Wednesday, June 24, 2015

अनचाहे यौन विचार – नियंत्रित एवं नष्ट कैसे करें ?

अनचाहे यौन विचार – नियंत्रित एवं नष्ट कैसे करें ?


जो समस्याएं शारीरिक तथा मानसिक स्तर पर दिखाई देती हैं; परंतु जिनका मूल कारण आध्यात्मिक आयाम में होता है, ऐसी समस्याओं के संदर्भ में हमारे पाठकों को कुछ दिशा मिले, इस हेतु SSRF ऐसे उदाहरणों संबंधी विवेचन प्रकाशित करता है । जब समस्या का मूल कारण आध्यात्मिक आयाम में होता है, हमारा अनुभव है कि आध्यात्मिक उपचार करने से अधिक लाभ मिलता है । शारीरिक तथा मानसिक समस्याओं पर आध्यात्मिक उपचारों के साथ अपने मतानुसार नियमित (पारंपारिक) चिकित्सकीय उपचार भी करते रहने का अनुरोध SSRF करता है ।

सार

यह उदाहरण लुईस नामक व्यक्ति का है, जो अब ३९ वर्ष का है । यह व्यक्ति अपनी किशोरावस्था से ही यौन विचारों से ग्रस्त था । इसका प्रत्यक्ष कारण था, डायन द्वारा आविष्ट होना । उस व्यक्ति को यौन स्तर पर अनुभव करने के लिए यह डायन उस व्यक्ति के मन में वैसे विचार लाती थी । अंततः यह समस्या आध्यात्मिक उपचारों से ठीक हुई ।

१. अत्यधिक यौन विचारों की समस्या का वृत्तांत

लुईस के अपने शब्दों में इन अत्यधिक लैंगिक विचारों की कहानी इस प्रकार है ।
[लुईस कोई वास्तविक नाम नहीं है । व्यक्तिगत गोपनीयता के लिए यह रखा गया है]
पूरे जीवन में मुझे स्त्रियों के प्रति बहुत आकर्षण रहा । मैं सदैव सुंदर स्त्रियों के बारे में सोचता रहता था । उन्हें देखने, उनसे बातें करने और उनके सान्निध्य में रहने में मेरी रूचि थी । अपनी ये इच्छाएं पूर्ण करने के लिए मैं सदैव मॉडल्स, अभिनेत्रियों और विख्यात गायिकाओं के साथ रहता और उनके छायाचित्र खींचता था । मेरा कक्ष ऐसी सुंदर स्त्रियों के सैंकडों छायाचित्रों से भरा रहता था ।
यौन विचारों का मेरे काम पर प्रभाव पडता था । मन एकाग्र करने में मुझे कठिनाई होती थी और प्रायः मेरा ध्यान विचलित होता था । यौन विषय से संबंधित कुछ विलक्षण स्वप्नवत कल्पना से ही मेरा दिन समाप्त होता था । काम में मन एकाग्र करने के प्रयास करने पर भी विचार आते ही रहते थे और अंत में मैं उससे पराजित हो जाता था । इन विचारों से संघर्ष करना एक युद्धसमान ही था ।
विरोधाभास यह था कि यद्यपि मैं स्त्रियों के बारे में कल्पना करते रहता था, उनसे बात करते समय मैं सदैव उनके साथ सभ्यता से व्यवहार करता था । उनके प्रति मुझे अत्यधिक आदर लगता था । मेरे मन में आनेवाली यौन कुकल्पनाओं से मेरी सहयोगी स्त्रियों के मन को ठेस न पहुंचे इसलिए मैंने अपनी ओर से बहुत प्रयत्न किए । मेरे व्यक्तित्व में दिखाई देनेवाले इस अंतर को देखकर मेरी बुद्धि कुंठित हो जाती और मैं असमंजस में पड जाता था ।
कभी-कभी मैं एक रात्रीय यौन संबंधों में खिंच जाता । एक बार जब मैं विदेश यात्रा पर गया था, एक युवा स्त्री के साथ मैंने कुछ दिनोंतक यौन संबंध रखे थे । यात्रा से लौटने पर इस बात के कारण मुझे अपनेआपसे घृणा होने लगी । स्वयं को एकांत में रहना अनिवार्य कर मैंने इस भावना को नष्ट करने का प्रयत्न किया । ऐसे में मन को स्थिर करने के लिए मैं पवित्र बाइबिल पढता था । ऐसी स्थितियों में एकांत में रहने पर मुझे अच्छा लगता था । यौन विचारों पर मेरा कोई नियंत्रण नहीं था । इससे मैं उन विचारों तथा अपनेआप से घृणा करता था । अंत में स्त्रियों से किसी भी प्रकार के यौन संबंध रखने से मैं अपनेआप को कई बार महिनोंतक दूर रखता था ।
मेरा एक मित्र, जो Spiritual Science Research Foundation (SSRF)  के मार्गदर्शनानुसार साधना करता था, उसने मुझे मेरे धर्म के अनुसार नामजप करने को कहा । ईसाई होनेके कारण मैंने ईसा मसीह का नामजप करना आरंभ किया । आरंभ में मेरे यौन विचार बढने लगे । मुझे इस बात का आश्चर्य हुआ । ईसा मसीह का नामजप करते रहने पर वे घटते गए । इसके पश्चात जब भी यौन विचार बढने लगते, मैं अधिक एकाग्रता और गति से नामजप आरंभ करता था । मैंने नियमितरूप से नमक मिश्रित जल के उपचार करना आरंभ किया । जब मैं दुर्बल हो जाता और विचार प्रबल हो जाते, तब विशेषरूप से मैं ये उपचार करता था । नमक-पानी के उपचार करने पर यद्यपि विचार पूर्णतः नहीं थमते थे; परंतु अल्प हो जाते थे । यह आश्चर्यजनक था । जीवन में पहली बार मुझे लगा कि इन विचारों का सामना करने और उन्हें नियंत्रण में रखने के लिए मुझे एक अस्त्र मिला है ।

