पूजा तो सब करते हैं परन्तु यदि इन नियमों को ध्यान में
रखा जाये तो उसी पूजा पथ का हम फल प्राप्त कर
सकते हैं, वे
नियम कुछ इस प्रकार हैं
1 सूर्य, गणेश,दुर्गा,शिव एवं विष्णु ये पांच देव कहलाते हैं.
इनकी पूजा सभी कार्यों में गृहस्थ
आश्रम में नित्य
होनी चाहिए. इससे धन,लक्ष्मी और सुख
प्राप्त होता है.
2 गणेश जी और भैरवजी को
तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए.
3 दुर्गा जी को दूर्वा नहीं
चढ़ानी चाहिए.
4 सूर्य देव को शंख के जल से अर्घ्य नहीं देना
चाहिए.
5 तुलसी का पत्ता बिना स्नान किये नहीं
तोडना चाहिए.
जो लोग बिना स्नान किये तोड़ते हैं,उनके
तुलसी पत्रों को भगवान स्वीकार
नहीं करते हैं.
6 रविवार,एकादशी,द्वादशी ,संक्रान्ति तथा
संध्या काल में
तुलसी नहीं तोड़नी चाहिए
7 दूर्वा( एक प्रकार की घास) रविवार
को नहीं तोड़नी चाहिए.
8 केतकी का फूल शंकर जी को
नहीं चढ़ाना चाहिए.
९ कमल का फूल पाँच रात्रि तक उसमें जल छिड़क कर चढ़ा सकते
हैं.
10 बिल्व पत्र दस रात्रि तक जल छिड़क कर चढ़ा सकते हैं
.11 तुलसी की पत्ती को
ग्यारह रात्रि तक जल छिड़क कर
चढ़ा सकते हैं.
12 हाथों में रख कर हाथों से फूल नहीं चढ़ाना चाहिए.
13 तांबे के पात्र में चंदन नहीं रखना चाहिए.
14 दीपक से दीपक नहीं
जलाना चाहिए जो दीपक से दीपक
जलते हैं वो रोगी होते हैं.
15 पतला चंदन देवताओं को नहीं चढ़ाना चाहिए.
16 प्रतिदिन की पूजा में मनोकामना की
सफलता के लिए
दक्षिणा अवश्य चढ़ानी चाहिए. दक्षिणा में अपने
दोष,दुर्गुणों को छोड़ने का संकल्प लें, अवश्य
सफलता मिलेगी और मनोकामना पूर्ण होगी.
17 चर्मपात्र या प्लास्टिक पात्र में गंगाजल
नहीं रखना चाहिए.
18 स्त्रियों और शूद्रों को शंख नहीं बजाना चाहिए यदि
वे
बजाते हैं तो लक्ष्मी वहां से चली
जाती है.
19 देवी देवताओं का पूजन दिन में पांच बार करना
चाहिए.
सुबह 5 से 6 बजे तक ब्रह्म बेला में प्रथम पूजन और
आरती होनी चाहिए. प्रात:9 से 10 बजे
तक दिवितीय पूजन
और आरती होनी चाहिए,मध्याह्र में
तीसरा पूजन और
आरती,फिर शयन करा देना चाहिए शाम को चार से पांच
बजे
तक चौथा पूजन और आरती होना चाहिए,रात्रि में 8 से
9 बजे
तक पाँचवाँ पूजन और आरती,फिर शयन करा देना
चाहिए.
20 आरती करने वालों को प्रथम चरणों की
चार
बार,नाभि की दो बार और मुख की एक या
तीन बार और
समस्त अंगों की सात बार आरती
करनी चाहिए
21 पूजा हमेशा पूर्व या उतर की ओर मुँह करके
करनी चाहिए,
हो सके तो सुबह 6 से 8 बजे के बीच में करें
22 पूजा जमीन पर ऊनी आसन पर
बैठकर ही करनी चाहिए,
पूजागृह में सुबह एवं शाम को दीपक,एक
घी का और एक तेल
का रखें.
23 पूजा अर्चना होने के बाद उसी जगह पर खड़े
होकर 3
परिक्रमाएँ करें.
24 पूजाघर में मूर्तियाँ 1 ,3 , 5 , 7 , 9 ,11 इंच तक
की होनी चाहिए, इससे बड़ी
नहीं तथा खड़े हुए गणेश
जी,सरस्वतीजी
,लक्ष्मीजी, की मूर्तियाँ घर में
नहीं होनी चाहिए.
