुत ही अद्भूत कथायें, वेदों एवं पुराणों की उत्पत्ति, काल-गणना, युगों का विभाजन, सोलह-संस्कार, गायत्री जाप का महत्व, गुरूमहिमा, यज्ञ कुण्डों का वर्णन, मन्दिर निर्माण आदि विषयों का विस्तार से वर्णन है।
The Bhavishya Purana has a reference regarding someone named Mahamada, which some people are very eager to make the claim that it means Prophet Mohammed, thus saying that the Prophet is predicted in the Vedic literature. But before we come to that conclusion, with additional research, let us take a closer look to see what the full reference to Mahamada really says. It is explained in the Bhavishya Purana (Parva 3, Khand 3, Adhya 3, verses 5-6) that "An illiterate mleccha [foreigner] teacher will appear, Mahamada is his name, and he will give religion to his fifth-class companions." This does not describe much in regard to his life, but it does mention someone by the name of Mahamada, and what he was expected to do, which was to give his own form of religion to the lower classes of his region. Some people suggest this person to be Prophet Mohammed, and are, thus, most willing to accept that Prophet Mohammed was predicted in the Bhavishya Purana. Some Muslims then suggest that if he was predicted in this way by a Vedic text, then Hindus should all accept Mohammed and become Muslims. However, on the other hand, it would seem odd that Muslims would accept a Vedic text to try to convince Hindus to become Muslims. But if we look at the full translation of this story, they may not want to jump to the conclusion that this story represents Prophet Mohammed.
The Bhavishya Purana has a reference regarding someone named Mahamada, which some people are very eager to make the claim that it means Prophet Mohammed, thus saying that the Prophet is predicted in the Vedic literature. But before we come to that conclusion, with additional research, let us take a closer look to see what the full reference to Mahamada really says.
It is explained in the Bhavishya Purana (Parva 3, Khand 3, Adhya 3, verses 5-6) that “An illiterate mleccha [foreigner] teacher will appear, Mahamada is his name, and he will give religion to his fifth-class companions.” This does not describe much in regard to his life, but it does mention someone by the name of Mahamada, and what he was expected to do, which was to give his own form of religion to the lower classes of his region. Some people suggest this person to be Prophet Mohammed, and are, thus, most willing to accept that Prophet Mohammed was predicted in the Bhavishya Purana. Some Muslims then suggest that if he was predicted in this way by a Vedic text, then Hindus should all accept Mohammed and become Muslims. However, on the other hand, it would seem odd that Muslims would accept a Vedic text to try to convince Hindus to become Muslims. But if we look at the full translation of this story, they may not want to jump to the conclusion that this story represents Prophet Mohammed.
कई हजार साल पहले रचे गये इस पुराण के प्रतिसर्ग पर्व में ईसा के २००० वर्षों की अचूक भविष्यवाणियाँ हैं। इसकी विषय सामग्री देखकर मन बेहद आश्चर्य से भर उठता है। भविष्य के गर्भ में दबे घटना्क्रम और राजाओं, सन्तों, महात्माओं और मनीषियों के बारे में इतना सटीक वर्णन अचम्भित कर देता है। इसमें नन्द वंश एवं मौर्य वंश के साथ-साथ शंकराचार्य, तैमूर, बाबर हुमायूँ, अकबर, औरंगजेब, पृथ्वीराज चौहान तथा छत्रपति शिवाजी के बारे में बताया गया है। सन्‌ 1857 में इंग्लैण्ड की महारानी विक्टोरिया के भारत की साम्राज्ञी बनने और आंग्ल भाषा के प्रसार से भारतीय भाषा संस्कृत के विलुप्त होने की भविष्यवाणी भी इस ग्रन्थ में की गयी है। महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित इस पुराण को इसीलिए भविष्य का दर्पण भी कहा गया है।
रविवारे च सण्डे च फाल्गुनी चैव फरवरी। षष्टीश्च सिस्कटी ज्ञेया तदुदाहार वृद्धिश्म् ।। (भविष्य पुराण प्रतिसर्ग पर्व)
इस श्लोक में बताया गया है की भविष्य में अर्थात आंग्ल युग में जब संस्कृत भाषा का लोप हो जाएगा। तब रविवार को ‘सण्डे’, फाल्गुन महीने को ‘फरवरी’ और षष्टी को सिक्स कहा जाएगा।
जीसस और इस्लाम की भी है भविष्यवाणी –
पुराण में द्वापर और कलियुग के राजा तथा उनकी भाषाओं के साथ-साथ विक्रम बेताल तथा बेताल पच्चीसी की कथाओं का विवरण भी है। सत्य नारायण की कथा भी इसी पुराण से ली गयी है। इस पुराण में ऐतिहासिक व आधुनिक घटनाओं का सुन्दर मिश्रण किया गया है। ईसा मसीह का जन्म, उनकी भारत-यात्रा, मुहम्मद साहब के अरब में आविर्भाव का अचूक वर्णन किया गया है। पुराण की भाषा यद्यपि ‘कोडेड’ है। यहाँ महर्षि ने मोहम्मद को ‘महामद’ कहा है।
इससे पता चलता है की व्यास जी की दृष्टि वाकई इतनी दिव्य थी कि उन्होंने भविष्य में घटित होने वाली सभी गतिविधियों को उन्होंनें पहले ही इस पुराण में लिपि बद्ध कर लिया।

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