इसी के साथ महाभारत युद्ध के कई ऐसे रहस्य भी हैं जिन्हें अभी तक सुलझाया नहीं गया है। उन्हीं रहस्यों में से एक हम आपके लिए खोज लाए हैं। कहते हैं कि महाभारत युद्ध में 18 संख्या का बहुत महत्व है।
आइए जानते हैं इस संख्या के महत्व और रहस्य को..
मालूम हो कि गीता महाभारत ग्रंथ का एक हिस्सा है।
ऋषि वेदव्यास ने महाभारत ग्रंथ की रचना की जिसमें कुल 18 पर्व हैं- आदि पर्व, सभा पर्व, वन पर्व, विराट पर्व, उद्योग पर्व, भीष्म पर्व, द्रोण पर्व, अश्वमेधिक पर्व, महाप्रस्थानिक पर्व, सौप्तिक पर्व, स्त्री पर्व, शांति पर्व, अनुशासन पर्व, मौसल पर्व, कर्ण पर्व, शल्य पर्व, स्वर्गारोहण पर्व तथा आश्रम्वासिक पर्व।
मालूम हो कि ऋषि वेदव्यास ने 18 पुराण भी रचे हैं।
कौरव-पांडवों की सेना और उनके योद्धाओं की संख्या...
इस युद्ध के प्रमुख सूत्रधार भी 18 थे जिनके नाम इस प्रकार हैं- धृतराष्ट्र, दुर्योधन, दुशासन, कर्ण, शकुनि, भीष्म, द्रोण, कृपाचार्य, अश्वस्थामा, कृतवर्मा, श्रीकृष्ण, युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव, द्रौपदी एवं विदुर।
18 की संख्या का अंतिम आश्चर्य यह है कि महाभारत के युद्ध के पश्चात कौरवों की तरफ से 3 और पांडवों के तरफ से 15 यानी कुल 18 योद्धा ही जीवित बचे थे। सवाल यह उठता है कि सब कुछ 18 की संख्या में ही क्यों होता गया? क्या यह संयोग है या इसमें कोई रहस्य छिपा है?
।।जय हिंदुत्व।। ।।जय श्रीराम।। ।।जय महाकाल।। ।।जय श्रीकृष्ण।।
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