25 गणेश या देवी की प्रतिमा
तीन तीन, शिवलिंग
दो,शालिग्राम दो,सूर्य प्रतिमा दो,गोमती चक्र
दो की संख्या में कदापि न रखें.अपने मंदिर में सिर्फ
प्रतिष्ठित मूर्ति ही रखें उपहार,काँच,
लकड़ी एवं फायबर
की मूर्तियां न रखें एवं खण्डित,
जलीकटी फोटो और
टूटा काँच तुरंत हटा दें, यह अमंगलकारक है एवं इनसे
विपतियों का आगमन होता है.
26 मंदिर के ऊपर भगवान के वस्त्र, पुस्तकें एवं आभूषण आदि
भी न
रखें मंदिर में पर्दा अति आवश्यक है अपने पूज्य माता --
पिता तथा पित्रों का फोटो मंदिर में कदापि न रखें,उन्हें घर
के नैऋत्य कोण में स्थापित करें .
27 विष्णु की चार, गणेश की
तीन,सूर्य की सात, दुर्गा की
एक
एवं शिव की आधी परिक्रमा कर सकते हैं
28 प्रत्येक व्यक्ति को अपने घर में कलश स्थापित करना चाहिए
कलश जल से पूर्ण, श्रीफल से युक्त विधिपूर्वक
स्थापित करें
यदि आपके घर में श्रीफल कलश उग जाता है तो वहाँ
सुख एवं
समृद्धि के साथ स्वयं लक्ष्मी जी नारायण
के साथ निवास
करती हैं तुलसी का पूजन भी
आवश्यक है
29 मकड़ी के जाले एवं दीमक से घर को
सर्वदा बचावें अन्यथा घर
में भयंकर हानि हो सकती है
30 घर में झाड़ू कभी खड़ा कर के न रखें झाड़ू लांघना,
पाँवसे
कुचलना भी दरिद्रता को निमंत्रण देना है दो झाड़ू
को भी एक ही स्थान में न रखें इससे
शत्रु बढ़ते हैं
31 घर में किसी परिस्थिति में जूठे बर्तन न रखें.
क्योंकि शास्त्र कहते हैं कि रात में
लक्ष्मीजी घर
का निरीक्षण करती हैं यदि जूठे बर्तन
रखने
ही हो तो किसी बड़े बर्तन में उन बर्तनों
को रख कर उनमें
पानी भर दें और ऊपर से ढक दें तो दोष निवारण हो
जायेगा
32 कपूर का एक छोटा सा टुकड़ा घर में नित्य अवश्य
जलाना चाहिए,जिससे वातावरण अधिकाधिक शुद्ध हो:
वातावरण में धनात्मक ऊर्जा बढ़े.
33 घर में नित्य घी का दीपक जलावें और
सुखी रहें
34 घर में नित्य गोमूत्र युक्त जल से पोंछा लगाने से घर में
वास्तुदोष समाप्त होते हैं तथा दुरात्माएँ
हावी नहीं होती हैं
35 सेंधा नमक घर में रखने से सुख श्री
(लक्ष्मी)
की वृद्धि होती है
36 रोज पीपल वृक्ष के स्पर्श से शरीर
में रोग प्रतिरोधकता में
वृद्धि होती है
37 साबुत धनिया,हल्दी की पांच गांठें,11
कमलगट्टे
तथा साबुत नमक एक थैली में रख कर
तिजोरी में रखने से बरकत
होती है श्री (लक्ष्मी) व
समृद्धि बढ़ती है.
38 दक्षिणावर्त शंख जिस घर में होता है,उसमे साक्षात
लक्ष्मी एवं शांति का वास होता है वहाँ मंगल
ही मंगल होते
हैं पूजा स्थान पर दो शंख नहीं होने चाहिएँ.
39 घर में यदा कदा केसर के छींटे देते रहने से वहां
धनात्मक
ऊर्जा में वृद्धि होती है पतला घोल बनाकर आम्र पत्र
अथवा पान के पते की सहायता से केसर के
छींटे लगाने चाहिएँ.
40 एक मोती शंख,पाँच गोमती चक्र,
तीन हकीक पत्थर,एक
ताम्र सिक्का व थोड़ी सी नागकेसर एक
थैली में भरकर घर में
रखें श्री (लक्ष्मी) की वृद्धि
होगी.
41 आचमन करके जूठे हाथ सिर के पृष्ठ भाग में कदापि न
पोंछें,इस
भाग में अत्यंत महत्वपूर्ण कोशिकाएँ होती हैं.
42 घर में पूजा पाठ व मांगलिक पर्व में सिर पर टोपी व
पगड़ी पहननी चाहिए,रुमाल विशेष कर
सफेद रुमाल शुभ
नहीं माना जाता है...