२. लुईस के उदाहरण का सूक्ष्म-स्तरीय परीक्षण

SSRF की संत पू.(कु.)  अनुराधा वाडेकर जिनकी छठवीं इंद्रिय अतिजाग्रत है,  उनके द्वारा किए लुईस के इस उदाहरण के सूक्ष्म-परीक्षण का विश्‍लेषण निम्नानुसार है । हम जिस प्रकार स्थूल विश्‍व को देख पाते हैं, उसी प्रकार वे सूक्ष्म-विश्‍व को देख पाती हैं । व्यक्ति अथवा उसकी स्थिति के बारे में उन्हें कोई जानकारी न होते हुए भी वे निम्न जानकारी प्राप्त कर सकती हैं ।
लुईस का सूक्ष्म-परीक्षण करते समय पू.(कु.) अनुराधा वाडेकर जी ने जो ग्रहण किया उस सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्रांकन निम्नानुसार है ।
विपुल मात्रा में यौन विचार आने का कारण एक डायन थी । उसे लुईस में रूचि थी और किशोरावस्था से उसके साथ थी । सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित इस चित्रांकन में दिख रहा है कि यह डायन अपनी काली शक्तिद्वारा लुईस के मन में किस प्रकार विचार डाल रही है ।
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सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित इस चित्र में दिख रहा है कि यह डायन लुईस को आलिंगन दे रही है । सत्सेवा हेतु साधना के रूप में लुईस अपने लेख लिखने पर मन एकाग्र कर रहा है । यह डायन लुईस के साथ यौन संबंध रखना चाहती है । इसलिए वह उसके मन में यौन विचार डाल रही है । लुईस के मन में आ रहे यौन विचारों से उसे लुईस के साथ यौन सुख अनुभव करना संभव हो रहा है । कभी-कभी अनिष्ट शक्तियां (भूत, प्रेत, पिशाच इ.)  अपने घिनौने रूप को छिपाने और सुंदर होने का दिखावा करने के लिए यौन वासना भडकानेवाली वेशभूषा अथवा आकर्षक सूक्ष्म-अलंकार धारण करती हैं ।
सूक्ष्म-स्तर पर होनेवाली इन घटनाओं से लुईस अनभिज्ञ था और अत्यधिक यौन विचारों के कारण विचलित हो जाता था । लुईस यौन विचारों को तो अनुभव करता था; परंतु समझता था कि ये मानसिक हैं । इन विचारों से छुटकारा पाने के लिए लुईस ने विविध मानसिक उपाय किए; परंतु कोई लाभ नहीं हुआ । आध्यात्मिक उपचार करने पर उसे इससे छुटकारा मिला ।

