उत्तर- उसके गुण अनंत हैं और शब्दों में वर्णन नहीं किये जा सकते । फिर भी कुछ मुख्या गुण इस प्रकार हैं :
1. उसका अस्तित्व है ।
2. वह चेतन है ।
3. वह सब सुखों और आनंद का स्रोत है ।
4. वह निराकार है ।
5. वह अपरिवर्तनीय है ।
6. वह सर्वशक्तिमान है ।
7. वह न्यायकारी है ।
8. वह दयालु है ।
9. वह अजन्मा है ।
10.वह कभी मृत्यु को प्राप्त नहीं होता ।
11. वह अनंत है ।
12. वह सर्वज्ञ, सर्वज्ञाता है ।
13. वह सब से रहित है ।
14. उसका देश अथवा काल की अपेक्षा से कोई आदि अथवा अंत नहीं है ।
15. वह अनुपम है ।
16. वह संपूर्ण सृष्टि का पालन करता है ।
17. वह सृष्टि की उत्पत्ति करता है ।
18. वह सब कुछ जानता है।
19. उसका कभी क्षय नहीं होता, वह सदैव परिपूर्ण है ।
20. उसको किसी का भय नहीं है ।
21. वह शुद्धस्वरूप है ।
22. उसके कोई अभिकर्ता (एजेंट) नहीं है । उसका सभी जीवों के साथ सीधा सम्बन्ध है।
एक मात्र वही उपासना करने के योग्य है, अन्य किसी की सहायता के बिना।
यही एक मात्र विपत्तियों को दूर करने और सुख को पाने का पथ है ।
प्रश्न- तो इसका यह अर्थ है की राम, कृष्ण, दुर्गा और लक्ष्मी के मंदिर और इनकी पूजा करना सब गलत है ?
उत्तर- इसे समझने के लिए उदहारण के तौर पर किसी दूर दराज के गाँव में रहने वाली एक माता को देखिये जिसके बेटे को सांप ने काट लिया है। वो अपने बच्चे की जान बचाने के लिए किसी पास ही के तांत्रिक के पास जाती है न की डॉक्टर के पास। आप उसे सही कहेंगे या गलत ? आज के समय में अधिकतर ईश्वर भक्त चाहे वो कोई भी हों, इसी प्रकार के हैं । उनकी भावनाएं सच्ची हैं और सम्मान के योग्य हैं । लेकिन अज्ञानतावश वो ईश्वर भक्ति का गलत रास्ता चुन लेते हैं । इसका स्पष्ट पता इस बात से ही चल जाता है कि यहाँ तक कि वेदों के बारे में जानने वाले व्यक्ति ही विरले हैं । फिर भी कम से कम कुछ हिन्दू तो हैं ही जो कि इनको सर्वोच्च मानते हैं ।
यही एक मात्र विपत्तियों को दूर करने और सुख को पाने का पथ है ।
प्रश्न- तो इसका यह अर्थ है की राम, कृष्ण, दुर्गा और लक्ष्मी के मंदिर और इनकी पूजा करना सब गलत है ?
उत्तर- इसे समझने के लिए उदहारण के तौर पर किसी दूर दराज के गाँव में रहने वाली एक माता को देखिये जिसके बेटे को सांप ने काट लिया है। वो अपने बच्चे की जान बचाने के लिए किसी पास ही के तांत्रिक के पास जाती है न की डॉक्टर के पास। आप उसे सही कहेंगे या गलत ? आज के समय में अधिकतर ईश्वर भक्त चाहे वो कोई भी हों, इसी प्रकार के हैं । उनकी भावनाएं सच्ची हैं और सम्मान के योग्य हैं । लेकिन अज्ञानतावश वो ईश्वर भक्ति का गलत रास्ता चुन लेते हैं । इसका स्पष्ट पता इस बात से ही चल जाता है कि यहाँ तक कि वेदों के बारे में जानने वाले व्यक्ति ही विरले हैं । फिर भी कम से कम कुछ हिन्दू तो हैं ही जो कि इनको सर्वोच्च मानते हैं ।
अपने पूर्ववर्ती
महापुरुषों के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि यही हो सकती हैं कि हम उनके
गुणों को आत्मसात करके उनके अनुसार शुभ कर्म करें । उदहारण के लिए, हम सब
ओर फैले भ्रष्टाचार, आतंकवाद और अनैतिकता आदि रावणों को देखते हैं । यदि हम
न्यायपूर्वक इनका प्रतिकार करने के लिए एकजुट हो जाएँ और श्री राम के
चरित्र को अपनाये जो छोटो-बड़ो सभी का आदर सम्मान करते थे तो यह श्री राम का
सच्चा गुणगान होगा । इसी प्रकार श्री कृष्णा, दुर्गा, हनुमान आदि के लिए
भी । मैं जीवन भर श्री हनुमान जी का प्रशंसक रहा हूँ और उनका गुणगान करने
का मेरा तरीका ये है कि मैं अपना उच्च नैतिक चरित्र बनाये रखूँ और अपने
शरीर को स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए प्रयास करूँ जिससे कि मैं समाज
की सेवा कर सकूं । हनुमान जी की पूजा करने का मतलब ही क्या है अगर हमारा
शरीर कमजोर हो और पेट ख़राब और फिर भी हम उसमे भारी लड्डू भरते जाएँ !
हालाँकि पूजा करने के इन सब तरीकोण के पीछे जो उद्देश्य है वह वास्तव में
सरहानीय हैं और हम किसी भी संप्रदाय के भक्तों की पवित्र भावनाओं पर
नतमस्तक हैं, किन्तु हमारी कामना है कि सब ईश्वर भक्त पूजा करने का एक ही
तरीका अपना लें वही जो कि श्री राम और श्री कृष्ण ने अपने जीवन में अपनाया
था ।
।।जय हिंदुत्व।। ।।जय श्रीराम।। ।।जय महाकाल।। ।।जय श्रीकृष्ण।।
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