।।जय हिंदुत्व।। ।।जय श्रीराम।। ।।जय महाकाल।।
रखा जाये तो उसी पूजा पथ का हम फल प्राप्त कर
सकते हैं, वे
नियम कुछ इस प्रकार हैं
1 सूर्य, गणेश,दुर्गा,शिव एवं विष्णु ये पांच देव कहलाते हैं.
इनकी पूजा सभी कार्यों में गृहस्थ
आश्रम में नित्य
होनी चाहिए. इससे धन,लक्ष्मी और सुख
प्राप्त होता है.
2 गणेश जी और भैरवजी को
तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए.
3 दुर्गा जी को दूर्वा नहीं
चढ़ानी चाहिए.
4 सूर्य देव को शंख के जल से अर्घ्य नहीं देना
चाहिए.
5 तुलसी का पत्ता बिना स्नान किये नहीं
तोडना चाहिए.
जो लोग बिना स्नान किये तोड़ते हैं,उनके
तुलसी पत्रों को भगवान स्वीकार
नहीं करते हैं.
6 रविवार,एकादशी,द्वादशी ,संक्रान्ति तथा
संध्या काल में
तुलसी नहीं तोड़नी चाहिए
7 दूर्वा( एक प्रकार की घास) रविवार
को नहीं तोड़नी चाहिए.
8 केतकी का फूल शंकर जी को
नहीं चढ़ाना चाहिए.
९ कमल का फूल पाँच रात्रि तक उसमें जल छिड़क कर चढ़ा सकते
हैं.
10 बिल्व पत्र दस रात्रि तक जल छिड़क कर चढ़ा सकते हैं
.11 तुलसी की पत्ती को
ग्यारह रात्रि तक जल छिड़क कर
चढ़ा सकते हैं.
12 हाथों में रख कर हाथों से फूल नहीं चढ़ाना चाहिए.
13 तांबे के पात्र में चंदन नहीं रखना चाहिए.
14 दीपक से दीपक नहीं
जलाना चाहिए जो दीपक से दीपक
जलते हैं वो रोगी होते हैं.
15 पतला चंदन देवताओं को नहीं चढ़ाना चाहिए.
16 प्रतिदिन की पूजा में मनोकामना की
सफलता के लिए
दक्षिणा अवश्य चढ़ानी चाहिए. दक्षिणा में अपने
दोष,दुर्गुणों को छोड़ने का संकल्प लें, अवश्य
सफलता मिलेगी और मनोकामना पूर्ण होगी.
17 चर्मपात्र या प्लास्टिक पात्र में गंगाजल
नहीं रखना चाहिए.
18 स्त्रियों और शूद्रों को शंख नहीं बजाना चाहिए यदि
वे
बजाते हैं तो लक्ष्मी वहां से चली
जाती है.
19 देवी देवताओं का पूजन दिन में पांच बार करना
चाहिए.
सुबह 5 से 6 बजे तक ब्रह्म बेला में प्रथम पूजन और
आरती होनी चाहिए. प्रात:9 से 10 बजे
तक दिवितीय पूजन
और आरती होनी चाहिए,मध्याह्र में
तीसरा पूजन और
आरती,फिर शयन करा देना चाहिए शाम को चार से पांच
बजे
तक चौथा पूजन और आरती होना चाहिए,रात्रि में 8 से
9 बजे
तक पाँचवाँ पूजन और आरती,फिर शयन करा देना
चाहिए.
20 आरती करने वालों को प्रथम चरणों की
चार
बार,नाभि की दो बार और मुख की एक या
तीन बार और
समस्त अंगों की सात बार आरती
करनी चाहिए
21 पूजा हमेशा पूर्व या उतर की ओर मुँह करके
करनी चाहिए,
हो सके तो सुबह 6 से 8 बजे के बीच में करें
22 पूजा जमीन पर ऊनी आसन पर
बैठकर ही करनी चाहिए,
पूजागृह में सुबह एवं शाम को दीपक,एक
घी का और एक तेल
का रखें.
23 पूजा अर्चना होने के बाद उसी जगह पर खड़े
होकर 3
परिक्रमाएँ करें.
24 पूजाघर में मूर्तियाँ 1 ,3 , 5 , 7 , 9 ,11 इंच तक
की होनी चाहिए, इससे बड़ी
नहीं तथा खड़े हुए गणेश
जी,सरस्वतीजी
,लक्ष्मीजी, की मूर्तियाँ घर में
नहीं होनी चाहिए.