२.१  सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्रांकन करते समय पू. (कु.) अनुराधा जी को हुए कष्ट

जब मैं लुईस का सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र बना रही थी, मेरा सिर भारी हो गया, गरदन अकडने लगी और मेरे मन में बहुत यौन विचार आने लगे । लुईस ने कितने कष्ट सहे होंगे, इसका मुझे अनुमान हुआ । तत्पश्चात जब मैंने आध्यात्मिक उपचार करते समय का सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र बनाया, तब ऐसा लगा कि मुझ पर ही उपाय हुए हैं और मेरे कष्ट समाप्त हुए । – पू. (कु.) अनुराधा वाडेकर

२.२  लुईस द्वारा आध्यात्मिक उपचार आरंभ करने पर किया सूक्ष्म-परीक्षण

साधना के रूप में जब लुईस ने ईश्‍वर का नामजप करना आरंभ किया,  डायन द्वारा होनेवाले आक्रमणों से उसे अधिक सुरक्षा मिलने लगी ।
देखें लेख – नामस्मरण से हमारा मन शुद्ध कैसे होता है ?
साथ ही नामस्मरण कैसे कार्य करता है, यह दर्शानेवाली आकृति भी देखें ।
फलस्वरूप डायन का उस पर प्रभाव अल्प हुआ । इससे डायन अत्यंत क्रोधित हुई और उसने अपनी पूरी शक्ति लगाना आरंभ किया । परिणामस्वरूप साधना करने के पश्चात भी यौन विचार बढने लगे । उसने लुईस की साधना में बाधा लाना आरंभ किया । साधना के साथ नमक पानी के उपचार करने का सुझाव SSRF ने दिया । साधना के साथ नमक पानी के उपचार आरंभ करने पर वह और दुर्बल हो गई ।

२.३  नमक पानी के आध्यात्मिक उपचार का सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्रांकन

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जब लुईस ने सभी बाधाओं पर विजय प्राप्त करने का दृढ संकल्प किया और नमक पानी के उपचार आरंभ किए, डायन को कष्ट होने लगे और वह निकल गई । सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र से नमक मिश्रित जल के आध्यात्मिक उपचारों का लुईस को कष्ट देनेवाली डायन पर होनेवाला परिणाम दिखाई देता है । डायन की तथा लुईस में विद्यमान काली शक्ति नमक मिश्रित जल में खिंच जा रही है । काली शक्ति नमक मिश्रित जल में अवशोषित न हो जाए, इसलिए डायन एक फूट ऊपर चली गई ।

२.४ मनोग्रसित बाध्यता विकार (Obsessive Compulsive Disorder)  पर विजय प्राप्त करना –  अनचाहे यौन विचार

