हनुमानजी की जन्म कथा
हनुमानजी का जन्म कल्पभेद से कोई भक्त चैत्र सुद 1 मघा नक्षत्र को मानते हैं। कोई कारतक वद 14, कोई कारतक सुद 15 को मानते हैं। कुछ चैत्र माह की पूर्णिमा को उनके जन्म का समय मानते हैं और कुछ कार्तिक, कृष्ण चतुर्दशी की महानिशा को, लेकिन ज्यादातर जगह चैत्र माह की पूर्णिमा को मान्यता मिली हुई है।
हनुमानजी की जन्मतिथि को लेकर मतभेद हैं। कुछ हनुमान जयन्ती की तिथि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी मानते हैं तो कुछ चैत्र शुक्ल पूर्णिमा। इस विषय में ग्रंथों में दोनों के ही उल्लेख मिलते हैं, किंतु इनके कारणों में भिन्नता है। पहला जन्मदिवस है और दूसरा विजय अभिनन्दन महोत्सव।
हनुमानजी के जन्म स्थान से जुड़ी पहली मान्यता...
डांग जिला आदिवासियों का क्षेत्र है। आजकल यहां ईसाई मिशनरी सक्रिय है। हालांकि आदिवासियों के प्रमुक देव राम हैं। आदिवासी मानते हैं कि भगवान राम वनवास के दौरान पंचवटी की ओर जाते समय डांग प्रदेश से गुजरे थे। डांग जिले के सुबिर के पास भगवान राम और लक्ष्मण को शबरी माता ने बेर खिलाए थे। शबरी भील समाज से थी। आज यह स्थल शबरी धाम नाम से जाना जाता है।
शबरी धाम से लगभग 7 किमी की दूरी पर पूर्णा नदी पर स्थित पंपा सरोवर है। यहीं मातंग ऋषि का आश्रम था। डांग जिले के आदिवासियों की सबसे प्रबल मान्यता यह भी है कि डांग जिले के अंजना पर्वत में स्थित अंजनी गुफा में ही हनुमानजी का जन्म हुआ था।
हनुमानजी के जन्मस्थान से जुड़ी दूसरी मान्यता...
पुराणों के अनुसार इसे वानर राज हनुमान का जन्म स्थान माना जाता है। कपि के राजा होने के कारण हनुमानजी के पिता को कपिराज कहा जाता था।
कैथल में पर्यटक ऐतिहासिक और पौराणिक कथाओं से जुड़े अवशेष भी देखे जा सकते हैं। इसके अलावा यहां पर हनुमानजी की माता अंजनी का एक प्राचीन मंदिर भी और अजान किला भी।
हनुमानजी के जन्मस्थान से जुड़ी तीसरी मान्यता....
यह क्षेत्र में रामायण काल में दंडकारण्यण क्षेत्र का हिस्सा था। यहीं पर पंपा सरोवर हैं जहां राम और लक्ष्मण ने रुककर जल ग्रहण किया था।
जंगल और पहाड़ों में से घिरे इस आंजन गांव में एक अति प्राचीन गुफा है। यह गुफा पहाड़ की चोटी पर स्थित है। माना जाता है कि यहीं पर माता अंजना और पिता केसरी रहते थे। यहीं पर हनुमानजी का जन्म हुआ था। गुफा का द्वार बड़े पत्थरों से बंद है लेकिन छोटे छिद्र से आदिवासी लोग उस स्थान के दर्शन करते हैं और अक्षत व पुष्प चढ़ाते हैं। लेकिन कुछ लोग मानते हैं कि यह स्थान माता अंजना के जन्म से जुड़ा है।
जानिए क्यों बंद हुआ इस गुफा का द्वार...
गुफा का रहस्य..
मान्यता अनुसार इस गुफा के आंजन पहाड़ पर रामायण काल में ऋषि-मुनियों ने सप्त जनाश्रम स्थापित किए थे।
यहां सात जनजातियां निवास करतीं थीं- 1.शबर, 2.वानर, 3.निषाद्, 4.गृद्धख् 5.नाग, 6.किन्नर व 7.राक्षस।
जनाश्रम के प्रभारी थे- अगस्त्य, अगस्त्यभ्राता, सुतीक्ष्ण, मांडकणि, अत्रि, शरभंग व मतंग। यहां छोटानागपुर में दो स्थानों पर आश्रम है- एक आंजन व दूसरा टांगीनाथ धाम है।
।।जय हिंदुत्व।। ।।जय श्रीराम।। ।।जय महाकाल।। ।।जय श्रीकृष्ण।।
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