25 गणेश या देवी की प्रतिमा
तीन तीन, शिवलिंग
दो,शालिग्राम दो,सूर्य प्रतिमा दो,गोमती चक्र
दो की संख्या में कदापि न रखें.अपने मंदिर में सिर्फ
प्रतिष्ठित मूर्ति ही रखें उपहार,काँच,
लकड़ी एवं फायबर
की मूर्तियां न रखें एवं खण्डित,
जलीकटी फोटो और
टूटा काँच तुरंत हटा दें, यह अमंगलकारक है एवं इनसे
विपतियों का आगमन होता है.
26 मंदिर के ऊपर भगवान के वस्त्र, पुस्तकें एवं आभूषण आदि
भी न
रखें मंदिर में पर्दा अति आवश्यक है अपने पूज्य माता --
पिता तथा पित्रों का फोटो मंदिर में कदापि न रखें,उन्हें घर
के नैऋत्य कोण में स्थापित करें .
27 विष्णु की चार, गणेश की
तीन,सूर्य की सात, दुर्गा की
एक
एवं शिव की आधी परिक्रमा कर सकते हैं
28 प्रत्येक व्यक्ति को अपने घर में कलश स्थापित करना चाहिए
कलश जल से पूर्ण, श्रीफल से युक्त विधिपूर्वक
स्थापित करें
यदि आपके घर में श्रीफल कलश उग जाता है तो वहाँ
सुख एवं
समृद्धि के साथ स्वयं लक्ष्मी जी नारायण
के साथ निवास
करती हैं तुलसी का पूजन भी
आवश्यक है
29 मकड़ी के जाले एवं दीमक से घर को
सर्वदा बचावें अन्यथा घर
में भयंकर हानि हो सकती है
30 घर में झाड़ू कभी खड़ा कर के न रखें झाड़ू लांघना,
पाँवसे
कुचलना भी दरिद्रता को निमंत्रण देना है दो झाड़ू
को भी एक ही स्थान में न रखें इससे
शत्रु बढ़ते हैं
31 घर में किसी परिस्थिति में जूठे बर्तन न रखें.
क्योंकि शास्त्र कहते हैं कि रात में
लक्ष्मीजी घर
का निरीक्षण करती हैं यदि जूठे बर्तन
रखने
ही हो तो किसी बड़े बर्तन में उन बर्तनों
को रख कर उनमें
पानी भर दें और ऊपर से ढक दें तो दोष निवारण हो
जायेगा
32 कपूर का एक छोटा सा टुकड़ा घर में नित्य अवश्य
जलाना चाहिए,जिससे वातावरण अधिकाधिक शुद्ध हो:
वातावरण में धनात्मक ऊर्जा बढ़े.
33 घर में नित्य घी का दीपक जलावें और
सुखी रहें
34 घर में नित्य गोमूत्र युक्त जल से पोंछा लगाने से घर में
वास्तुदोष समाप्त होते हैं तथा दुरात्माएँ
हावी नहीं होती हैं
35 सेंधा नमक घर में रखने से सुख श्री
(लक्ष्मी)
की वृद्धि होती है
36 रोज पीपल वृक्ष के स्पर्श से शरीर
में रोग प्रतिरोधकता में
वृद्धि होती है
37 साबुत धनिया,हल्दी की पांच गांठें,11
कमलगट्टे
तथा साबुत नमक एक थैली में रख कर
तिजोरी में रखने से बरकत
होती है श्री (लक्ष्मी) व
समृद्धि बढ़ती है.
38 दक्षिणावर्त शंख जिस घर में होता है,उसमे साक्षात
लक्ष्मी एवं शांति का वास होता है वहाँ मंगल
ही मंगल होते
हैं पूजा स्थान पर दो शंख नहीं होने चाहिएँ.
39 घर में यदा कदा केसर के छींटे देते रहने से वहां
धनात्मक
ऊर्जा में वृद्धि होती है पतला घोल बनाकर आम्र पत्र
अथवा पान के पते की सहायता से केसर के
छींटे लगाने चाहिएँ.
40 एक मोती शंख,पाँच गोमती चक्र,
तीन हकीक पत्थर,एक
ताम्र सिक्का व थोड़ी सी नागकेसर एक
थैली में भरकर घर में
रखें श्री (लक्ष्मी) की वृद्धि
होगी.
41 आचमन करके जूठे हाथ सिर के पृष्ठ भाग में कदापि न
पोंछें,इस
भाग में अत्यंत महत्वपूर्ण कोशिकाएँ होती हैं.
42 घर में पूजा पाठ व मांगलिक पर्व में सिर पर टोपी व
पगड़ी पहननी चाहिए,रुमाल विशेष कर
सफेद रुमाल शुभ
नहीं माना जाता है...
।।जय हिंदुत्व।। ।।जय श्रीराम।। ।।जय महाकाल।।
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