यदि आप लगातार आनेवाले अनचाहे यौन विचारों से त्रस्त हैं (जो मनोग्रसित बाध्यता का एक प्रकार है)  और सर्वोत्तम उपचारों से भी आप उन्हें नियंत्रित नहीं कर पा रहे हैं, तो उनका मूल कारण आध्यात्मिक आयाम में हो सकता है । यौन विचार (निरर्थक विचारध्यास) अत्यधिक आने का कारण आध्यात्मिक होगा, तो अधिकांश लोगों में यह मृत पूर्वजों के कारण होता है । अन्य अनिष्ट शक्तियों के कारण भी ऐसा हो सकता है । कोई अनिष्ट शक्ति व्यक्ति को अत्यधिक यौन विचार के रूप में कष्ट दे रही हो, तो साधारणतया वह एक कनिष्ठ श्रेणी की अनिष्ट शक्ति होती है ।
टिप्पणी :
  • ७०%से अधिक आध्यात्मिक स्तर का आध्यात्मिक दृष्टि से उन्नत व्यक्ति ही यह बता सकता है कि समस्या का मूल कारण सूक्ष्म आयाम में है अथवा शारीरिक एवं मानसिक स्तर पर ।
  • जिस व्यक्ति की छठवीं इंद्रिय अधिक जागृत है, वह कुछ सीमातक समझ सकता है कि समस्या का कारण सूक्ष्म-आयाम (उदा.भूत इ.) में है अथवा नहीं ।
  • जिनकी छठवीं इंद्रिय अधिक जागृत नहीं है और जिन्हें किसी आध्यात्मिक दृष्टि से उन्नत व्यक्ति के पास जाना संभव नहीं है, ऐसे लोग बुद्धि के स्तर पर यह समझ सकते हैं कि समस्या का कारण सूक्ष्म-आयाम (उदा.भूत इ.) में है अथवा नहीं । सामन्यतः यदि यौन विचार सभी पारंपारिक उपचारों के पश्चात भी नष्ट नहीं हो रहे हो, तो यह मान सकते हैं कि ये विचार आध्यात्मिक कारण से ही आ रहे हैं । आध्यात्मिक कारणों में वर्तमान युग में संभावित कारण अनिष्ट शक्ति बने मृत पूर्वज की सूक्ष्मदेह हो सकती है ।  अतिरिक्त लाभ हेतु अथवा दीर्घकालीन परिणामों के लिए पारंपारिक उपचारों के साथ आध्यात्मिक उपचार भी कर सकते हैं ।
अधिकांश लोगों के लिए भगवान दत्तात्रेय का नामजप विचारों को न्यून करने में सहायक होता है । यह नामजप मृत पूर्वजों के लिंगदेहों से सुरक्षा प्रदान करने में सहायक होता है । इस नामजप के साथ स्वाधिष्ठान-चक्र पर न्यास करने से जप की परिणामकारिता बढती है । न्यास और मुद्रा  कैसे करें, यह देखने के लिए यहां क्लिक करें ।
अनिष्ट शक्तियोंद्वारा साधक के साधनामार्ग में बाधा डालने के लिए यदि यौन विचार डाले जा रहे होंगे, तो उनसे छुटकारा पाने के लिए साधक को भगवान श्रीकृष्ण का ‘।। ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ।।’ यह नामजप करना चाहिए । जो साधना नहीं करते हैं, वे भी यह नामजप कर सकते हैं ।
नामजप सुनने के लिए यहां क्लिक करें ।
यहां भी आप को स्वाधिष्ठान-चक्र पर न्यास करना होगा । जबतक कि आपको राहत नहीं मिलती, तबतक स्वाधिष्ठान-चक्र पर न्यास कर उपर्युक्त नामजप दिन में जितने समयतक संभव हो, करते रहें । जबतक विचार न्यून नहीं होते, ये उपचार दिन में न्यूनतम २-३ घंटे प्रतिदिन करते रहें । यह भी समझ लें कि अनावश्यक यौन विचार लानेवाली अनिष्ट शक्ति से छुटकारा पाने के लिए २ वर्ष तथा उससे भी अधिक समय लग सकता है । अतः प्रतीक्षा करने की सिद्धता रखें ।

।।जय हिंदुत्व।। ।।जय श्रीराम।। ।।जय महाकाल।।

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